भीलवाड़ा । स्वाध्याय भवन न्यू आजाद नगर में विराजित साध्वी विश्व वंदन मसा ने प्रवचन में कहा कि शरीर में जीव है तो जीवन है।जीव निकल गया तो जीवन की समाप्ति हो गई। कर्म के बंधन से जकडा जीव भिन्न भिन्न शरीरो को धारण करके फल भोगता है और नये बंधनो का निर्माण करता है।
साध्वी श्री ने फरमाया की ‘कर्ज और कर्म ‘ दोनो समान है।जैसे कर्ज लेने के बाद चुकाना पड़ता है ,वैसे ही कर्म को भोगना पड़ता है।जो बोयेगे वही तो काटेंगे।मानव जन्म में ही नर से नारायण बनना ही संभव है।
साध्वी परमेष्ठीवन्दना ने फरमाया कि दीर्घकाल से रहे संस्कारो को तोडने मे आत्मिक शक्ति की आवश्यकता होती है, जो हम जुटा नही पाते है। बुराई को छोड़ने मे अंहकार बाधक बनता है।भगवान महावीर ने आगमो मेंअहंकार के हजारों रूप बताए हैं।अहंकार सोये हुए सांप के सम्मान होता है जो निमित मिलने पर जाग जाता है।चारित्र ही अंहकार को दूर करने की शुद्ध दवा है। मनुष्य जीवन की तुलना पारस पत्थर से की जिस प्रकार पारस पत्थर लोहे को छु लेने से सोना बन जाता है उसी प्रकार मानव जीवन मिलने पर हमें धर्म कर्म आदि कर अपने जीवन को मोक्ष प्राप्त करने में सहायता करता है।
प्रचार प्रसार मंत्री मनीष बंब ने बताया कि साध्वी श्री का प्रवचन प्रातः 9.15 बजे से 10 बजे तक स्वाध्याय भवन में रहेगा एवं शाम को 5 बजे विहार कर पुराना आजाद नगर स्थानक पधारेंगे।
संघ अध्यक्ष राजेश बापना, मंत्री प्रवीण कोठारी ने भजन के माध्यम से मानव जीवन का महत्व बताया।
धर्मसभा में बसन्ती लाल मेहता, महेन्द्र पोखरणा, नेमीचंद सुराणा, प्रेम सिंह चंडालिया,अनिल चौधरी, आशीष बाबेल, सतीष बडोला आदि उपस्थित थे।