वैर भाव क्रोध कषाय की गांठ क्षमा धर्म से ही खुल सकती है: सुप्रभ सागर महाराज
-द्वितीय विद्या वर्धन श्रावक संस्कार शिविर के माध्यम से शिविरार्थी होंगे संस्कारित
बूंदी, 28 अगस्त। स्मार्ट हलचल|श्री शांतिसिंधु प्रभावना पावन वर्षायोग के तत्वावधान में पट्टाचार्य श्री वर्धमानसागर महाराज के शिष्य मुनि सुप्रभ सागर महाराज व आचार्य सुमति सागर महाराज के शिष्य मुनि वैराग्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में दशलक्षण (पर्युषण) महापर्व की आराधना देवपुरा में स्थित बघेरवाल छात्रावास के शांतिसिंधु सभा मंडपम में गुरुवार को प्रातः 7 बजे से प्रारम्भ हुई।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के मंत्री दिनेश बोरखंडिया ने बताया कि दशलक्षण पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म पर प्रवचन देते हुए मुनि सुप्रभ सागर महाराज ने कहा कि इन दस दिनों में धर्म आराधना व चिंतन नहीं कर पाए तो पूरा वर्ष व्यर्थ हो जाएगा। उन्होंने कहा कि पर्युषण पर्व के दिनों में मन व मतभेद को मिलाने की आवश्यकता है। व्यक्ति ने मन में जो वैर भाव क्रोध कषाय की गांठ बांधकर रखी है वह गांठ केवल धर्मरूपी क्षमा धर्म से ही खुल सकती है। जीवन में मन के क्रोध कषाय वैर भाव को समाप्त करके ही मनुष्य सच्चे सुख व शांति को प्राप्त कर सकता है।
मुनि वैराग्य सागर महाराज ने कहा कि क्रोधी व्यक्ति का धर्म धन बुुद्धि नष्ट हो जाती है। व्यक्ति को मन में क्रोध का भाव हो तो उसके निर्णय करने की शक्ति भी समाप्त हो जाती है। मुनिश्री ने कहा कि क्रोध मे व्यक्ति स्वयं के साथ साथ दूसरे को भी जलाता है। किसी भी समस्या का हल क्षमा भाव से ही होता है।
चातुर्मास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष पदम बरमुंडा व संयोजक कमल कोटिया ने बताया कि दशलक्षण मंडल एवं श्रावक संस्कार शिविर मुख्य मंगल कलश की स्थापना कैलाशचंद ओमप्रकाश नरोत्तम आयुष आरुष ठग परिवार ने की। इस विधान मंडल के चारों ओर कलश स्थापना नरेन्द्र कुमार सुरेन्द्र कुमार हरसौरा , केसरीलाल धानोत्या, रितेश कुमार सबदरा, पवन कुमार राहुल कुमार पेठावालों ने किया।
चातुर्मास व्यवस्था समिति केउपाध्यक्ष गजेंद्र हरसोरा, उप संयोजक सुरेश कोटिया, भानु खटोड कोषाध्यक्ष जम्बू कुमार धानोत्या ने बताया कि दस दिनों तक चलने वाला अखण्ड दीप प्रज्वलन शांतिसिंधु प्रभावना वर्षा योग ने किया। जिनवाणी स्थापना देवपुरा मंदिर प्रबंध समिति ने की। मंडल विधान में सौधर्म इंद्र व इंद्राणी बनकर पूजन करने का सौभाग्य चक्रवर्ती अशोक कुमार धानोत्या व अक्षया जैन को प्राप्त हुआ। कुबेर इंद्र बनने का सौभाग्य नरेन्द्र कुमार महेन्द्र कुमार कोटिया परिवार को प्राप्त हुआ।मिडिया प्रभारी नरोत्तम जैन ने बताया जबलपुर से आई संगीतकार प्राची जैन ने संगीतमय तरीके से पूजन संपन्न करवाई। सभी धार्मिक क्रियाएं बा.ब्र. मनीष भैया एवं देवेन्द्र कुमार जैन ने संपन्न करवाई।


