MNREGA scheme employment guarantee
MGNREGA
का फुल फॉर्म होता है – The Mahatma Gandhi National Rural Employment Guarantee Act. इसे हिंदी में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कहते है। मनरेगा भारत सरकार द्वारा लागू किया गया एक रोजगार गारंटी योजना है, जिसे 7 सितंबर 2005 को विधान सभा में पारित किया गया है। इसके बाद 2 फ़रवरी 2006 को 200 जिलों में शुरू किया गया। शुरुआत में इसे राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (नरेगा NREGA) कहा जाता था, लेकिन 2 अक्टूबर 2009 इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम कर दिया गया।
मनरेगा योजना विश्व की एकमात्र ऐसी योजना है जो 100 दिन रोजगार की गारंटी देती है। इस योजना के सञ्चालन के लिए केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2010-11 में 40,100 करोड़ रुपए आबंटित किये थे। देश के गरीब और बेरोजगार परिवार अपनी आजीविका के लिए इस योजना का लाभ उठा रहे है। ऐसे कमजोर आय वर्ग के लोगों को उनके ही ग्राम पंचायत में रोजगार दिया जाता है, इससे पलायन की समस्या को भी काफी हद तक रोका जा सका है।
मनरेगा योजना का उद्देश्य
- मनरेगा का सबसे बड़ा उद्देश्य ग्रामीण विकास और रोजगार के दोहरे लक्ष्य को प्राप्त करना है।
- ग्रामीण भारत में निवास करने वाले गरीब व कमजोर आय वर्ग के परिवारों को 100 दिनों की रोजगार प्रदान करना है ताकि वे अपनी आजीविका चला सकें।
- विकास कार्य के साथ साथ आर्थिक मजबूती प्रदान करना।
- ग्राम पंचायत स्तर पर रोजगार प्रदान करना जिससे रोजगार हेतु अन्य शहरों में होने वाले पलायन को रोका जा सकें।
- आजीविका को मजबूत करना और गरीब परिवारों की आय में वृद्धि करना।
- मनरेगा योजना का उद्देश्य समाज के कमजोर वर्ग को भी मुख्य धारा में सम्मिलित करना है।
- भारत में पंचायती राज प्रतिष्ठानों को और मजबूत करना।
नरेगा जॉब कार्ड
मनरेगा या नरेगा जॉब कार्ड लाभार्थी को प्रदान किया जाने वाले एक प्रमुख दस्तावेज है जिसमे किये गए कार्यों का ब्यौरा होता है। इस कार्ड में लाभार्थी का विवरण जैसे – नाम, पिता/पति का नाम, पता के साथ जॉब कार्ड नंबर अंकित होता है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (mgnrega) को पारदर्शी बनाने के लिए और किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचाने के लिए लाभार्थियों को जॉब कार्ड जारी किये जाते है। ये कार्ड 100 दिन की रोजगार का अधिकार देता है।
लाभ लेने के लिए पात्रता
मनरेगा योजना जो 100 दिन की रोजगार की गारंटी प्रदान करता है। इस योजना का लाभ पाने के लिए आवेदकों को निम्लिखित पात्रता मापदंडो को पूरा करना चाहिए –
- 18 वर्ष से अधिक आयु का कोई भी भारतीय नागरिक, जो ग्रामीण भारत में रहता है, मनरेगा योजना के लिए आवेदन कर सकता है।
- ऐसे आवेदक जो अकुशल कार्य करने के लिए स्वेच्छा से तैयार है, इस योजना के लिए अप्लाई कर सकता है।
आवेदन कैसे करें ?
सबसे पहले आवेदक को मनरेगा योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। इसके लिए यहाँ से फॉर्म को डाउनलोड कर लीजिये – नरेगा जॉब कार्ड एप्लीकेशन फॉर्म आवेदन फॉर्म डाउनलोड करने के बाद इसे प्रिंट करें एवं सही से भरें। आप ग्राम पंचायत से भी इस फॉर्म को प्राप्त कर सकते है। आवेदन फॉर्म तैयार होने के बाद इसे ग्राम पंचायत कार्यालय या सम्बंधित आधिकारिक के पास जमा करें। अगर आवेदन फॉर्म नहीं मिले तब एक सादे कागज में निम्नलिखित विवरण के साथ जमा कर सकते है –
- आवेदक का फोटो
- नाम, आयु और लिंग
- गाँव का नाम
- ग्राम पंचायत का नाम
- ब्लॉक का नाम
- आवेदक (एस) / एससी / एसटी / आईएवाई / एलआर के लाभार्थी हैं या नहीं इसका विवरण
- आवेदकों के हस्ताक्षर / अंगूठे का निशान
मनरेगा की मजदूरी
बहुत लोगों के मन में ये भी सवाल होगा कि मनरेगा में 1 दिन का कितना पैसा मिलता है ? ये अलग अलग राज्यों के अनुसार अलग अलग है। यानि प्रति दिन मनरेगा योजना की मजदूरी राज्य के अनुसार अलग अलग है। नीचे टेबल में बताया गया है कि मनरेगा की मजदूरी कितनी है –
मनरेगा में अधिकतम कितने दिन कार्य किया जा सकता है ? महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत जॉब कार्ड धारी को 100 दिन की रोजगार की गारंटी प्रदान किया जाता है। अतः जो भी जॉब कार्ड धारक है उन्हें ग्राम पंचायत में 100 का रोजगार मिलता है।
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मनरेगा का लाभ
मनरेगा योजना का लाभ लेने के लिए सबसे पहले जॉब कार्ड के लिए रजिस्ट्रेशन करें। इसके बाद आप आपको 15 दिन के अंदर जॉब कार्ड जारी कर दिया जायेगा। जॉब कार्ड मिल जाने के बाद आपको 100 दिनों की रोजगार की गारंटी मिल जाएगी। अब मनेरगा के तहत अपने ग्राम पंचायत में किये जा रहे कार्य में आप भी काम कर सकते है। आपके कार्यों का विवरण आपके जॉब कार्ड में दर्ज किया जायेगा। इसके बाद मजदूरी का पैसा सीधे आपके बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जायेगा।