मुकेश खटीक
मंगरोप।हमीरगढ़ उपखण्ड क्षेत्र के भैसाकुण्डल गांव के लोगों ने नवगठित ग्राम पंचायत नाथड़ियास में शामिल किए जाने के फैसले पर नाराजगी जताई है।ग्रामीणों ने इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है।उनका कहना है कि यह फैसला बिना पारदर्शिता और बिना जनसुनवाई के लिया गया है।ग्राम भैसाकुण्डल की कुल मतदाता संख्या 1347 है। पहले यह ग्राम पंचायत देवली का हिस्सा था।देवली से इसकी दूरी केवल 1 किलोमीटर है।इससे प्रशासनिक और विकास कार्यों में आसानी होती थी।हाल ही में हुए परिसीमन के बाद इसे नाथड़ियास पंचायत में जोड़ दिया गया।जबकि नाथड़ियास की मतदाता संख्या केवल 900 है।ग्रामीणों का कहना है कि मतदाता संख्या के आधार पर नाथड़ियास को पंचायत केंद्र बनाना तर्कसंगत नहीं है।गांव की जनसंख्या और भौगोलिक स्थिति को देखते हुए ग्रामीणों का कहना है कि भैसाकुण्डल को स्वतंत्र ग्राम पंचायत बनाया जा सकता था।ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह फैसला राजनीतिक दबाव में लिया गया है।इससे लोगों का प्रशासन पर से भरोसा उठ रहा है।गांववालों ने यह भी मांग की है कि परिसीमन प्रक्रिया में अपनाए गए मापदंड और तर्क सार्वजनिक किए जाएं।ताकि यह स्पष्ट हो सके कि यह निर्णय निष्पक्षता से लिया गया है या नहीं।ग्रामीणों ने कहा कि यदि आज़ादी के समय इसी तरह की अव्यवस्था होती,तो हैदराबाद गुजरात में और जयपुर बिहार में शामिल हो जाता।ग्रामवासियों ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं। पहली,भैसाकुण्डल को स्वतंत्र ग्राम पंचायत घोषित किया जाए।दूसरी,परिसीमन समिति के निर्णयों की जांच कर रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए। तीसरी, भविष्य में ऐसे फैसलों से पहले ग्रामवासियों की सहमति और जनसुनवाई अनिवार्य की जाए।ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि इन बिंदुओं पर गंभीरता से विचार कर उचित निर्णय लिया जाए, ताकि गांव के हितों की रक्षा हो सके।