सुप्रीम कोर्ट ने आज नीट यूजी मामले पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि 1 लाख 8 हज़ार सीटो के लिए 23 लाख से ज़्यादा छात्रों ने परीक्षा में हिस्सा लिया। इनमें 52 हज़ार निजी कॉलेजों और 56 हज़ार सरकारी कॉलेज में सीट है। परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं, जिनके कुल अंक 720 होते हैं और गलत उत्तर के लिए एक नकारात्मक अंक होता है। सीजेआई ने सबमिशन को दर्ज किया कि लगाए गए दो प्रमुख आरोप हैं कागजातों का लीक होना और व्यवस्थागत विफलता। याचिकाकर्ताओं ने सिस्टेमेटिक विफलता का सवाल उठाकर दोबारा परीक्षा की मांग की है। कई राज्यों में इसे लेकर FIR भी दर्ज हुई है।
नहीं होगी री-नीट
इसके बाद कोर्ट ने अपना आदेश में कहा कि नीट यूजी की परीक्षा दोबारा नहीं होगी। CJI ने कहा कि CBI की जांच अधूरी ही है, इसलिए हमने NTA से ये स्पष्ट करने को कहा था कि क्या गड़बड़ी बड़े पैमाने पर हुई है या नहीं। केन्द्र और NTA ने अपने जवाब में IIT मद्रास की रिपोर्ट का हवाला दिया है। चीफ जस्टिस ने आगे कहा कि हमारे समक्ष प्रस्तुत सामग्री और आंकड़ों के आधार पर प्रश्नपत्र के व्यवस्थित लीक होने का कोई संकेत नहीं है, जिससे परीक्षा की शुचिता में व्यवधान उत्पन्न होने का संकेत मिले। इसके बाद SC ने नीट की दोबारा परीक्षा कराने से इंकार किया। कोर्ट ने कहा कि जो तथ्य उसके सामने उपलब्ध है,उसके मद्देनजर दोबारा परीक्षा कराना न्यायोचित नहीं होगा।
दागी छात्रों अलग किया जा सकता है
CJI ने कहा कि दागी छात्रों को बाकी छात्रों से अलग किया जा सकता है। यदि जांच में लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि का पता चलता है तो काउंसलिंग प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद किसी भी स्तर पर ऐसे किसी भी छात्र के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जो कोई भी छात्र जो इस धोखाधड़ी में शामिल पाया जाता है या लाभार्थी है, उसे प्रवेश पाने का अधिकार नहीं होगा। CBI की जाँच के मुताबिक पेपर लीक की वजह से 155 ऐसे छात्र है जिन्हें गड़बड़ी का फायदा मिला है।
क्या है पूरा मामला
NEET का 4 जून को रिजल्ट आने के बाद से पेपर लीक को लेकर छात्रो का आक्रोश सामने आया था। सबसे पहले इस परीक्षा में बिहार में पेपर लीक की खबर ने तूल पकड़ा था। उसके बाद रिजल्ट आने पर परीक्षा में 67 टॉपर और एक ही परीक्षा केंद्र से कई टॉपर आना, एक सवाल के दो उत्तर, ग्रेस मार्क्स जैसे प्वाइंट्स किसी को हजम नहीं हो रहे थे। उसी दौरान नेशनल टेस्टिंंग एजेंसी पर भड़के छात्रों ने पूरे देश में रिजल्ट में हेरफेर और पेपरलीक को लेकर प्रदर्शन किया।
परीक्षा में पेपर लीक के संदेह पर देशभर के हाईकोर्ट में दोबारा परीक्षा कराने की मांग को लेकर याचिकाओं का सिलसिला शुरू हुआ। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में एक साथ सभी याचिकाओं को सुनने की कार्यवाही शुरू हुई। इस सुनवाई में बिहार पेपर लीक से लेकर हजारीबाग, सीकर और गोधरा तक के मामलों की जांच, एक सवाल के दो उत्तर, सीबीआई जांच जैसे सभी मुद्दों पर बहस हुई। सर्वोच्च अदालत की बेंच ने सभी पहलुओं पर बहस सुनने के बाद यह तय किया कि इस पर जल्द से जल्द फैसला देना होगा, क्योंकि छात्रों को किसी भी हाल में लटकाकर नहीं रख सकते।