हरिप्रसाद शर्मा
अजमेर()स्मार्ट हलचल/अजमेर में स्थित विश्व प्रसिद्ध सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह में खादिमों की संस्था ने वक्फ संशोधन एक्ट की निंदा करते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। गुरुवार को प्रेस वार्ता करते हुए अंजुमन कमेटी के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि हम इस वक्फ संशोधन एक्ट की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के अलायन्स पार्टनर और विपक्ष की वजह से यह जेपीसी में गया। वरना तो यह जिस तरह से एनआरसी को लाकर हमारी नागरिकता छीनना चाहते थे, उसी तरह से यह वक्फ संशोधन बिल लाकर हम मुसलमानों की संपत्ति छीनना चाहते हैं।
अंजुमन के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि पहले से ओकाफ में जितने भी वक्फ बोर्ड हैं, उनको सरकार चलाती है। चाहे वह सेंट्रल वक्फ काउंसिल हो या स्टेट वक्फ। इसमें लाभ पहुंचाने के लिए करप्ट मुस्लिम राजनीतिक लोगों का नॉमिनेशन होता है। इसकी वजह से वक्फ की संपत्ति खुर्द हो रही है। यह बात गलत है कि वह अपने सरकार की जमीन पर कब्जा किया है। बल्कि हकीकत यह है कि हुकूमत के दफ्तर वक्फ की जायदाद पर हैं।
*फैलाई जा रही है नफरत
अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा कि भारत के अंदर पिछले कुछ साल से एक ऐसा एक सिस्टम चलाया जा रहा है, जिसके जरिए मुसलमान और इस्लाम के प्रति नफरत फैलाई जा रही है। कभी लव जिहाद, लैंड जिहाद, यूपीएससी जिहाद तो कभी हमारे प्रोफेट की शान में गुस्ताखी हो रही है। मदरसे और मस्जिद शहीद की जा रही है, जो कि नाकाबिले बर्दाश्त हो गई है। सरवर ने कहा कि पिछले 10 साल में एंटी मुस्लिम एक्ट और एंटी मुस्लिम ऑर्डिनेंस पास किया जा रहे हैं और हमारे मुस्लिम समाज के मीर जाफर व मीर सादिक इसकी हिमायत कर रहे हैं।
*दरगाह के हम हैं स्टेक होल्डर
अंजुमन के सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने कहा कि दरगाह के खादिम अपने फर्ज बखूबी निभा रहे हैं, उन्होंने कहा कि चाहे वतन से मोहब्बत हो, सांप्रदायिक सौगात और डाइवर्सिटी को प्रमोट करना हो, दरगाह के खादिम इंसानियत और भाईचारे के तरफदार रहे हैं। सरवर चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज की मजार की तमाम रस्मे दरगाह के खादिम ही निभाते हैं। मज़ार शरीफ की चाबियां भी वंशानुगत तरीके से खुद्दाम ए ख्वाजा के पास ही रहती है। दरगाह में आने वाले जायरीनों को आस्ताने में जियारत व दुआ करने का हक भी खुद्दाम ए ख्वाजा के पास ही है।
उन्होंने कहा कि दरगाह शरीफ में सिर्फ दो ही ऑफिस है, पहला दरगाह कमेटी जो की मिनिस्ट्री ऑफ माइनॉरिटी में आती है। दूसरा ऑफिस खुद्दाम ए ख्वाजा सैयद जादगान का है। इसके अलावा दरगाह शरीफ में कोई ऑफिस नहीं है। साथ ही दरगाह शरीफ में तमाम हुजरे ख्वाजा की तहरीर में हैं। जहां पर वह जायरीनों को तबर्रुक भेंट करते हैं। दरगाह शरीफ मे तमाम मजहबी तकरीबात और इस्लामिक दिनों में अंजुमन के जरिए बड़ा बजट खर्च किया जाता है, जिसकी सालाना ऑडिट भी होती है।
*दीवान पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती पर साधा निशाना
अंजुमन सचिव सैयद सरवर चिश्ती ने दरगाह दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन के पुत्र नसीरुद्दीन चिश्ती पर भी निशाना साधते हुए कहा कि नसीरुद्दीन खुद को दीवान व उसके कार्यालय का उत्तराधिकारी कथित तौर पर बताते हुए दरगाह शरीफ का नाम लेकर भ्रमित करने का एक असफल प्रयास शुरू किया गया। जबकि विधिक स्थिति यह है कि मुस्लिम विधि के अनुसार, जब तक वर्तमान व्यक्ति जीवित है, कोई भी उत्तराधिकारी का दावा नहीं कर सकता। अभी दीवान जीवित है तो किसी भी प्रकार से कोई भी व्यक्ति उत्तराधिकारी नहीं हो सकता है। सरवर ने कहा कि नसीरुद्दीन चिश्ती खुद को गरीब नवाज की औलाद बताकर गुमराह करते हैं।