मांडल (सुरेश चंद्र मेघवंशी) । मांडल तहसील के पीथास ग्राम में पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी निभा रहे नलकर्मी के लिए मेजा बांध के पेटा क्षेत्र में बना जलदाय विभाग का वाटर वर्क्स ग्रामीणों की सुविधा के बजाय अब गंभीर दुविधा का कारण बन गया है। जलभराव के चलते नलकर्मी को हर दिन जान जोखिम में डालकर टंकी तक पानी पहुंचाना पड़ रहा है। कोठारी नदी में स्थित कुएं पर वाटर वर्क्स की मोटर लगी हुई है, जिसकी दूरी टंकी से करीब एक किलोमीटर है। नदी में लगातार जलभराव के कारण नलकर्मी नंदराम बलाई को पिछले करीब दो माह से प्रतिदिन तीन से चार फीट गहरे पानी में एक किलोमीटर आना-जाना करना पड़ रहा है। सर्दी और बरसात के मौसम में कपकपाती ठंड के बीच बिना किसी सुरक्षा संसाधन के पानी में उतरना उसकी मजबूरी बन गई है। नलकर्मी ने बताया कि प्रतिदिन वाटर वर्क्स की टंकियों को भरने में लगभग 9 घंटे लग जाते हैं, जबकि इसके बाद गांव में करीब 4 घंटे पेयजल सप्लाई दी जाती है। पीथास के साथ-साथ मालीखेड़ा और स्कूल का खेड़ा क्षेत्र की तीन टंकियों में पानी भरकर आपूर्ति करना उसकी जिम्मेदारी है। जलभराव के कारण पानी में जहरीले जीवों का खतरा भी बना रहता है। कभी सांप तो कभी अन्य जीव दिखाई देने के प्रमाण मिलते रहते हैं, जिससे भय के माहौल में काम करना पड़ता है। नलकर्मी का कहना है कि यदि वह पानी भरने नहीं जाए तो ग्रामीणों को पेयजल संकट झेलना पड़ेगा, और यदि जाए तो उसकी जान को हर समय खतरा बना रहता है।
इतना ही नहीं, कुएं पर लगी विद्युत कैची में फाल्ट आने पर लाइनमैन का काम भी उसी को करना पड़ता है। काम की जिम्मेदारी जरूरत से कहीं ज्यादा है, लेकिन इसके अनुपात में जलदाय विभाग से मिलने वाला वेतन काफी कम है। कम वेतन में परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो रहा है। नलकर्मी ने बताया कि पूर्व में उसने संबंधित विभागीय अधिकारियों से वेतन बढ़ाने और वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की थी, लेकिन अब तक केवल आश्वासन ही मिला है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द समाधान नहीं किया गया तो किसी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। ऐसे में जलदाय विभाग को न केवल कर्मी की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए, बल्कि स्थायी समाधान कर ग्रामीणों की पेयजल व्यवस्था को भी सुरक्षित बनाना चाहिए।


