पर्यावरण संरक्षण को लेकर 101 कपड़े के थेले, जीवदया अभियान के तहत 51 परिंडे वितरित
भीलवाड़ा,स्मार्ट हलचल । पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग से बचने के लिए पॉलिथीन युज पर अंकुश बहुत जरूरी है अन्यथा आने वाले समय में इसके और भयावह परिणाम देखने को मिलेंगे। प्लास्टिक युज से होने वाले नुक़सान को लेकर आमजन में जागरुकता लाना भी अति आवश्यक है। प्रचंड गर्मी के लिए कोई भी एक व्यक्ति जिम्मेदार नहीं हैं। ये बात आज जिला अभिभाषक संस्था के अध्यक्ष ऋषि तिवारी ने जीवदया अभियान के तहत नवउदय सेवा संस्था द्वारा परिंडा वितरण कार्यक्रम के दौरान कही। संस्था के महासचिव नौनिहाल सिंह ने नवउदय सेवा संस्था द्वारा जीवदया अभियान के बेजुबान पक्षी पक्षियों के लिए परिंडे और पर्यावरण संरक्षण को लेकर कपड़े के थेले वितरण को एक सार्थक पहल बंताया। इससे कहीं ना कहीं पर्यावरण संरक्षण और बेजुबानों के प्रति लोगों में जागरूकता आएगी। अंतरराष्ट्रीय माहेश्वरी कपल क्लब की जिलाध्यक्ष डॉ. चेतना जागेटिया ने कहा की सामाजिक, धार्मिक आयोजन व विवाह सम्मेलन जैसे बड़े समारोह में पीने के पानी की गिलासें प्लास्टिक के बजाय कागज की डिस्पोजल काम में लेने की शुरुआत करना बेहद जरूरी हो गया है ताकी उनको आसानी से डिस्ट्रोय किया जा सके और पर्यावरण को दुषित होने से बचाया जा सके। अंतरराष्ट्रीय माहेश्वरी कपल क्लब जिला उपाध्यक्ष और अधिवक्ता नीलम दरगड़ ने कहा की मंडी में सब्जियां लेने जाते समय अपने साथ कपड़े का थेला जरूर रखें और पॉलिथीन उपयोग को बंद करें। कार्यक्रम की शुरुआत में नवउदय सेवा संस्था के अध्यक्ष राजेश जीनगर ने सभी आगंतुकों का तिलक लगा स्वागत किया और कहा की शहर की सड़कों पर जगह-जगह पॉलीथिन पड़ी हैं। इससे नालियां चोक होती हैं। हाथ ठेले हो या दुकान सभी जगह पॉलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से जारी है। शहर सहित गांवों में भी डिस्पोजल का उपयोग बढ़ता जा रहा है। चाहे चाय-नाश्ता की होटल हों या बड़ी दुकानें सब जगह डिस्पोजल का उपयोग आम बात है। शादी-ब्याह में भी डिस्पोजल का उपयोग हो रहा है। पॉलीथिन का उपयोग नहीं करने के लिए सभी को जागरूक होना होगा। खरीदी से पहले शहरवासी घर से ही कपड़े की थैली लेकर जाएं। दूध या अन्य पेय पदार्थ पॉलीथिन में देने से व्यवसायी को रोकें। दुकानदार कागज की थैलियों का उपयोग करें। पॉलीथिन को सड़क-नाली में ना फेंके। जरूरी होने पर निर्धारित मापदंड की पॉलीथिन का उपयोग करें। शहर को पॉलीथिन मुक्त बनाने के लिए समाजसेवी संस्थाएं भी आगे आएं। हाथ ठेलों पर प्रतिबंधित पॉलीथिन का उपयोग हो रहा है। जिस पर राज्य और केंद्र सरकार द्वारा ठोस कानून बनाया जाकर पोलिथिन के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए ताकी आने वाले समय में इसके भयावह परिणाम देखने को ना मिले।