महावीर मूंडली
स्मार्ट हलचल/मांगरोल बारां जिले के मुकाबले कोटा जिले में किसानों को खाद की पर्याप्त उपलब्धता के लिए स्थानीय प्रतिनिधियों का प्रयास किसानों को सार्थक परिणाम दिला रहा है लेकिन बारां जिले में किसानों की समस्याओ पर चारों विधान सभा के प्रतिनिधियो को मानो कोई सरोकार तक नहीं है, सयुक्त किसान संघर्ष समिति विधानसभा अंता मांगरोल के संयोजक रामचंद्र मीणा का कहना है की पहले सोयाबीन के समर्थन मूल्य को बढ़ाने के लिए किसानों कै लाख प्रयासों के बाद भी जिले में किसी एक भी प्रतिनिधि के कानों में जू तक नहीं रेंगी, जिसके चलते हजारों रुपए का घाटा उठाकर किसानों को सोयाबीन की फसल व्यापारियों को उनके मनमर्जी के भाव बेच कर खाद बीज के लिए पैसा तो जुटाया गया मगर कम लागत में फसलें बेचकर पैसा जुटाने तथा उस पैसे को खर्च करने के बाद भी बुवाई का अंतिम समय आ जाने तक श्रेत्र, में आधे से ज्यादा खाद से किसानों की झोली खाली, हे ,यह बड़े दुर्भाग्य की बात है की एक एक खाद के कट्टे के लिए किसानों की महिलाए और पुरुषों को हर रोज लाइनों में धक्के खाना पड रहा उसके बाद भी खाद डीलरो की मनमानी को महंगे खाद के कट्टो के साथ जबरदस्ती महंगा अटैचमेंट लगाकर किसानों को लूटने के लिए प्रतिनिधियों से लेकर प्रशाशन व सरकार का पूरा समर्थन मिल रहा है, मगर किसानों कै हितों के प्रति कोई भी गंभीर नहीं है खाद डीलरो की मनमानी और शासन प्रशाशन के बीना अंकुश के खाद के साथ जबरदस्ती लगाए जा रहे उत्पादों से, छोटे किसानों को वर्तमान में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है समिति द्वारा व्यक्तिगत रूप से इस मुद्दे को बार बार जिला प्रशासन, व प्रतिनिधियों के समक्ष पूरजोर तरीके से रखने के बाद भी खाद डीलरो की मनमानी पर अंकुश लगाए जाने की बजाए उसे जारी रखा जाना, नीचे से ऊपर तक, सांठगांठ व कमीशन के खेल को साफ दर्शा रहा है, अफ़शीश की बात है की चुनावो से पहले किसानों कै बीच में बड़े बड़े दावे और वादे करने वाले प्रतिनिधि महज एक साल में कैसे भूल गए ,मीणा ने कहा की समय बदलते देर नहीं लगती, अंता विधान सभा श्रेत्र में किसान ही सत्ता परिवर्तन का सूत्रधार बनता हे किसानों की उपेक्षा का, यही हाल रहा तो आने वाले समय में बड़े पैमाने पर, गांवों गांवों में जनप्रतिनिधियों को किसानों की नाराजगी का सामाना तक करना पड़ सकता हे