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मायावती को बीच चुनाव में आकाश आनंद को क्यों हटाना पड़ा ?

मायावती को बीच चुनाव में आकाश आनंद को क्यों हटाना पड़ा ?
>अशोक भाटिया,

smarthalchal.बसपा सुप्रीमो मायावती ने आकाश आनंद को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी जिम्मेदारी सौंपी थी, लेकिन अब उन्होंने कड़ा एक्शन लेते हुए चुनाव के तीन चरण पूरे होते ही पार्टी के नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से हटा दिया और उत्तराधिकारी बनाने के फैसले को भी वापस ले लिया।
अब सवाल उठ रहे हैं कि चुनाव के बीच बसपा में इस बड़े फेरबदल का क्या कारण है। आकाश आनंद को जब लॉन्च किया गया, खासकर उत्तरप्रदेश में तो उन्हें काफी अटेंशन मिल रही थी। लोग उन्हें सुनने के लिए उनकी सभाओं में आ रहे थे। सभी को लग रहा था कि बसपा अपने असली मूवमेन्ट को वापस हासिल कर रही है। लेकिन आकाश आनंद के कुछ बयानों ने बसपा को काफी डैमेज किया।
कुछ दिनों पहले उन्होंने सीतापुर मेंबसपा सरकार को ‘आतंक की सरकार’ करार दिया था, जिसके बाद उन पर एफआईआर भी दर्ज हो गई थी। इसके अलावा दो-तीन जगहों पर बयान देते वक्त वह इतने जोश में आ गए कि उनके मुंह से गाली जैसे शब्द निकल पड़े। आवेश में दिए उनके बयानों की भी काफी आलोचना हो रही थी जिसमें ‘जूते मारने का मन करता है’ जैसे बयान शामिल हैं।
माना जा रहा है कि आकाश आनंद के इन बयानों ने मायावती को नाराज कर दिया। जिस तरह की राजनीति मायावती करती रही हैं और जिस तरह के बयान वह देती आई हैं उसमें आकाश आनंद की यह भाषा-शैली ‘मिसफिट’ हो रही थी। माना यह भी जा रहा है कि पार्टी के भीतर एक बड़ा धड़ा आकाश आनंद के इन बयानों से नाराज था।
कुछ दिनों पहले मीडिया को दिए इंटरव्यू में आकाश आनंद ने पार्टी में अपनी भूमिका पर बात करते हुए कहा था कि बहुत लोगों को मौके दिए गए लेकिन नहीं चल पाया। मुझे इस बार यह जिम्मेदारी दी गई है, अगर मैं भी नहीं चला सका तो मुझे भी हटाया जा सकता है।
आकाश आनंद बसपा में एक सौम्य चेहरा लेकर आए थे। एक विदेश से पढ़कर आया हुआ युवा चेहरा जो पार्टी को बदल सकता है। शुरुआत में वह काफी सौम्यता से बातें कर रहे थे लेकिन जब वह भीड़ के सामने आए तो आकाश आनंद को भी कई बार आपा खोते देखा गया। उन्हें उत्तराधिकारी और नेशनल कॉर्डिनेटर बनाने के फैसले को वापस लेने के पीछे यह एक अहम वजह हो सकती है।
बताया जाता है कि पिछले दो दशक से जिस सोशल इंजीनियरिंग पर जोर दे रही है इन बयानों से वो डैमेज होती नज़र आई तो मायावती नाराज हो गईं। दरअसल, उन्‍हें लगने लगा कि आकाश आनंद की भाषा शैली पार्टी की लाइन से मेल नहीं खा रही। जानकारों का कहना है कि पार्टी के अंदर भी आकाश के बयानों को लेकर बहुत सहजता नहीं थी। मायावती ने आकाश से पहले भी समय-समय पर लोगों को मौके दिए थे लेकिन कोई चल नहीं पाया। उत्तरप्रदेश की चुनावी सभाओं में आकाश ने भीड़ के सामने आपा खोया तो मायावती को उन्‍हें उत्‍तराधिकारी और नेशनल कोआर्डिनेटर के पद से हटाने में देर नहीं लगी।

