Homeराष्ट्रीयमनीष सिसोदिया की जानबूझकर ईडी (ED)जमानत नहीं होने दे रही

मनीष सिसोदिया की जानबूझकर ईडी (ED)जमानत नहीं होने दे रही

मनीष सिसोदिया की जानबूझकर ईडी (ED)जमानत नहीं होने दे रही

क्या जांच एजेंसी का दुरुपयोग हो रहा

प्रवर्तन निदेशालय की गलत प्रैक्टिस से ट्रायल शुरू नहीं हो और आरोपी को जमानत नहीं मिले

सुप्रीम कोर्ट ने कहा बार-बार सप्लीमेंट्री चार्ज शीट से आरोपी को जमानत नहीं मिल पाती

 

नई दिल्ली, स्मार्ट हलचल। सुप्रीम कोर्ट में ईडी द्वारा बार-बार सप्लीमेंट्री चार्ज शीट करने को गलत बताते हुए कहा कि जांच एजेंसियां ऐसा इसलिए कर रही है कि ट्रायल में देर हो और आरोपी को जमानत न मिल सके।
जांच एजेंसियां इस तरह के कार्य करके आरोपी को अनिश्चितकाल के लिए जेल में नहीं रख सकती। कोर्ट ने कहा कि इससे परेशानी हो रही है जब किसी आरोपी को गिरफ्तार किया जाता है तो मुकदमा शुरू करना आवश्यक होता है । अदालत ने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की कैद का जिक्र करते हुए कहा कि फरवरी 2023 में शराब नीति मामले में गिरफ्तार किया था। अदालत ने कहा 18 महीने से शख्स जेल में है जिससे परेशानी हो रही है कि मामले में हम इस मुद्दे को उठाएंगे।

बॉक्स👇🏻
आरोपी को बिना सुनवाई के जेल में रखने की जो त्रिपाठी अपनी जा रही है वह अदालत को परेशान कर रही है और कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करेगी सुप्रीम कोर्ट

कोर्ट ने दो महत्वपूर्ण टिप्पणियां की है
1. बार-बार चार्ज शीट फाइल नहीं कर सकते
परिवर्तन निदेशालय के सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए थे। इस मामले में जस्टिस खन्ना ने कहा कि डिफॉल्ट बेल का मकसद है की जांच पूरी होने तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया जाए। आप यह नहीं कर सकते कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक मुकदमा शुरू नहीं होगा। ताकि शख्स को बिना ट्रायल के जेल में रहने के लिए मजबूर होना पड़े।
2. फाइनल चार्ज शीट 90 दिन के अंदर दायर होनी चाहिए
जस्टिस खन्ना ने कहा कि आरोपी को गिरफ्तार करते हैं तो मुकदमा शुरू किया जाना चाहिए अगर जांच पूरी नहीं हुई है तो जेल में बंद आरोपी डिफॉल्ट जमानत पाने का हकदार है नहीं तो फाइनल चार्ज शीट या कोड आफ क्रिमिनल प्रोसीजर द्वारा निर्धारित समय सीमा के अंदर दायर होनी चाहिए और यह सीमा 90 दिन तक तय है।

आरोपी 18 महीना से सलाखों के अंदर
मनी लैंड रिंग के आरोप में प्रेम प्रकाश को गिरफ्तार किया था जिसे 18 महीने हो गए हैं एड द्वारा फाइनल चर्तिशप दाखिल नहीं हुई है ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए ईद का कहना है कि आरोपी को रिहा किए जाने पर सबूत या गांव से छेड़छाड़ हो सकती है सुप्रीम कोर्ट ई की इस बात से सहमत नहीं हुए कहा की इस वजह से 18 महीना तक सलाखों के पीछे रखना उचित नहीं है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
AD dharti Putra
logo
AD dharti Putra
RELATED ARTICLES