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जोबनेर में 331 वर्ष बाद: पंचकल्याणक महोत्सव में सुरेश बड़जात्या-सुरज्यानी देवी को मिला भगवान के माता-पिता बनने का सौभाग्य

आचार्य गुरुवर 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज के आदेश पर, मुनि 108 श्री आदित्य सागर जी द्वारा जोबनेर निवासी सुरेश बड़जात्या एवं धर्मपत्नी सुरज्यानी देवी को आशीर्वाद

अजय सिंह (चिंटू)

जोबनेर -स्मार्ट हलचल|जोबनेर में आगामी नवंबर माह में आयोजित होने जा रहे आयोजित पंचकल्याणक महा‑महोत्सव की तैयारियाँ आज प्रारंभ हो गईं। इस महोत्सव में विशेष रूप से लघु-उद्घाटन के रूप में भगवान के माता-पिता का चयन भी हुआ है।मुरलीपुरा निवासी एवं वर्तमान में जयपुर में प्रवासी सुरेश बड़जात्या एवं उनकी धर्मपत्नी सुरज्यानी देवी को यह सौभाग्य मिला है कि उन्हें इस पंचकल्याणक महोत्सव में भगवान के माता-पिता बनने का आशीर्वाद दिया गया है। यह निर्णय मुनि 108 श्री आदित्य सागर जी ने सभी फारम-जांचों के बाद लिया है। मुनिश्री, जो कि उत्तरदायित्वपूर्वक आचार्य गुरुवर 108 श्री विशुद्ध सागर जी के परम प्रभावक शिष्य हैं, उन्होंने फार्म जाँचे तथा चयनित परिवार को आशीर्वाद दिया।

इस अवसर पर जोबनेर जैन समाज के सदस्यों ने सुरेश बड़जात्या का माल्यार्पण कर, स्वागत एवं सम्मान समारोह आयोजित किया। समारोह में पंडित महावीर प्रसाद जैन, मोंटू, विनोद बड़जात्या उर्फ मीठा, विनोद गांधी, मानक सेठी, अमित जैन, गौरव बड़जात्या, मुकेश पाटनी, प्रमोद बड़जात्या, अजय बड़जात्या सहित अन्य जैन समाज के गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे।

इस महोत्सव के माध्यम से न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन होगा, बल्कि जोबनेर-मुरलीपुरा क्षेत्र में जैन धर्म की परंपराओं तथा सामाजिक संस्कारों को पुनर्जीवित करने का भी प्रयास किया जा रहा है। 331 वर्ष बाद यह महोत्सव सजेगा, जो इस क्षेत्र के जैन समुदाय के लिए अत्यंत गौरव-विषय है।

मुनि 108 श्री आदित्य सागर जी ने बताया कि आगे की तैयारियों में मंदिर स्थल की सफाई-सज्जा, पारंपरिक हवन-पूजा, धार्मिक प्रवचन, समाजसेवात्मक कार्यक्रम एवं श्रावक-श्राविकाओं के लिए विशेष आयोजन शामिल होंगे। उन्होंने सभी समाज के सदस्यों से संयम, सहयोग और अनुशासन की अपील की है ताकि यह आयोजन पवित्र एवं सफल रूप से संपन्न हो सके।

समाज के वरिष्ठ सदस्य व उपस्थित गणमान्यों ने सुरेश-सुरज्यानी को इस विशेष भूमिका के लिए बधाई दी और आशा जाहिर की कि वे इस जिम्मेदारी को पूरे श्रद्धा एवं समर्पण के साथ निभाएँगे।

इस प्रकार, जोबनेर में इस प्रकार का अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन, साथ ही-साथ स्थानीय जैन समाज की सक्रिय भागीदारी और सामाजिक समरसता का संदेश भी प्रस्तुत करता है।

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