– माह के प्रथम गुरूवार को कई ग्राम पंचायतों में लटके रहते हैं ताले – ग्रामीण समस्याओं को लेकर दर-दर भटक रहे
(शिवराज बारवाल मीना)
टोंक।स्मार्ट हलचल/प्रदेश सरकार ने आमजन काे राहत पहुंचाने के लिए मासिक जनसुनवाई का कार्यक्रम तय कर रखा है। इसके लिए प्रत्येक माह के प्रथम गुरूवार काे ग्राम पंचायत स्तर पर, दूसरे गुरूवार काे ब्लाॅक स्तर पर, तीसरे गुरूवार काे जिला कलेक्ट्रेट स्तर पर जनसुनवाई का कार्यक्रम तय कर रखा है। हकीकत में ग्राम पंचायत स्तर पर ग्रामीणाें की जनसुनवाई नहीं हाे पा रही है। कई जनसुनवाई अधिकारी, कर्मचारी तो मौका स्थिति देखने का बहाना बनाकर जनसुनवाई कार्यक्रम से समय पूर्व ही निकल रहे है। गुरूवार काे जिले के पीपलू उपखण्ड क्षेत्र की ग्राम पंचायत सोहेला में जनसुनवाई में अधिकारी ही समय से पहले ही जनसुनवाई को छोड़कर रवाना हो गए। वहीं ग्रामीणाें काे महीने के प्रथम गुरूवार काे ग्राम पंचायत द्वारा जनसुनवाई की सूचना तक उपलब्ध नहीं करवाई गई। गुरूवार को जनसुनवाई में ग्राम विकास अधिकारी, एलडीसी, राेजगार सहायक, पटवारी, कृषि पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आदि माैजूद थे। जनसुनवाई की सूचना नहीं होने के कारण जनसुनवाई की आमजन को राहत नहीं मिल सकी। जनसुनवाई में आने वाले ग्रामीण अपने क्षेत्र की छाेटी-छाेटी समस्या लेकर आते रहते हैं। राेडलाइट नहीं जलने, पानी की समस्या, रास्ते में अतिक्रमण की समस्या, आधार कार्ड, राशन कार्ड में सुधार, नामांतरण, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र सहित ऐसी कई समस्याएं लेकर आते हैं। लेकिन जनसुनवाई में अधिकारी के समय से पूर्व ही रवाना होने से ग्रामीणों को बैरंग लाैटना पड़ता है। जिले में कई ग्राम पंचायत भवनों में तो महीने के प्रथम गुरूवार काे जनसुनवाई के दिन भी ताले लटके रहते हैं। कहीं ग्राम विकास अधिकारियाें के पास दाे से तीन ग्राम पंचायताें का चार्ज हाेने से वे जनसुनवाई में पहुंच नहीं पाते हैं। जिससे आमजन को जनसुनवाई में राहत नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते ग्रामीण अपनी समस्याओं को लेकर विभागों के चक्कर लगाते रहते हैं, ग्राम पंचायतों सहित उपखण्ड स्तर की जनसुनवाई में अधिकतर अधिकारी व कार्मिक भी सिर्फ कागजी खानापूर्ति करते देखे जा रहे है, जो किसी से छुपा हुआ नहीं हैं।