पुनित चपलोत
भीलवाड़ा । कबराड़िया क्षेत्र में रहने वाले 60 वर्षीय कल्याणमल और उनका परिवार गांव से दूर खेत में तिरपाल के छप्पर में रहने को मजबूर है। छप्पर की हालत इतनी खराब है कि कब ध्वस्त हो जाए इसका कोई अनुमान नहीं है। बरसात में स्थिति और भी ज्यादा खराब हो रही है। कल्याण अपनी पत्नी रुक्मणी देवी और दो पुत्रों के साथ यहां रह रहा है। तेज हवा चलते ही छप्पर भी उड़ने लगती है। कल्याणमल 2 साल से बीमार है। उसकी पत्नी ही मजदूरी करके घर का खर्च चलाती है।
रुक्मणी देवी ने बताया कि कई बार पंचायत व अधिकारियों से मदद की गुहार लगाई, लेकिन किसी ने उसकी सुध नहीं ली। रुक्मणी देवी का परिवार भी प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मदद की आस लगाए बैठा है। बरसात के महीने में छप्पर से पानी टपकता है। रातभर परिवार को बैठकर रात गुजारनी पड़ती है। बरसात में विषैला जीव-जंतुओं का भी डर बना रहता है। रुक्मणी देवी ने बताया कि दो दिन पहले एक सांप छप्पर में घुस गया था। काफी ढूंढने के बाद भी वह नहीं मिला। अब हर समय डर सताता है।की सांप कब हम लोगो को काट ले।