Homeराजस्थानचित्तौड़गढ़किसानो को सिखाया जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट बनाना

किसानो को सिखाया जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट बनाना

बन्शीलाल धाकड़

चित्तौड़गढ़|स्मार्ट हलचल|23 अनुसंधान निदेशालय, महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अन्तर्गत अनुसूचित जाति-उप योजना (SCSP-ICAR) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन तकनीकी पर एक दिवसीय प्रशिक्षण कृषि विज्ञान केन्द्र चित्तौडगढ पर आयोजन किया गया। जिसमें चित्तौडगढ पंचायत समिति के सहनवा गांव से 30 अनुसूचित जाति की कृषक महिलाओ ने भाग लिया केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. रतनलाल सोलंकी, ने केन्द्र की विभिन्न गतिविधियो एवं जैविक खेती के उदेश्य एवं महत्व पर प्रकाश डाला साथ ही जैविक खेती में उपयोग की जाने वाली जैविक कार्बनिक खादों जैसे कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, वर्मी वॉश, डी कम्पोजर, बीजामृत, एवं पंचगव्य आदि के उपयोग पर चर्चा की साथ ही केविके की प्रर्दशन इकाई वर्मी कम्पोस्ट इकाई में जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट एवं वर्मी वॉश बनाने की प्रायोगिक जानकारी से अवगत कराया ताकि जनजाति कृषक जैविक खाद वर्मी कम्पोस्ट घरेलू स्तर पर ही तैयार कर सके जिससे खेती में लागत कम की जा सके श्री ओ पी शर्मा उप निदेशक, आई पी एम, चित्तौड़गढ़ ने प्रशिक्षण के दौरान किसानो को वर्मी कम्पोस्ट खाद भूमि की उर्वरकता, वातायनता को तो बढ़ाता ही हैं, भूमि की जल सोखने की क्षमता में भी वृद्धि करता हैं। वर्मी कम्पोस्ट वाली भूमि में खरपतवार कम उगते हैं तथा पौधों में रोग कम लगते हैं। वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करने वाले खेतों में अलग अलग फसलों के उत्पादन में वृद्धि होती हैं। वर्मी कम्पोस्ट युक्त मिट्टी में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश का अनुपात गोबर की खाद से अधिक होता हैं अतः फसलों को पर्याप्त पोषक तत्व सरलता से उपलब्ध हो जाते हैं। वर्मी कम्पोस्ट मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि करता हैं तथा भूमि में जैविक क्रियाओं को निरंतरता प्रदान करता हैं। यह खेत में दीमक एवं अन्य हानिकारक कीटों को नष्ट कर देता हैं, इससे कीटनाशक की लागत में कमी आती हैं। श्री संजय कुमार धाकड़, तकनीकी सहायक, केविके, चित्तौड़गढ़ ने कहा कि लगातार रासायनिक खादों के प्रयोग से कम होती जा रही मिट्टी की उर्वरकता को वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से बढ़ाया जा सकता हैं। इसके प्रयोग से फल, सब्जी, अनाज की गुणवत्ता में सुधार आता हैं, जिससे किसान को उपज का बेहतर मूल्य मिलता हैं। केंचुए में पाए जाने वाले सूक्ष्मजीव मिट्टी का पी.एच. संतुलित करते हैं। अंत में श्री शंकर लाल नाई ने कृषक एवं कृषक महिलाओ को धन्यवाद अर्पित किया।

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