आकाश आनंद को हटाकर मायावती ने यह राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है कि वह कीचड़ उछाल की राजनीति नहीं करती हैं। बता दें कि इसी तरह उन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में भाई-भतीजावाद का आरोप लगने के बाद भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के पद से हटा दिया था, लेकिन चुनाव बाद फिर बना दिया। आकाश आनंद को भी हटाकर मायावती ने संदेश देने का काम किया है कि उनके लिए परिवार नहीं पार्टी व मूवमेंट जरूरी है।
बसपा सुप्रीमो ने भतीजे आकाश को पहली बार उत्तरप्रदेश चुनाव में लांच किया था। उनकी पहली सभा नगीना लोकसभा सीट से इसलिए लगाई गई कि वहां उनकी बिरादरी के सर्वाधिक मतदाता होने के साथ आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद चुनाव लड़ रहे हैं। आकाश ने अपनी पहली सभा में छह अप्रैल को चंद्रशेखर का नाम लिए बिना उन्हें दलित युवाओं का दुश्मन बताया था। कुछ ऐसे शब्दों का भी इस्तेमाल किया जिसको लेकर उन पर उंगलियां उठी।
उत्तरप्रदेश में आकाश आनंद की पहले चरण में कुल 21 सभाएं लगाई गई थीं, लेकिन वह 16 सभा ही कर सके। आकाश की 28 अप्रैल को सीतापुर के साथ ही लखनऊ में मोहनलालगंज में भी सभा लगी थी, लेकिन सीतापुर की सभा के बाद उनका कार्यक्रम रद्द कर दिया गया। मायावती ने पहली बार ऐसा नहीं किया है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में जब उन पर भाई-भतीजावाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा तो उन्होंने भाई आनंद कुमार को भी पद से हटा दिया था।
मायावती ने भतीजे आकाश आनंद को पदों से हटाया तो है लेकिन भविष्‍य की राह रोकी नहीं है। मायावती ने कहा कि उन्होंने यह फैसला बसपा और आंदोलन के हित में लिया है और जब तक आनंद ‘पूर्ण परिपक्वता’ हासिल नहीं कर लेते। यानी भविष्‍य में वह आकाश आनंद को दोबारा जिम्‍मेदारी सौंप सकती हैं। इसके साथ ही मायावती ने कहा है कि उनके भाई और आकाश आनंद के पिता आनंद कुमार पहले की तरह अपनी जिम्मेदारियां निभाते रहेंगे। ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में मायावती ने आकाश आनंद को हटाने के पीछे के सटीक कारण का उल्लेख नहीं किया है।
ज्ञात हो कि आकाश आनंद ने लंदन के एक इंस्टीट्यूट से एमबीए की पढ़ाई की। जून 2019 में हुई बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में मायावती ने उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय समन्वयक नियुक्त किया था। 15 जनवरी 2022 को अपने 66वें जन्मदिन कार्यक्रम में मायावती ने कहा था, ‘बसपा आकाश आनंद को पार्टी में बड़ी भूमिका के लिए तैयार कर रही है। वह युवा हैं और राजनीतिक परिपक्वता हासिल कर रहे हैं। पार्टी ने उन्हें उन राज्यों में पार्टी का आधार फैलाने का काम सौंपा है जहां बाद में विधानसभा चुनाव होने हैं। उचित समय के दौरान, आकाश को चुनाव लड़ने का अवसर मिलेगा। 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान, आकाश आनंद का नाम बसपा के स्टार प्रचारकों की सूची में तीसरे नंबर पर था, लेकिन 2022 के उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में, वह पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव एससी मिश्रा से ऊपर दूसरे स्थान पर आ गए।
26 मार्च 2023 को आकाश की शादी पूर्व बसपा सांसद अशोक सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा सिद्धार्थ से गुरुग्राम में एक समारोह में हुई थी। 28 अप्रैल, 2024 को, आकाश आनंद पर चार अन्य लोगों के साथ सीतापुर में एक चुनावी रैली में कथित तौर पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने के लिए आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का मामला दर्ज किया गया था। रैली में आकाश के भाषण पर जिला प्रशासन द्वारा स्वत: संज्ञान लेने के बाद यह कार्रवाई की गई थी। आकाश ने भाजपा के नेतृत्व वाले राज्य की आलोचना करते हुए कहा था, ‘यह भाजपा सरकार एक बुलडोजर सरकार और गद्दारों की सरकार है। जो पार्टी अपने युवाओं को भूखा छोड़ती है और अपने बुजुर्गों को गुलाम बनाती है। वह एक आतंकवादी सरकार है। तालिबान अफगानिस्तान में ऐसी सरकार चलाता है। ‘ आकाश आनंद के अलावा, बसपा उम्मीदवारों महेंद्र यादव, श्याम अवस्थी और अक्षय कालरा और रैली आयोजक विकास राजवंशी पर भी केस दर्ज किया गया था।

आकाश आनंद को हटाए जाने पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता सुरेंद्र सिंह राजपूत ने कहा, ‘बसपा प्रमुख मायावती ने जिस तरह से अपने भतीजे आकाश आनंद को पार्टी समन्वयक पद से हटाया है, वह बेहद चौंकाने वाला है। क्या आपने ये कदमबसपा के किसी दबाव में उठाया? हालांकि यह आपकी पार्टी का आंतरिक मामला है, आपको इस बारे में स्पष्टीकरण जारी करना चाहिए। ‘ वहीं समाजवादी पार्टी के नेता फखरुल हसन चांद ने आरोप लगाया कि बसपा और भाजपा एक ‘अघोषित गठबंधन’ में हैं। जिस तरह से आकाश आनंद को उनके पद से हटाया गया, उससे यह साबित हो गया है। लोग इसे देख सकते हैं और वे इसका करारा जवाब देंगे।
वहीं भाजपा नेता राकेश त्रिपाठी ने बसपा प्रमुख पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मायावती पार्टी को एक प्राइवेट लिमिटेड संस्था की तरह चलाती हैं और वह कभी भी कोई भी फैसला ले सकती हैं। आकाश आनंद की गैरजिम्मेदाराना टिप्पणी औरबसपा के खिलाफ उनके बयानों के कारण लोगों में बसपा के खिलाफ आक्रोश है।
अशोक भाटिया,

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