देशभर से नीट परीक्षा के बीस हजार परीक्षार्थियों की ओर से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर होगी याचिका
नईदिल्ली/कोटा, 9जून। स्मार्ट हलचल/देश की सबसे बडी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी,2024 के रिजल्ट को लेकर न्यायिक लडाई तेज हो गई है। नीट-यूजी में अनियमितताओं पर डिजिटल सत्याग्रह के तहत देशभर से 20 हजार विद्यार्थियों की शिकायतों पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जायेगी। पीडित विद्यार्थियों ने न्याय की मांग करते हुये कहा कि नीट-यूजी परीक्षा दोबारा हो या ग्रेसिंग अंक खत्म किये जाएं।
मोशन एजुकेशन के सीईओ नितिन विजय ने बताया कि 20 हजार परीक्षार्थियों ने अंतरराष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा की पारदर्शिता पर कुछ सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि इस वर्ष ऑल इंडिया रैंक-1 पर एक साथ 67 विद्यार्थी कैसे आ गये। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। दूसरा, सैकडों परीक्षार्थियों को ग्रेस अंक के बहाने 720 में से 718 व 719 अंक कैसे दे दिए गये। यदि अभ्यर्थी सारे प्रश्न सही करता तो पूरे 720 अंक मिलते और एक भी गलत करता तो नेगेटिव मार्किंग होने से अधिकतम 715 नंबर ही मिलते। एक प्रश्न छोड़ देता तो 716 अंक मिलते। ऐसे में 718 व 719 अंक पर आपत्ति है। याचिका में कहा गया कि एनटीए द्वारा 14 जून को रिजल्ट जारी करने की घोषणा की गई थी, अचानक परिणाम 10 दिन पहले 4 जून शाम को जारी कर दिया गया। इसके क्या कारण रहे।
कटऑफ में 44.14 अंकों की वृद्धि कैसे
गत पांच वर्षों की कटऑफ देखें तो इस वर्ष नीट-यूजी में क्वालिफाई होने के लिये 720 में से 323.55 औसत अंक रहे। जबकि गत वर्ष कटऑफ 279.41 अंक थी। इस तरह, कटऑफ अंकों में 44.14 अंकों की वृद्धि हुई। जिससे सभी परीक्षार्थियों की रैंकिंग में आश्चर्यजनक परिवर्तन हो गया। गत वर्ष 605 अंकों पर पर 26,485 विद्यार्थी थे, जो इस वर्ष बढकर 76 हजार हो गए। यह समझ से परे है कि एक ही वर्ष में तीन गुना अंतर कैसे हो गया।
23.33 लाख विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर-
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा नीट-यूजी,2024 का रिजल्ट 4 जून को घोषित किया गया है। 5 मई को यह परीक्षा देश-विदेश के 571 शहरों के 4750 परीक्षा केंद्रों पर 13 भाषाओं में पेन-पेपर मोड में हुई थी। जिसमें कुल 23,33,297 परीक्षार्थियों ने पेपर दिया। एनटीए ने इनमें से 13,16,268 ( 56.41 प्रतिशत) को क्वालिफाई घोषित किया है।
ग्रेस अंकों के औचित्य पर संदेह-
नीट-यूजी में इतने अधिक ग्रेस अंक देने से सैंकडों परीक्षार्थी टॉपर्स की सूची में पहुंच गए। जबकि हजारों परीक्षार्थी अच्छे प्राप्ताकों के बावजूद रैंकिंग में नीचे चले गये। याचिका में एनटीए द्वारा ग्रेस अंकों के निर्णय पर कई सवाल उठाए हैं। एनटीए ने परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी फुटेज, वहां नियुक्त पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट और परीक्षार्थियों की दक्षता के आधार पर ग्रेस अंक देने की बात कही है। लेकिन इसमें कौनसा फॉर्मूला अपनाया, ग्रेस अंक किस आधार पर दे दिए गये। जैसे- किसी अभ्यर्थी को पेपर 15 मिनट देर से वितरित हुआ तो उसे मिनट के हिसाब से अंक दिये गए या अन्य तरीका रहा, यह स्पष्ट नहीं है। केवल यह कहना कि कुछ केंद्रों पर पेपर में देरी हुई, इसलिये ग्रेस अंक दे दिये गये। दूसरी आपत्ति यह कि ऑफलाइन पेपर में सीसीटीवी फुटेज या सेंटर में मौजूद कार्मिक परीक्षार्थियों की एक्यूरेसी कैसे निकाली सकतेे हैं।
एक सेंटर पर 6 छात्रों को एआईआर-1
याचिका में कहा गया कि झज्जर (हरियाणा) के एक परीक्षा केंद्र पर 8 परीक्षार्थी टॉप-100 में हैं। इनमें से 6 को एआईआर-1 दे दी गई। इनके रोल नंबर का क्रम एक साथ ही है। उनके फॉर्म एक साथ भरे गए हैं और एक ही सेंटर है। इसके अलावा मेघालय, बहादुरगढ़ (हरियाणा), दंतेवाड़ा, बालोद (छत्तीसगढ़), सूरत (गुजरात) और चंडीगढ़ से भी शिकायतें मिली हैं। कुल मिलकर इसमें परीक्षा की पारदर्शिता भंग हुई है।
एनटीए की पारदर्शिता संदिग्ध-
शिक्षाविद नितिन विजय ने बताया कि इस मामले में शनिवार को एनटीए मुख्यालय पहुंचे। काफी बहस के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने नीट विद्यार्थियों की शिकायत ली। लेकिन इसकी रसीद नहीं दी गई। एनटीए सुरक्षा अधिकारियों ने इसकी वीडियो रिकॉर्डिंग पर भी आपत्ति की। वहां मौजूद एक छात्रा को मार्कशीट में 605 अंक दिये गये जबकि ओएमआर शीट में उसके 652 अंक दिखाये गये। ओएमआर शीट की पीडीएफ ऑनलाइन नजर नहीं आ रही है। एनटीए स्टाफ का कहना है कि ओएमआर शीट में आग लग गई, इसलिए ऐसा हुआ। हंगामा होने पर उसे ओएमआर शीट दिखाई गई।
ग्रेस अंकों का कोई ठोस आधार नहीं-
कोर्ट के जिस फैसले में ऑनलाइन क्लेट,2018 में ग्रेस अंकों का उल्लेख है, उस आधार पर एनटीए ने नीट-यूजी में भी ग्रेस अंक दिए हैं। उसमें सबसे ऊपर लिखा है कि मेडिकल ओर इंजीनियरिंग के मामले यह लागू नहीं होगा। किस स्टूडेंट का कितना समय बर्बाद हुआ, एनटीए ने यह सेंटर पर लगे सीसीटीवी कैमरों के आधार पर तय किया है लेकिन पूरी टीम भी यह फुटेज देखने में लगे तो दो साल लग जाएंगे। इसलिए एनटीए की ओर से टाइम लूज होने पर ग्रेस अंक देने का कोई के आधार या तर्क नहीं है। उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई जल्द ही करेगा।
-दिनेश जोतवानी, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, नई दिल्ली