(मोहम्मद आज़ाद नेब)
जहाजपुर\स्मार्ट हलचल|क्षेत्र की शान माने जाने वाली मॉडल स्कूल आजकल विवादों और राजनीतिक उठापटक का केंद्र बन चुकी है। कभी जिसे अभिभावक अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए पहली पसंद मानते थे, आज उसी स्कूल से वे अपने बच्चों को निकालने को मजबूर हो रहे हैं। ताजा जानकारी के अनुसार, केवल इसी माह 13 विद्यार्थियों ने स्कूल से ट्रांसफर सर्टिफिकेट (टीसी) ले लिया है।
बीते दो वर्षों से मॉडल स्कूल में शिक्षा की जगह राजनीति का बोलबाला देखने को मिल रहा है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि अब स्कूल में पढ़ाई का माहौल नहीं रह गया है। प्रिंसिपल और शिक्षक आपसी आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हुए हैं, जिससे विद्यालय की गरिमा को भारी क्षति पहुंच रही है।
सूत्रों के अनुसार, पिछले एक साल से स्कूल में निरंतर कोई न कोई नया विवाद खड़ा होता रहा है। इन विवादों से जुड़े कई ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो चुके हैं, जिससे स्कूल की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। अभिभावक अब इसे बच्चों के मानसिक और शैक्षणिक विकास के लिए नुकसानदायक मान रहे हैं, और यही कारण है कि वे अपने बच्चों को अन्य स्कूलों में दाखिला दिला रहे हैं।
स्कूल में व्याप्त इस अराजकता के संबंध में कई बार उच्च अधिकारियों तक शिकायतें पहुंच चुकी हैं। जांच के बाद कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों को दोषी भी ठहराया गया है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि स्कूल में चल रही राजनीति को किसी न किसी स्तर पर राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है।
स्थिति यह है कि स्कूल में कार्यरत किसी भी कर्मचारी या अधिकारी की जातिगत पहचान के आधार पर उन्हें स्थानीय नेताओं या जनप्रतिनिधियों का समर्थन प्राप्त होने की चर्चा आम है। इससे एक आदर्श विद्यालय अब राजनीतिक अखाड़ा बन चुका है, और इसका खामियाजा छात्रों और उनके भविष्य को भुगतना पड़ रहा है। जल्द ही इस दिशा में कोई कठोर और निष्पक्ष कदम नहीं उठाया गया, तो आने वाले समय में मॉडल स्कूल का अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है।