– ज्ञानकल्याणक और मोक्ष कल्याणक की क्रियाओं के साथ, आचार्य शशांक सागर महाराज द्वारा दिए सूर्य मंत्र से पाषाण से बने भगवान
जयपुर।स्मार्ट हलचल|मानसरोवर के न्यू सांगानेर रोड़ स्थित मान्यावास के इंजीनियर्स कॉलोनी में चल रहे तीन दिवसीय पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव का अंतिम दिन ज्ञान और मोक्ष कल्याणक की क्रियाएं और आचार्य शशांक सागर महाराज ससंघ सान्निध्य एवं बाल ब्रह्मचारी पंडित धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया के निर्देश में प्रारंभ की गई। 6 बजे अष्ट द्रव्यों से विधान पूजन किया गया और प्रातः 7 बजे तीर्थंकर मुनि अवस्था धारण कर आहार चर्या पर निकले। इस दौरान भगवान की माता सहित सुधर्म इंद्र, धनपति कुबेर इंद्र, महेन्द्र, चक्रवती, महायज्ञनायक, यज्ञनायक, सन्मति इंद्रों और अन्य श्रावक श्राविकाओं ने भगवान का आहार सम्पन्न करवाया।
प्रचार संयोजक अभिषेक जैन बिट्टू ने जानकारी देते हुए बताया कि सोमवार को आहार चर्या के बाद भगवान बैंड बाजों और जयकारों के साथ पुनः पांडाल में प्रवेश किया इस दौरान श्रद्धालुओं ने रत्न और पुष्पवर्षा कर भगवान का स्वागत किया। प्रातः 8.30 बजे से ज्ञान कल्याणक की आंतरिक क्रियाएं संपन्न करवाई गई। प्रातः 9.30 बजे मुनि शांतिनाथ को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ, जिस उपलक्ष्य में समोसरण की रचना की गई और जिस पर मुनि शांतिनाथ विराजमान हुए और अपनी मुखर अमृत वाणी से जगत के कल्याणक का संदेश दिया। इसके उपरांत प्रातः 10.30 से मोक्ष कल्याणक की क्रिया विधि प्रारंभ करवाई गई, जिसमें आचार्य शशांक सागर महाराज, बाल ब्रह्मचारी पंडित धर्मचंद शास्त्री और ब्रह्मचारी जिनेश भैया के निर्देश में मोक्ष कल्याणक का पूजन अष्ट द्रव्यों के साथ किया गया, सोमवार को कुल 1111 बीज मंत्रों का गुणगान हुआ और अष्ट द्रव्य चढ़ाए गए। पूजन के पश्चात् आचार्य शशांक सागर महाराज द्वारा सभी प्रतिमाओं को सूर्य मंत्र देकर ” पाषाण से भगवान बनने की क्रियाएं ” सम्पन्न करवाई गई। इसके बाद भगवान का मोक्ष कल्याणक का चित्रण किया गया और सौधर्म इंद्र द्वारा भक्ति का अद्भुत दर्शन प्रस्तुत किया गया। इस दौरान 1 हजार से अधिक श्रद्धालुओं ने जयमाला अर्घ्य के साथ निर्वाण लड्डू चढ़ाया और अंत में विश्व शांति महायज्ञ में आहुति दे पंचकल्याणक की क्रियाएं सम्पन्न करवाई गई।
मुख्य संयोजक सीए मनीष छाबड़ा ने बताया कि मोक्ष कल्याणक की क्रियाओं के बाद पांडाल से श्रीजी की नगर यात्रा का भव्य लवाजमों, जयकारों के साथ यात्रा निकाली गई, मुख्य रथ पर सभी प्रतिमाएं विराजमान करवाई गई और बाकी रथों पर इंद्र – इंद्राणियां को बैठाकर भव्य शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान सभी इंद्र हाथों में चवर लेकर श्रीजी की सेवाकर भक्ति कर रहे थे और श्रद्धालुओं भजन भक्ति करते हुए चल रहे थे। शोभायात्रा में 12 से अधिक रथ, बेड – बाजें शामिल थे और सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं शामिल हुए जिनके जयकारे आकर्षण का केंद्र बने।
नवीन वेदी पर विराजमान हुए भगवान, हुआ वेदी के शिखर पर कलशारोहण
अध्यक्ष अनिल बोहरा ने बताया कि नगर शोभायात्रा के पश्चात् नवीन जिनालय का उदघाटन किया गया जिसके पश्चात् श्रीजी का कल्षाभिषेक किया गया, सर्व प्रथम आचार्य श्री ने भगवान शांतिनाथ का जलाभिषेक किया जिसके उपरांत सभी इंद्रो और श्रावकों महामस्तकाभिषेक कर नवीन वेदी पर मूलनायक शांतिनाथ भगवान की 21 इंच की प्रतिमा के साथ 11 इंच के शांतिनाथ भगवान और नेमीनाथ भगवान की प्रतिमा और 9 इंच के आदिनाथ भगवान, पदम प्रभु भगवान, चंद्रप्रभु भगवान, शांतिनाथ भगवान और मुनि सुव्रतनाथ की प्रतिमाओं को विराजमान किया गया और वेदी के शिखर पर कलशों की स्थापना कर कलशारोहण किया गया। इसके साथ ही क्षेत्रपाल बाबा और देवी पद्मावती की प्रतिमाएं को भी विराजमान किया गया।
इंसानियत को अपनाएं बिना भगवान नहीं बन सकते, अगर देखना है तो पंचकल्याणक को देखो कैसे एक पाषाण हथौड़ी और छेनी की मार से भगवान बनते है – आचार्य शशांक सागर
सोमवार को आचार्य शशांक सागर महाराज ने अपने आशीर्वचन में कहा कि इन सृष्टि का प्रत्येक प्राणी भगवान बन सकता है, किंतु उसके लिए उन्हें इंसानियत का मार्ग अपनाना होगा और मर्यादा, संस्कार और सद्भावना के मार्ग पर चलना होगा। अगर देखना है और अनुभव लेना है तो पंचकल्याणक महोत्सव अपने आप में बहुत बड़ा उदाहरण है जो पाषाण हथौड़ी, छेनी की मार लेकर भगवान का रूप धारण करते है। कहने का तात्पर्य यह कि ” बिना तप, त्याग किए कुछ भी संभव नहीं।