रणवीर सिंह चौहान
स्मार्ट हलचल / भवानी मंडी.देश-विदेश में 23 नवंबर से 29 नवंबर 2025 तक मनाए जा रहे साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज के 350वें शहीदी पुरब के निमित्त आज दिनांक 25 नवंबर को भवानी मंडी में प्रातः 7 बजे गुरुद्वारा साहिब से समूह संगत की अगुवाई में प्रभात फेरी नगर कीर्तन आरंभ हुई। प्रभात फेरी में विशेष रूप से गुरु तेग बहादुर जी महाराज के जीवन, बलिदान एवं शहादत का संक्षिप्त चित्रण भी था ।
प्रभात फेरी के गुरुद्वारा साहिब में समापन उपरांत संगत द्वारा रखे गए सहज पाठ साहिब जी की समाप्ति तथा श्री अखंड पाठ साहिब जी की भी संपूर्ण समाप्ति हुई ।
तत्पश्चात् ज्ञानी जी तथा संगत द्वारा महला 9वें (श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज द्वारा रचित) के चुनिंदा शबदों का पाठ किया गया तथा गुरु महाराज की शहादत पर आधारित भावपूर्ण कीर्तन किया गया। दीवान की समाप्ति पर सरबत के भले की अरदास उपरांत सभी के लिए गुरु का हाथ प्रसादी लंगर वरताया गया।
साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी, सिखों के नौवें गुरु, जिन्हें “हिंद दी चादर” के रूप में जाना जाता है, ने धर्म, स्वतंत्रता और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया।
दीवान के दौरान इतिहास साँझा करते हुए गुरु तेग बहादुर जी महाराज की दिल्ली में औरंगजेब के आदेश पर 24 नवंबर 1675 को हुई शहादत तथा उनके साथ शहीद हुए तीन महान सिक्खों — भाई मती दास जी (जिन्हें आरे से चीर कर शहीदी दी गई), भाई सती दास जी (जिन्हें जला कर शहीद किया गया) तथा भाई दयाला जी (जिन्हें खौलते तेल के कड़ाहे में डाल कर शहीद किया गया) के बलिदान को बड़े भावपूर्ण ढंग से याद किया गया। इन महान शहीदों ने कश्मीरी पंडितों सहित पूरे हिन्दू समाज की धर्म रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए और मानवता की रक्षा में शहादत की अद्वितीय मिसाल कायम की।
अंत में सिक्ख समाज के अध्यक्ष श्री प्रीतपाल सिंह जी ने संगत को संबोधित करते हुए कहा, “साहिब श्री गुरु तेग बहादुर जी महाराज ने हिन्द की चादर बनकर न केवल सिक्खी के मान-सम्मान की रक्षा की, बल्कि पूरे देश के धर्म और संस्कृति की रक्षा का जो संकल्प लिया, वह आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा स्रोत है। हमें उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए एकता, सेवा और धर्म की रक्षा का संकल्प लेना चाहिए। यह 350वां शहीदी पुरब हमें याद दिलाता है कि जब-जब मानवता पर संकट आएगा, सिक्ख कौम गुरु महाराज के बताए रास्ते पर चलकर उसका मुकाबला करेगी।” गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान और उनके साथ शहीद हुए सिखों की वीरता और धर्म के लिए समर्पण को स्मरण करने का एक ऐतिहासिक अवसर है।
इस अवसर पर सभी वर्ग के श्रद्धालुओं ने अपने श्रद्धासुमन गुरु महाराज और शहीद सिक्खों को अर्पित किये तथा पूरे कार्यक्रम में अनुशासन एवं श्रद्धा का वातावरण रहा |


