Homeराजस्थानउदयपुर-राजसमन्दएनआई में एआई को भी मात देने की सामर्थ्य - प्रो. जोशी

एनआई में एआई को भी मात देने की सामर्थ्य – प्रो. जोशी

उदयपुर, 25दिसम्बर। स्मार्ट हलचल|व्यापार और वाणिज्य क्षेत्र में भले ही एआई आज पूरे विश्व में अपने पैर पसार रहा है किन्तु इस कृत्रिम बुद्धिमत्ता से जीवनमूल्यों की समझ देने वाली विवेकबुद्धि नहीं आ सकती। ध्यान से नैसर्गिक बुद्धिमत्ता आती है और इससे एआई को भी मात दी जा सकती है।
मानव मन को स्वस्थ बनाये रखने के साथ नैसर्गिक बुद्धिमत्ता (नैचूरल इन्टेलीजेंसी) को पाने में चक्रात्मक ध्यान की भूमिका बेहद कारगर है। भौतिक चकाचौंध के वर्तमान परिदृश्य में शारीरिक फिटनेस को जितना महत्त्व दिया जा रहा है उतना मानसिक स्वास्थ्य को दिया जाए तो कायाकल्प हो सकता है।
यह विचार केन्द्र सरकार की योजनान्तर्गत राजस्थान के एकमात्र आईकेएस सेंटर राजकीय मीरा कन्या महाविद्यालय उदयपुर में आयोजित भारतीय ज्ञान परम्परा आधारित ध्यानयोग की विशेष व्याख्यानमाला में संस्कृताचार्य एवं जीजीटीयू बाँसवाड़ा के उप कुलसचिव प्रो. राजेश जोशी ने व्यक्त किये।
कहे। प्रारम्भ में महाविद्यालय प्राचार्य प्रो. दीपक माहेश्वरी ने स्वागत उद्बोधन में विश्व ध्यान दिवस की उपादेयता बताई।
मुख्य वक्ता प्रो. जोशी ने कहा कि प्रतिस्पर्द्धा, रोजगार और करियर के दबाव के चलते छात्रों की दिनचर्या सर्वाधिक प्रभावित हुई है। हजारों साल पहले प्रवृत्त हुई भारत की ध्यान परम्परा विश्व मानवता को दी गई उत्कृष्ट देन है। ध्यान नसों-नाड़ियों के रक्त प्रवाह को ठीक करने, भीतर के ऊर्जा स्तर को बढ़ाने में कारगर है। षटचक्रों की मंत्रध्वनियाँ अल्ट्रासाउंड जितनी ही असरकारी होती हैं। जब ये शरीर में उतरती हैं तो सूक्ष्म तरंग रूप में वाइब्रेट होकर सकारात्मकता बढ़ा देती हैं। अवसाद से बचने और आत्मिक आनंद पाने के लिये ध्वनि और तरंग के रूप में बीज मंत्र का प्रयोग महत्त्वपूर्ण है। हार्मोन उत्सर्जित करने वाली ग्रन्थियों पर दबाव पड़ने से ये उत्तेजित होती हैं, जिससे सकारात्मकता बढती जाती है। यही कुण्डलिनी जागरण है जिससे जीवन में शान्ति, ओज और तेज प्राप्त होता है।
मुख्य वक्ता डॉ जोशी ने बताया कि आज की जीवन शैली बहुत ही तनावपूर्ण है। हम सब अपने-अपने लक्ष्य से भटके हुए हैं। भारत की ज्ञान परंपरा आयुर्वेद एवं योग पर आधारित है। आश्चर्य है कि आज भारत से भी ज्यादा शोध विदेशों में हो रहा है। इसी कारणों से विश्व ध्यान दिवस मनाया जा रहा है। ध्यान पूर्णतः वैज्ञानिक एवं तथ्य पूर्ण है। ध्यान के माध्यम से हम अपने आप को अनुशासित कर सकते हैं। मेडिटेशन के लिए मंत्र, श्वास और मन, इन तीन तत्त्वों की आवश्यकता है। जिससे हम अपने जीवन को संयमित कर सकते हैं।जोशी ने माता त्रिपुरा सुन्दरी से सम्बद्ध श्रीविद्या, तन्त्रशास्त्र, कुण्डलिनी जागरण, षट्चक्रभेदन, इडा, पिंगला एवं सुषुम्ना नाड़ीत्रय का विज्ञान सम्मत विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि आज सम्पूर्ण मानवता तनावग्रस्त है और आत्महत्या की घटनाएँ बहुत बढ़ गई हैं। ऐसी विषम परिस्थिति में भारतीय ऋषियों द्वारा निर्दिष्ट ध्यानयोग ही विश्वकल्याण की ओर प्रवृत्त कराने में समर्थ है। आज विश्व के बहुत से देशों में त्रिपुरसुन्दरी ध्यानयोग प्रचलित है और जनसामान्य इससे लाभान्वित हो रहा है। उन्होंने योगाभ्यास से होने वाले प्रचूर लाभों का विवरण प्रस्तुत करते हुए सभी से ध्यानयोग करने आह्वान किया।
सर्वप्रथम प्राचार्य प्रो दीपक माहेश्वरी ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ कैलाश नागर ने किया और संयोजक प्रो नवीन कुमार झा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर बड़ी संख्या में छात्राएं एवं संकाय सदस्य उपस्थित रहे।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
news paper logo
RELATED ARTICLES