शाहपुरा-मूलचन्द पेसवानी
शाहपुरा नगर में पीने के पानी की सुविधा को विस्तार देने के लिए डीएमएफटी फंड से स्वीकृत 400 किलोलीटर की नई पानी की टंकी का निर्माण कार्य शाहपुरा के ऐतिहासिक राजमहल परिसर में रानी के महल के पास प्रांरभ कर दिया गया है। इससे पूर्व इसी कार्य को वहां से 50 मीटर की दूरी पर स्थित राउप्रावि फुलियागेट परिसर में प्रांरभ किया गया था, तब इसका विरोध होने पर आनन फानन में इसका स्थान बदल कर जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की ओर से नये सिरे से काम शुरू करा दिया। अब नये निर्माण का विरोध तेज हो गया है। मुखरता से इसका विरोध करने व काम को रूकवाने का फैसला किया गया है।
जिस स्थान पर पानी की टंकी का निर्माण कार्य प्रारंभ किया है। उसके 100 फीट के दायरे में स्वामी दयानंद उच्च प्राथमिक विद्यालय का संचालन हो रहा है जिसमेें 200 विद्यार्थी अध्यनरत है। इसी स्थान से 200 फीट की दूरी पर राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय का संचालन भी चल रहा है जिसमें 400 छात्राएं अध्ययनरत है। पूर्व उप प्रधान गजराजसिंह राणावत के अनुसार किसी भी स्कूल से 200 फीट की परिधी में कभी भी पानी की टंकी का निर्माण नहीं हो सकता है।
जिस स्थान पर पीएचईडी की ओर से पानी की टंकी का निर्माण कराया जा रहा हैै, वो स्थान राजमहल परिसर में आता है। देेश के आजाद होनेे क बाद राजमहल तत्कालीन राजपरिवार की ओर से राज्य सरकार को एज्यूकेशनल हब बनाने के लिए समर्पित किया था। उसके बाद ही वहां पर शाहपुरा का जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान तथा राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय फुलियागेट विद्यालय का संचालन प्रांरभ हुआ। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान तो वर्तमान में उम्मेदसागर रोड़ पर नये भवन में स्थानांतरित हो गया है। परंतु तब से ही यह भवन शिक्षा विभाग व राज्य सरकार के ही अधीन चल रहा है। यहां पर खेल प्राधिकरण की ओर से खेल कांपलेक्स बनाने का भी प्रस्ताव दिया गया। इसी परिसर में राष्ट्रय स्तर के वाॅलीबाल प्रशिक्षण शिविर हो चुके है। अभी भी सुदर्शन स्टेडियम इसी परिसर में बना है।
राजमहल में टंकी निर्माण कार्य को रूकाने के लिए हुई बैठक–
शाहपुरा के राजमहल में पानी की टंकी के निर्माण को रूकवाने के लिए राजपरिवार के मुखिया जयसिंह की मौजूदगी में बैठक आयोजित की गई। इसमें सर्वसम्मति से टंकी के निर्माण को रूकवाने का निर्णय लिया गया तथा प्रशासन द्वारा सुनवाई न करने पर कोर्ट की शरण लेने का निर्णय लिया गया है। करीब दो घंटे चल इस बैठक में शाहपुरा के सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि, समाजो के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस दौैरान शाहपुरा धरोहर सरंक्षण एवं विकास संस्थान का गठन करते हुए सत्येंद्र सिंह राणावत को अध्यक्ष एवं राधाकिशन धाबाई को सचिव बनाया गया। अब इस संबंध में कार्रवाई इस संस्थान के माध्यम से की जायेगी। बैठक में इसके अलावा आर्य समाज की ओर से इस निर्माण को रूकवाने के लिए न्यायिक कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया। आर्य समाज के प्रधान गोपाल राजगुरू को इसके लिए अधिकृत किया गया।
आज की बैठक में आर्य समाज के गोपाल राजगुरू, हीरालाल आर्य, सत्येंद्र सिंह राणावत, गजराजसिंह राणावत, देवेंद्र सिंह बूलियां, संतोक सिंह चोधरी, हमीद खां कायमखानी, चावंड सिंह शक्तावत, चांदमल मूंदड़ा, महेंद्र सिंह राणावत, अर्जुनसिंह राणावत, ताजूदीन उस्ता, नूरमोहम्मद, राधाकिशन धाबाई, सुरेंद्र सिंह, शाहबूदीन सलावट, पिंटू बन्ना, ओमप्रकाश सेन आदि मौजूद रहे।
