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नैतिक पतन और मानव का गिरता मनोबल- मंजू सिंह (सोशल एक्टिविस्ट एंड नर्सिंग ऑफिसर)

भीलवाड़ा:स्मार्ट हलचल|नर हो न निराश करो मन को कुछ काम करो कुछ काम करो जग में रहकर कुछ नाम करो इस काव्य रचना में मनुष्य को अपना मनोबल कायम रखने के लिए कहा गया है परन्तु वर्तमान में यह देखने में आ रहा है की जरा सी परेशानी या घटना घटने पर मनुष्य इतनी जल्दी विचलित हो जाता है की वह जीवन लीला समाप्त करने जैसा बड़े से बड़ा कदम उठा लेता है या क्रोध में आकर दुसरे पर प्राणघातक हमला करने पर उतारू हो जाता है इन सब बातों को देखते हुए यही लगता है की मनुष्य अपना मनोबल खो बैठा है उसमें इतनी क्षमता नहीं रह गयी है कि वह कष्टों को झेलने का कोई साहसिक कदम उठाये न की विचलित होकर जीवन को पतन की रह पर ले जाए अक्सर देखा जाता है की परीक्षा में असफल होने पर विद्यार्थी आत्महत्या कर लेते हैं या पढाई करना ही छोड़ देते हैं युवा वर्ग प्रेम में असफल होने पर या कोई कार्य न मिलने पर अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं ऐसे में उनकी मनोस्थिति पागलों जैसी हो जाती है या फिर आत्महत्या जैसे घातक कदम उठा लेते हैं या चोर डाकू लुटेरे बन जाते हैं ये ही हाल पुरुष और महिला वर्ग का है जरा घरेलु कलह या सामाजिक परेशानियों से तंग आकर एक दुसरे को मारना पीटना या बच्चो पर गुस्सा उतारना और क्रोध से बेकाबू होकर घातक प्रहार करना ये ही दिनचर्या बना ली जाती है सोचा जाए तो घूम फिरकर ये ही प्रश्न उठता है कि आये दिन राजनीतिक सामाजिक और पारिवारिक घटनाओं का एक ही कारण है नैतिक पतन और इस नैतिक पतन का कारण है अधिक आबादी ऊँचे स्तर का रहन सहन तथा टूटते हुए संयुक्त परिवार और वर्तमान में एक बात और देखने में आ रही है वह यह है की भारत जैसे धार्मिक देश में पश्चिमी सभ्यता का समावेश इस पश्चिमी सभ्यता को अपनाने में बच्चे और युवावर्ग तो शामिल है ही साथ ही माता पिता और धनाड्य परिवार के बड़े बुजुर्ग भी पीछे नहीं हैं बड़े बड़े होटलों और क्लबो में शराब पीना अश्लील कपडे पहनकर डांस करना और मान मर्यादा का ध्यान न रखते हुए अश्लील हरकतें करना यही मानव की दिनचर्या बन गयी है कुछ ही लोग हैं जो अच्छे आचरण और मान मर्यादा की राह पर चल रहे हैं तथा नैतिकता कायम रखे हुए हैं वरना वर्तमान में तो साधू संत और धार्मिक ढिंढोरा पीटने वाले धर्म गुरु ही हाथी दात से कम नहीं अर्थात बाहर से कुछ और अन्दर से कुछ और दिखाने के लिए भगवा और सफ़ेद वस्त्र हैं मन के अन्दर काला चोर है मनुष्य जब संसार में आता है तो नवजात शिशु के रूप में भगवान के समान होता है उसका मन मष्तिष्क कोरे कागज की तरह होता है जैसे जैसे वह बड़ा होता है तो उसे सर्वप्रथम परिवार से संस्कार मिलते हैं फिर समाज से यदि उसमें परिवार वह समाज की तरफ से अच्छे संस्कार दिए जायेंगे तो वह संस्कारी बनेगा यदि परिवार और समाज ही भ्रष्ट होगा तो नवजात शिशु बड़े होकर कैसे संस्कारी बन सकता है वर्तमान समय में नैतिकता पतन की राह पर है माता पिता दोनों के कामकाजी होने की वजह से बच्चे को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाने का समय दोनों में से किसी के पास नहीं है स्कूलों में भी यह प्रथा लगभग समाप्त ही हो गयी है रह गया समाज उसकी तो पूछो ही मत समाज से तो बच्चे बस ये ही सीखते हैं काम क्रोध लोभ जलन द्वेष तथा दुसरे का निवाला छीनकर खाने का रही सही कसर दूरदर्शन के भद्दे विज्ञापनों और गन्दी फिल्मो ने पूरी कर दी है ऐसे में आज के बच्चे जो कल का भविष्य हैं नैतिक संस्कारो के अभाव में कैसे संस्कारी बन सकते हैं उन्हें तो अकल आने पर बस यही जानने समझने को मिलता है की दुनिया में जीवन जीना है तो खूब धन कमाओ कार कोठी होनी चाहिए उसको पाने के लिए चाहे चोरी डकेती ही क्यों न करनी पड़े या किसी की बलि ही क्यों न लेनी पड़े ऊँचा रहन सहन अच्छे कपडे अच्छा खाना बस इसी का नाम जीवन है ये सब बातें ही मिलती हैं नैतिक संस्कारों के रूप में बच्चो को ऐसे में देश कैसे उन्नति कर सकता है यदि समय रहते इस और ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले समय में नैतिक पतन के घातक परिणाम हो सकते हैं परिवार समाज और मीडिया तथा दूरदर्शन सभी को इस और ध्यान देना चाहिए बच्चो में परिवार समाज और नेटवर्क की तरफ से नैतिक संस्कार डालने चाहिए !

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
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