Homeराजस्थानअलवरस्वयं सहकारिता मंत्री नही सुधार पा रहे अपने जिले के हालात

स्वयं सहकारिता मंत्री नही सुधार पा रहे अपने जिले के हालात


जिले में विभाग के उप रजिस्ट्रार व स्पेशल ऑडिडर के पद खाली,Minister is not able to improve the situation

जिले से ही सहकारिता मंत्री फिर भी उधार के अधिकारियों के भरोसे विभाग।


ओम जैन

शंभूपुरा।स्मार्ट हलचल/जी हाँ ये अजीबोगरीब मामला हैं चित्तौड़गढ़ के सहकारिता विभाग के अंतर्गत आने वाले उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां चित्तौड़गढ़ व स्पेशल ऑडिटर सहकारी समितियां चित्तौड़गढ़ के कार्यालय का जिनमें दोनों ही पदों पर बरसो से किसी पूर्णकालिक अधिकारी की नियुक्ति नही हो पाई हैं। इसमे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रदेश के सहकारिता मंत्री भी इसी जिले से आते है फिर भी वो अपने ही विभाग के हालात सुधारने में नाकामयाब साबित हो रहे है।
राज्य की सरकार में सत्ता पक्ष द्वारा पिछले लगभग 6 वर्षों से सहकारिता विभाग की कमान चित्तौड़गढ़ जिले को सौंप रखी है परन्तु इस विभाग का मुखिया चित्तौड़गढ़ जिले का होते हुए भी चित्तौड़गढ़ जिले की जनता बड़ी असमंजस की स्थिति में है।चित्तौड़गढ़ जिले में उप रजिस्ट्रार सहकारी समितियां चित्तौड़गढ़ व स्पेशल ऑडिटर सहकारी समितियां चित्तौड़गढ़ का पद पिछले लगभग 4 वर्षों से अधिक समय से रिक्त चल रहा हैं और सहकारिता के क्षेत्र के यह दोनों ही कार्यालय उधार के अधिकारियों के भरोसे चल रहे हैं जिससे आम जनता को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं।
उल्लेखनीय है कि पुर्व की कॉंग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार में भी सहकारिता मंत्री चित्तौड़गढ़ जिले से ही उदयलाल आंजना थे और उस समय भी पीआर आमेरिया उप रजिस्ट्रार के पद पर कार्यरत थे और उनको स्पेशल ऑडिटर कार्यालय का अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा था।नवम्बर 2020 में आमेरिया का स्थानांतरण होने के बाद से लगातार सत्ता परिवर्तन तक जिले में उप रजिस्ट्रार व स्पेशल ऑडिटर जैसे महत्वपूर्ण पद रिक्त हैं और अन्य अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार देकर उधार के अधिकारियों के भरोसे दोनों कार्यालय संचालित किए जाते रहे।
दिसम्बर 2023 में आए चुनाव परिणाम में सत्ता परिवर्तन हुआ और भाजपा की सरकार अस्तित्व में आई और राज्य सरकार में सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी पुनः चित्तौड़गढ़ जिले को देते हुए बड़ीसादड़ी से विधायक गौतम दक को सहकारिता मंत्री बनाया गया जिससे जिले की जनता को आस लगी कि आने वाले समय में सहकारिता के दोनों महत्वपूर्ण कार्यालय में ईमानदार, अच्छे एवं पूर्णकालिक अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी ताकि सहकारिता का लक्ष्य पूरा हो सकेगा।परंतु सत्ता परिवर्तन होने के बाद भी उप रजिस्ट्रार व स्पेशल ऑडिटर के पद पर पूर्णकालिक नियुक्ति नहीं हो पाई हैं और कांग्रेस राज में लगे हुए जयदेव देवल को ही उप रजिस्ट्रार चित्तौड़गढ़ का अतिरिक्त प्रभार देकर काम चलाया जा रहा हैं जबकि कांग्रेस राज में भी इस पद का अतिरिक्त प्रभार जयदेव देवल के पास ही था।
सहकारिता विभाग का मुखिया चित्तौड़गढ़ जिले से होने के बावजूद भी इस विभाग के स्पेशल ऑडिटर व उप रजिस्ट्रार के पद पर किसी अच्छे व ईमानदार पूर्णकालिक अधिकारी की नियुक्ति करना दोनों मंत्रियों के लिए एक बहुत बड़ी समस्या या चुनौती क्यों बन गया हैं? यह प्रशन जनता के मन मे बार बार उठ रहा हैं कि क्यों इन दोनों पदों पर उधार के अधिकारियों से काम चलाया जा रहा हैं।उप रजिस्ट्रार व स्पेशल ऑडिटर कार्यालय के अधीन में सभी ग्राम सेवा सहकारी समितियां, दुग्ध उत्पादक सहकारी समितियां,सभी खेल संघ क्लब,सभी प्रकार के एनजीओ सहित अनेक सहकारिता से जुड़ी संस्थाए आती हैं जिनके गठन, चुनाव, ऑडिट व वित्तीय अनियमितताओं की जाँच करने की जिम्मेदारी इन दोनों ही कार्यालय की ही हैं।सहकारिता से जुड़े सैकड़ो लोग रोज उप रजिस्ट्रार व स्पेशल ऑडिटर कार्यालय में आते है और इन उधार के अधिकारियों की अनुपस्थिति के कारण निराश होकर खाली लौटते हैं और बार बार चक्कर काटने को मजबूर हैं।
ज्ञात रहे कि कांग्रेस राज में तत्कालीन मंत्री से नजदीकियां होने से जयदेव देवल को उदयपुर,प्रतापगढ़ के साथ साथ चित्तौड़गढ़ का अतिरिक्त चार्ज भी सौंप दिया था और वे कभी कभार चित्तौड़गढ़ आते थे इसके बाद सत्ता परिवर्तन हुए भी लगभग 10 महीने का समय हो गया है परंतु आज तक भी जयदेव देवल से अतिरिक्त चार्ज लेकर कार्यालय में पूर्णकालिक उप रजिस्ट्रार व स्पेशल ऑडिटर की नियुक्ति करना कई बड़े प्रशन को जन्म देता हैं।क्या इन मंत्री को अपने गृह जिले में पूर्णकालिक नियुक्ति करने जैसा एक भी सच्चा व ईमानदार अधिकारी नही मिल पा रहा हैं या जानबूझकर इसे लगातार लटका कर रखा जा रहा हैं या फिर भोली भाली जनता के साथ लूट भ्रष्टाचार इनको अच्छा लग रहा है।वर्तमान में उप रजिस्ट्रार के पद का अतिरिक्त प्रभार जयदेव देवल के पास ही है और अतिरिक्त चार्ज होने की वजह से वो ईद के चांद की तरह कभी कभी नजर आते हैं।
आखिर ऐसी क्या वजह हैं कि सहकारिता मंत्री गौतम दक अपने ही गृह जिले में पूर्णकालिक उप रजिस्ट्रार व स्पेशल ऑडिटर के पद पर किसी ईमानदार पूर्णकालिक अधिकारी की नियुक्ति नहीं कर पा रहे हैं, इससे मंत्री दक की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लग रहे है।
हमने इस पूरे मामले पर सहकारिता मंत्री से सम्पर्क किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब देना उचित नही समझा जिसके चलते इन पदों पर नियुक्ति भी संदेह के घेरे में नजर आ रही है।

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