शाहपुरा- मूलचन्द पेसवानी
समर्पण, श्रद्धा और दृढ़ इच्छाशक्ति का अद्भुत उदाहरण पेश करते हुए शाहपुरा क्षेत्र के खामोर गांव के दो युवा किशन गुर्जर व राहुल प्रजापत गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने की मांग को लेकर भारत की लंबी एवं भव्य यात्रा पर निकल पड़े हैं। इन युवाओं ने न बस, न ट्रेन और न किसी अन्य वाहन का सहारा लिया३ बल्कि पूरी यात्रा केवल साइकिल से तय करने का संकल्प लिया है।
सोमवार को यात्रा का पहला पड़ाव शाहपुरा रहा, जहां त्रिमूर्ति स्मारक परिसर में गौसेवकों ने दोनों यात्रियों का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस अवसर पर युवाओं के हौसले और जज्बे की सराहना करते हुए कई गौ-प्रेमी भावुक हो उठे।
किशन व राहुल का यह सफर महज एक यात्रा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और गौ-संरक्षण का संदेश लिए एक अभियान है। दोनों युवाओं के अनुसार, इस यात्रा को पूरा करने में करीब डेढ़ साल (18 माह) का समय लगेगा। यात्रा का मार्ग आध्यात्मिक स्थलों से भरा लंबा और कठिन सफर होगा
12 ज्योतिर्लिंग, चार धाम (बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी, रामेश्वरम), अनेक प्रमुख तीर्थस्थल, नेपाल के पशुपतिनाथ तक का सफर
इन सभी को साइकिल से पूरा करना इन युवाओं के साहस, निष्ठा और देश में गौमाता के सम्मान की भावना को दर्शाता है।
दोनों युवाओं ने बताया कि यात्रा की शुरुआत मध्यप्रदेश के ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग से होगी। इसके बाद उज्जैन महाकालेश्वर, गुजरातकृनागेश्वर व सोमनाथ, महाराष्ट्रकृत्र्यंबकेश्वर, भीमाशंकर, तमिलनाडु रामेश्वरम, आंध्र तिरुपति बालाजी, मल्लिकार्जुन ओडिशा जगन्नाथ पुरी, झारखंड बाबा बैद्यनाथ धाम, उत्तर प्रदेश काशी विश्वनाथ, उत्तराखंड हरिद्वार, ऋषिकेश, केदारनाथ, बद्रीनाथ, फिर नीम करोली बाबा के दर्शन, नेपाल पशुपतिनाथ, वापसी में अमरकंटक व नर्मदा मैया का दर्शन, अंत में अपने गांव खामोर की धरती पर लौटने का संकल्प।
दोनो यात्रियों का कहना है कि “यह यात्रा अपने आप में गौरवशाली, प्रेरणादायी और भारतीय संस्कृति के प्रति समर्पण का प्रतीक बनी रहेगी।” गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा प्रमुख लक्ष्य
दोनों युवाओं ने स्पष्ट कहा कि यह यात्रा गौ-संरक्षण की भावना को जन-जन में पहुंचाने के लिए है। वे लोग गांव-गांव, शहर-शहर संदेश फैलाएंगे कि गौमाता केवल एक पशु नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं। उनकी मांग है कि “भारत सरकार गौमाता को राष्ट्र माता का दर्जा प्रदान करे।”
इसी उद्देश्य को पूरे देश में प्रचारित करते हुए वे जागरूकता अभियान भी चलाएंगे और गौशालाओं में सेवा गतिविधियों में भाग लेंगे। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज कराने का भी इरादा युवाओं ने बताया कि यह यात्रा अपनी तरह का अनूठा प्रयास है। उनका लक्ष्य है विश्व रिकॉर्ड बनाना दुनिया को सनातन संस्कृति और हिंदू तीर्थों की महिमा से परिचित कराना
युवाओं ने कहा कि “हम अपने देश की आध्यात्मिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का संदेश लेकर निकल रहे हैं। यह साइकिल यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए उदाहरण बनेगी।”
दोनों यात्रियों ने कहा कि रास्ता लंबा और कठिन जरूर होगा, लेकिन उनका उत्साह अटूट है। वे जहां भी पहुंचेगे, रात में मंदिरों व गौशालाओं में रुकेंगे व वहीं भोजन करेंगे। मार्ग में मौसम, पहाड़, थकान और सुरक्षा जैसी चुनौतियाँ होंगी परंतु संकल्प मजबूत है और आस्था विशाल।
खामोर गांव और शाहपुरा क्षेत्र में इन दोनों युवाओं की चर्चा जोरों पर है। लोग उन्हें समाज और देश के लिए प्रेरक रूप में देख रहे हैं। सामाजिक संगठनों ने यात्रा को सराहनीय बताते हुए इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। यह यात्रा सिर्फ दो युवाओं का साहसिक प्रयास नहीं बल्कि गौ-भक्ति, राष्ट्रीय संस्कृति और भारतीय आध्यात्मिक एकता की मिसाल है।


