एसडीएम ने जारी किया बंधुआ मुक्ति प्रमाण पत्र, मिलेगी 30 हजार की तत्काल आर्थिक सहायता।
बूंदी – बूंदी में एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जहां महज 20,000 रुपये के लिए माता-पिता ने अपने 11-12 वर्षीय बेटे को 10 महीने के लिए बेच दिया। नियोक्ता द्वारा पीओपी की मूर्तियां बनाने के काम में लगाया गया यह बालक जब काम के बोझ से परेशान होकर घर भागने की कोशिश कर रहा था, तब चाइल्ड लाइन 1098 की टीम ने उसे रेलवे स्टेशन से मुक्त कराया। प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए न केवल नियोक्ता के खिलाफ मामला दर्ज करवाया, बल्कि बालक के लिए बंधुआ अवमुक्त प्रमाण पत्र जारी कर 30,000 रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता भी स्वीकृत की है।
चाइल्डलाइन 1098 के जिला समन्वयक रामनारायण गुर्जर ने बताया कि जयपुर कंट्रोल रूम से सूचना मिली थी कि एक लावारिस बालक बूंदी रेलवे स्टेशन पर उदयपुर जाने के लिए बैठा है। सूचना मिलते ही वे काउंसलर मंजीत के साथ मौके पर पहुंचे और बालक को अपने संरक्षण में लिया।
पूछताछ में सामने आई दर्दनाक कहानी
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष सीमा पोद्दार ने बताया कि कार्यालय में लाने के बाद जब बालक से बात की गई तो उसने बताया कि वह राजसमंद जिले का रहने वाला है। उसके माता-पिता ने उदयपुर जिले में भैरू जी महाराज के एक कार्यक्रम के दौरान एक नियोक्ता से 20,000 रुपये लेकर उसे 10 माह के लिए उसके सुपुर्द कर दिया था। नियोक्ता उसे बूंदी ले आया, जहां वह अपने परिवार के साथ टेंट में रहता था और बालक से सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक पीओपी की मूर्तियां बनाने का काम करवाता था। बालक वहां बिल्कुल काम नहीं करना चाहता था, लेकिन परिवार द्वारा पैसे लिए जाने के कारण वह घर भी नहीं जा पा रहा था।
गुरुवार को परेशान होकर वह घर जाने के लिए बूंदी रेलवे स्टेशन आ गया। वहां एक अनजान व्यक्ति के मोबाइल से उसने अपनी माँ को फोन कर घर आने की इच्छा जताई, जिस पर माँ ने उसे किराए के पैसों का इंतजाम करने को कहा।
प्रशासन की त्वरित और संवेदनशील कार्रवाई
चाइल्डलाइन टीम ने बालक को बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया। समिति के निर्देश पर मानव तस्करी विरोधी यूनिट और श्रम विभाग को सूचित किया गया और सदर थाने में नियोक्ता के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करवाई गई।
मामले की सूचना मिलते ही उपखंड अधिकारी (एसडीएम) एचडी सिंह ने बिना देरी किए स्वयं राजकीय किशोर गृह पहुंचकर बालक से बात की। उन्होंने पूरी संवेदनशीलता के साथ बालक के बयान दर्ज किए और मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल “बंधुआ अवमुक्त प्रमाण पत्र” जारी करने की स्वीकृति प्रदान की। इस प्रमाण पत्र के आधार पर श्रम विभाग द्वारा बालक को तुरंत 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। बालक को फिलहाल राजकीय किशोर गृह में अस्थायी प्रवेश दिया गया है।
जिले में बाल श्रम के खिलाफ अभियान जारी
बाल कल्याण समिति अध्यक्ष ने बताया कि घटना बूंदी में बाल श्रम की गंभीर समस्या को उजागर करती है। प्राप्त जानकारी के अनुसार जून माह में अब तक 19 बाल श्रमिक मुक्त करवाए गए और 05 मामलों में प्राथमिकी दर्ज हुई। जुलाई माह में अब तक 03 बाल श्रमिक मुक्त करवाए जा चुके हैं। चाइल्डलाइन ने 4 जुलाई 2025 की देर रात 11 बजे नैनवा रोड स्थित एक होटल से भी 02 बालकों को मुक्त करवाया है। जानकारी के अनुसार जिले में केटरिंग एवं बैंड-बाजा जैसे कामों में 12 से 16 साल तक के बच्चों से काम करवाने की सूचनाएं मिल रही हैं, जिन पर लगातार कार्रवाई की जा रही है।