हमीरगढ़ (अलाउद्दीन मंसूरी)
स्मार्ट हलचल|स्थानीय जैन स्थानक में चल रहे पर्युषण पर्व का आठवाँ और अंतिम दिन बुधवार को बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया गया। महाराष्ट्र, अहिल्याबाई नगर से पधारे स्वाध्याय जी ने समापन प्रवचन में कहा कि पर्युषण पर्व आत्मा को निर्मल बनाने का पर्व है।उन्होंने कहा कि अहिंसा, अभय दान और क्षमा जैन धर्म की आत्मा हैं, इन्हें जीवन में उतारना ही सच्चा साधक होना है। धर्मसभा में वरिष्ठ श्रावक नवरतन मल सामर जी, हस्ती मल सामर जी, सुजान गोलेच्छा जी, सम्पत चपलोत जी, सागर बाफना जी सहित बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएँ उपस्थित रहे।महिला मंडल से किरण सामर, संगीता सामर, उषा गोलेच्छा ने मंगल गीत प्रस्तुत कर वातावरण को भावपूर्ण बना दिया।
इस अवसर पर सौरभ सांभर जी ने बताया कि आठ दिनों तक चले इस पर्व में आत्मचिंतन, धर्म-मनन, उपवास, स्वाध्याय और अभय दान का विशेष महत्व रहा। समाजजनों ने निष्ठापूर्वक सभी दिन साधना कर धर्मलाभ लिया। शाम को भगवान पार्श्वनाथ जी की भव्य जलयात्रा निकाली गई, जो कस्बे के प्रमुख मार्गों से होते हुए श्रद्धा और उल्लास के साथ नगर भ्रमण करती हुई कमल सागर तालाब की पाल पर पहुँची। वहाँ पर भगवान की विधिवत पूजा-अर्चना और आरती की गई। जलयात्रा में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया और पूरे कस्बे का वातावरण “जय जय पार्श्वनाथ प्रभु” के मंगल गान से गूँज उठा। समाज अध्यक्ष प्रकाश गोलेच्छा जी और मंत्री पारस सामर जी ने श्रावकों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पर्युषण पर्व ने हम सभी को धर्म की गहराई से जोड़ने का कार्य किया है। स्वाध्याय जी ने अंत में सभी श्रावक-श्राविकाओं को क्षमापना का संदेश देते हुए कहा कि क्षमा ही सच्चा आभूषण है, और क्षमा से ही जीवन का वास्तविक उत्थान होता है।