टंकी का निर्माण कराने के लिए सरकार से नहीं ली स्वीकृति–
शाहपुरा राजपरिवार के मुखिया जयसिंह ने बताया कि राजपरिवार का अब राजमहल पर कोई अधिकार नहीं है। परंतु यह भवन शाहपुरा की ऐतिहासिक धरोहर है। यहां पर एज्यूकेशनल हब बनना चाहिए। खेल के स्पोस्र्टस कांपलेक्स बनना चाहिए। सरकार चाहे तो देश के किस भी बड़े होटल ग्रुप को लीज पर देवे तो शाहपुरा को करोड़ों रू की आय हो सकती है।
जयसिंह ने बताया कि पीएचईडी ने नई टंकी के निर्माण के लिए शाहपुरा की जनता को न तो विश्वास में लिया है तथा न ही राज्य सरकार से अब तक कोई औपचारिक स्वीकृति प्राप्त की हैै। उन्होंने बताया कि पीएचईडी ने नगर परिषद से एनओसी लेकर तत्कालीन जिला कलेक्टर शाहपुरा से स्वीकृति जारी कर आनन फानन में काम शुरू करा दिया जो बिलकुल अंसवैधानिक है। इसका विरोध जायज है तथा जरूरत पड़ने पर शाहपुरा के वाशिंदे कोर्ट की शरण लेेगें।
पीएचईडी अधिकारियों का कहना है कि–
जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के सहायक अभियंता शिवराज भील, अधिशाषी अाियंता मंयक कुमार शर्मा व शाहपुरा के अधीक्षण अभियंता श्रवणसिंह खिड़िया केे संयुक्त हस्ताक्षरों से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि शाहपुरा विधायक, नगर परिषद सभापति को टंकी निर्माण में कोई आपत्ति नहीं है। 25 दिसम्बर 24 को शाहपुरा के तत्कालीन जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह शेखावत, विधायक डा. लालाराम बैरवा व सभापति रघुनंदन सोनी की मौजूदगी में मौका देेख कर इस स्थान का चयन किया गया है। इससे पूर्व जहां निर्माण शुरू किया गया था वहां आर्य समाज की आपत्ति के बाद स्थान बदल के थोड़ा सा आगे बदल कर निर्माण शुरू कर दिया गया है।
पीएचईडी की ओर से सोशल मीडिया पर जारी की विज्ञप्ति मेें कहा गया है कि शाहपुरा में बढ़ती जल आवश्यकताओं को देखते हुए जलदाय विभाग द्वारा डीएमएफट फंड से 400 किलोलटर क्षमता की नई पानी की टंकी का निर्माण किया जा रहा है। यह टंकी महलों के चैक के पास, परिसर के पिछले कोने में बनाई जा रही है। इसके एक कोने में निर्माण से राजमहल के पुरानी हेरीटेज सरंचना में बदलाव व उसके ढहने की कोई संभावना नहीं है। इसके लिए सक्षम अधिकारी से स्वीकृति ली है।
एक्सपर्ट व्यू-
स्थानीय निकाय विभाग के सेवानिवृत नगर नियोजक व शाहपुरा मूल के निवासी चंद्र शेखर पाराशर ने कहा है कि पहले ही शाहपुरा की धरोहर को अपूरणीय क्षति हो चुकी है। अब जो भी बची है, उसे संधारित करने एवं पुनः संवारने की जरूरत है। जब हम ऐसे पुराने राजमहल बना नहीं सकते तो इस प्रकार की संरक्षित विरासत को मिटाने का अधिकार हमें नहीं है। शाहपुरा के स्थानीय निकाय ने सबसे ज्यादा नुकसान शाहपुरा नगर के करेक्टर को नहीं समझा न ही उसे बचाया है। बल्कि परकोटे तुड़वाए, खाई जो परंपरागत पानी व पर्यावरण को सहेजने का हिस्सा थी, उसे भी समाप्त कर अवैध तरके से पट्टे तक दे दिए। शाहपुरा पानी की नई टंकी का निर्माण रानी महल के पास कराकर एक बार फिर से शाहपुरा क हेरीटेज इमारत को नुकसान पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है, जिसे विलंब रोका जाना चाहिए। पानी क टंकी को बाहर बनाया जा सकता है। क्षेत्र में पानी के दबाव एवं आपूर्ति कीे वैकल्पिक व्यवस्था की जा सकती है। शाहपुरा के इतिहास एवं गौरव के साथ बेमेल नॉन कंपीटिबल विकास (विनाश) से समझौता नहीं किया जा सकता। संबंधित विभाग शीघ्र संज्ञान ले भूल को सुधारे।