देर रात्रि बुलेट सवार तीन पुलिसकर्मियों ने कि खेत पर रखवाली करने गए दो किसानो की पिटाई
आमजन को मिलेगा न्याय या कागजों में सिमट कर रह जाएगी जनता की पुकार
सांवर मल शर्मा
आसींद । आसींद उपखंड क्षेत्र के नेगड़िया रोड स्थित एक खेत के बाहर रखवाली कर रहे दो किसानो के साथ तीन पुलिसकर्मियों के द्वारा मारपीट की गई । पीड़ित किसान जीवनलाल गुर्जर ने बताया कि कि वे और उनके साथी सुरेश गुर्जर खेत के बाहर देर रात्रि अलाव लगाकर खेतों की रखवाली कर रहे थे वहीं इसी दौरान एक लाल बुलेट पर सवार तीन पुलिसकर्मी वहां पहुंचे एवं बिना वजह बबुल की लकड़ी से हमारे साथ मारपीट करने लगे वही तीनों पुलिसकर्मी नशे में चूर थे तथा संबंधित घटना को लेकर देवसेना जिला अध्यक्ष लादू लाल गुर्जर के सानिध्य में सैकड़ो की तादाद में लोग पुलिस उपाधीक्षक कार्यालय पहुंचे एवं पुलिस उपाधीक्षक ओमप्रकाश सोलंकी को तीन नामजद पुलिस कर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए पुलिस कर्मियों के निलंबन की मांग रखी |वहीं पुलिस उपाधीक्षक के द्वारा रिपोर्ट लेकर आगे की अनुसंधान कार्रवाई जारी है
आसींद में हाल ही हुई घटना ने एक बार फिर पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं । जहां पुलिस को कानून व्यवस्था बनाए रखने और नागरिकों की सुरक्षा करने की जिम्मेदारी होती है वही आसींद में पुलिसकर्मियों द्वारा की गई है बेकसूर किसानों के साथ मारपीट की इस घटना ने क्षेत्र में रोष की लहर पैदा कर दी है क्षेत्र में आमजन के साथ पुलिस के द्वारा इस प्रकार की घटना पर लोग सवाल कर रहे हैं । कि क्या पुलिस कर्मियों को इस तरह की बर्बरता करने का अधिकार है ?क्या रक्षक ही भक्षक बन गए हैं ? इस घटना ने पुलिस और जनता के बीच विश्वास को गहराई से चोट पहुंचाई है । लोग अब पुलिस पर भरोसा करने से हिचकिचाएंगे । अगर पुलिस ही कानून का उल्लंघन करेगी तो आम नागरिक किस पर भरोसा करें| समाज में असुरक्षा जब पुलिस ही सुरक्षित महसूस नहीं कराए तो आम नागरिक कैसे सुरक्षित महसूस कर सकते हैं| लोकतंत्र में जनता को सुरक्षा का कानून दिलाने हेतु प्रावधान बना हुआ है । लेकिन जब पुलिसकर्मी ही अपने मनमर्जी के मालिक बनकर अपनी वर्दी का रोब जाडते हुए जनता के साथ दुर्व्यवहार करें । जिस लाठी का प्रयोग जनता की सुरक्षा के लिए होता है इस लाठी से आम जनता की पीठ पर बिना किसी कारण के प्रहार पर प्रहार करना कहां तक न्याय उचित है | पूछता है आसींद , वर्दी का रोब जनता पर भारी| क्या यही है लोकतंत्र में जनता के प्रति सुरक्षा की जिम्मेदारी |