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आजादी के 77 साल बाद भी सड़क की बाट जोह रहा, केकड़ी जिले की गोरधा ग्रांम पंचायत का एक गांव 

गोपालपुरा वासियों को हर बार मिलता है सिर्फ कोरा आश्वासन ।

दिलखुश मोटीस

सावर(केकड़ी)स्मार्ट हलचल/देश को आजाद हुए 77 साल हो गया है । मगर कई गांव ऐसे हैं, जहां अब तक पक्की सड़क जैसी मूलभूत सुविधा भी लोगों को नहीं मिल पाई है. ऐसा ही एक गांव केकड़ी ज़िले में भी है । सावर ब्लॉक की गोरधा ग्रांम पंचायत के गोपालपुरा (शोक्या खेड़ा) के ग्रांमीण बताते है गांव में सड़क बनते देखना उनका एक सपना है उन्हे नहीं पता की यह सपना पूरा होगा या नहीं .
केकड़ी ज़िले के सावर ब्लॉक की गोरधा ग्रांम पंचायत के गांव गोपालपुरा (शोक्या खेड़ा) ज़िला मुख्यालय से करीब 42 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. गांव की आबादी करीब 320 से 300 है. हर चुनाव में जनप्रतिनिधि यहां वोट के लिए तो पहुंचते है , लेकिन इस गांव में अब तक पक्की सड़क नहीं है .
अब तक से गोपालपुरा से चोकी का झोपड़ा (शोक्या खेड़ा) जोड़ने वाली 3 किलोमीटर की सड़क नहीं बनी. जिससे बारिश के मौसम काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है पक्की सड़क नहीं बनने से उन्हें बारिश के समय ग्राम पंचायत संबंधित काम के दूसरे रास्ते से जाना पड़ता है. जो कि 7 किलोमीटर ज्यादा है. गांव के अधिकांश लोग रोजगार और काम सिलसिले में केकड़ी जाते है. तब उन्हें दूसरे रास्ते से आना जाना पड़ता है ।

बारिश के समय छात्र-छात्राएं परेशान , बिना जुते-चप्पल के जाना पड़ता है स्कूल

गोपालपुरा से शोक्या खेड़ा राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय आने वाले विधार्थी बताते हैं कि बारिश के समय में पुरा रास्ता कीचड़ और पानी से खराब रहता है, जिसमें चलते हमें बिना जूते चप्पल के स्कूल आना पड़ता है यदि हम जुते चप्पल पहनकर आते हैं तो कच्ची सड़क और कीचड़ के कारण जुते चप्पल वहीं टुट फुट जाते हैं, वहीं बुजुर्ग एवं बीमार लोग खासकर गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक लाने ले जाने आने में काफी कठिनाई होती है। इसी रास्ते में गोपालपुरा गांव के पास वाली पुलिया बिल्कुल टुट फुट कर खत्म हो गई है। ग्रामीणों व समाजसेवी लोगों की मदद से क्षतिग्रस्त पुलिया में मोहर्रम डलवाई गई है ।

पंचायत प्रशासन हर बार बजट का बहाना बनाकर टाल देता काम

संबंधित सड़क के लिए ग्रामीण जब पंचायत प्रशासन के जिम्मेदारो से सड़क बनाने की मांग करते हैं तो अगले बजट में बनाने का बहाना बनाकर जायज मांग को टाल देते हैं।

हर बार मिलता है सिर्फ कोरा आश्वासन:

ग्रामीणों का कहना है कि कई बार उन्होंने अधिकारियों से लेकर सरपंच प्रतिनिधियों से सड़क बनाने की गुहार लगाई लेकिन हर बार उन्हें आश्वासन दे दिया जाता है.

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