भीलवाड़ा । राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी अस्पतालों में से एक महात्मा गांधी हॉस्पिटल भीलवाड़ा में मरीजों की सुविधा हेतु निर्मित धर्मशाला एवं कैंटीन अब जनसेवा की जगह निजी लाभ का माध्यम बन चुकी हैं। इस गंभीर प्रकरण पर समाजसेवी एवं राजस्थान मेडिकल रिलीफ सोसायटी के पूर्व सदस्य मोहम्मद हारून रंगरेज ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर स्वतंत्र जांच और सुधारात्मक कार्रवाई की माँग की है।
व्यवस्था में पारदर्शिता नहीं, गरीबों के नाम पर कमाई
ज्ञापन में बताया गया कि श्री सीताराम सत्संग भवन ट्रस्ट द्वारा संचालित धर्मशाला का मकसद था कि दूर-दराज़ से आने वाले मरीजों के परिजनों को राहत मिल सके, लेकिन अब वहां होटल जैसी दरें वसूली जा रही हैं, जिससे असहाय और गरीब मरीजों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ रहा है।
रिकॉर्ड नदारद, आय-व्यय पर सवाल
मोहम्मद हारून रंगरेज ने आरोप लगाया कि धर्मशाला में ठहरने वालों का कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, और वसूली गई राशि का कोई पारदर्शी लेखाजोखा नहीं है। यह सब कुछ नियमों और नैतिकता के विरुद्ध है।
कैंटीन का ठेका, गरीबों का नुकसान
ज्ञापन में यह भी बताया गया कि धर्मशाला परिसर में संचालित कैंटीन का ठेका ₹70,000 प्रतिमाह में निजी पक्ष को दिया गया है, जबकि सरकारी अस्पताल की कैंटीन महीनों से बंद पड़ी है, जिससे गरीब मरीजों को सस्ती दरों पर पौष्टिक भोजन नहीं मिल पा रहा है।
सरकारी ज़मीन, निजी कब्जा?
धर्मशाला और कैंटीन सरकारी अस्पताल की भूमि पर बनी हैं, पर अस्पताल या आमजन को कोई लाभ नहीं मिल रहा। हारून रंगरेज ने पूछा – “जब ज़मीन सरकारी है तो उसमें पहला हक़ गरीब मरीजों और उनके परिवारों का क्यों नहीं माना जा रहा?”
जनहित में प्रमुख माँगें:
🔹 धर्मशाला व कैंटीन की आय-व्यय का पूरा रिकॉर्ड सार्वजनिक किया जाए।
🔹 एक स्वतंत्र जांच समिति गठित कर सभी अनियमितताओं की निष्पक्ष जांच करवाई जाए।
🔹 यदि लाभ कमाने की मंशा सामने आए तो संचालन तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाए।
🔹 बंद पड़ी सरकारी कैंटीन को पुनः शुरू कर गरीब मरीजों को सस्ती दरों पर भोजन उपलब्ध कराया जाए।
🔹 सरकारी भूमि का उपयोग केवल जनहित में सुनिश्चित किया जाए।
🔹 धर्मशाला में कोई भी रूम बिना डॉक्टर की अनुमति के न दिया जाए।
“गरीब की थाली और सिर पर छत – दोनों पर हमला बर्दाश्त नहीं करेंगे” – मोहम्मद हारून रंगरेज
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि इस विषय में शीघ्र और ठोस कार्यवाही नहीं हुई तो यह मुद्दा प्रदेश स्तर पर उठाया जाएगा। ज्ञापन की प्रतिलिपि राजकीय मेडिकल कॉलेज प्राचार्य एवं महात्मा गांधी अस्पताल अधीक्षक को भी सौंपी गई है।