कोटा। भक्ति और आस्था से सराबोर वातावरण में श्री माताजी का 52वां अवतरण दिवस बड़े भावपूर्ण ढंग से मनाया गया। इस अवसर पर माता जी की पूजन की गई और विनियाजलि अर्पित की गई। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने भक्ति गीतों और मंगलाचार से वातावरण को पवित्र बना दिया।
अपने प्रवचन में विभाश्री माता जी ने कहा— “मनुष्य जीवन दुर्लभ है और इसका परम उद्देश्य संयम और आत्मोद्धार है। यह जीवन केवल भोग के लिए नहीं, बल्कि मुक्ति के पथ पर अग्रसर होने के लिए मिला है।”
उन्होंने समझाया कि संयम को अपनाकर ही आत्मा की शांति और स्वर्ग की प्राप्ति संभव है। साधु यदि संयम मार्ग पर चल पड़े तो न नरक में जाएगा और न भवचक्र में भटकेगा, बल्कि मर्यादा और नियम के पालन से देवत्व को प्राप्त करेगा।
जीवन की उपमा और संदेश
विभाश्री माता जी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे किसी मकान में आग लग जाए तो उसमें रखा सारा सामान नष्ट हो जाता है, वैसे ही यदि इस नश्वर शरीर रूपी मकान में वासना और आसक्ति की आग लग जाए तो आत्मा पतन को प्राप्त होती है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि जीवन के वास्तविक स्वामी की रक्षा के लिए संयम को अपनाएँ।
महामंत्री अनिल ठोरा व राजेन्द्र गोधा ने बताया कि अवतरण दिवस पर चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन और शास्त्र भेंट का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पुण्यार्जक परिवार और श्रावक श्रेष्ठि परिवार को सम्मानित किया गया। विशेष रूप से श्रीमान विनोद जी, सारिका जी, नैनसी जी, शुद्धि जी, सार्थक जी जैन सकुन्या परिवार, महावीर नगर विस्तार, कोटा को यह सौभाग्य प्राप्त हुआ।कार्यक्रम का संचालन पी.के. हरसोरा ने किया। चातुर्मास उत्सव में विज्ञान नगर मंदिर गौरवाध्यक्ष राजमल पाटौदी,सकल समाज अध्यक्ष प्रकाश बज, नरेश वेद, सहित कई लोग उपस्थित रहे।