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राजकीय अस्पताल में निशुल्क जांच योजना का मरीजों को नहीं मिल पा रहा है लाभ , जांच के लिए खर्च करना पड़ रहा है हजारों रूपए

निःशुल्क जांच योजना ठप, लाखों की मशीनें बेकार पड़ीं, बायोकेमिस्ट्री की 25 में से 22 जांचें बंद।

बूंदी- स्मार्ट हलचल|सरकार की निःशुल्क जांच योजना का लाभ जिला अस्पताल में आने वाले मरीजों को नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश सरकार द्वारा रोगियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए अस्पतालों में निःशुल्क जांच योजनाएं लागू की गई है। जिला अस्पताल में आने वाले मरीज मुफ्त जांच की उम्मीद लेकर लाइन में लगते हैं।

जब जांच करने के लिए वह काउंटर पर अपनी पर्ची देते हैं तो उन्हें जवाब मिलता है कि इनमें से एक या दो जांच ही यहां पर हो पाएगी बाकी की जांच कराने के लिए आपको निजी लैब में जाना पड़ेगा। सरकार के आदेशानुसार जांच अस्पताल में ही होनी चाहिए। यह स्थिति एक-दो दिन की नहीं, बल्कि पिछले कई महीनों से बनी हुई है। फिर भी जिला, अस्पताल प्रशासन और जनप्रतिनिधि इस पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

दैनिक राजमार्ग संवाददाता आज जिला अस्पताल पहुंचा तो वहां जांचे बंद थी जांच की मशीनों पर पर्दे चढ़े हुए थे। मरीज जांचों के लिए इधर से उधर भटकते नजर आए। कुछ मरीज मजबूरी में बाहर से जांच करवाकर आए। सिलोर निवासी अनिल ने बताया कि भाई को दो-तीन दिन से बुखार आ रहा है और पेशाब में भी जलन है उसे दिखाने के लिए जिला अस्पताल लेकर आया था तो चिकित्सकों ने जांच कराने के लिए बोला । निःशुल्क जांच करने के लिए रसीद काउंटर पर 15 मिनट खड़े होने के बाद मेरा नंबर आया जब रसीद कटवा कर निशुल्क जांच करने के लिए काउंटर पर पहुंचा और वहां अपनी बारी का इंतजार करता रहा जब बारी आई तो वहां मौजूद कर्मचारियों ने कहा कि इसमें से बस आपकी सीबीसी जांच ही होगी डेंगू में भी एलिसा टेस्ट होगा जिसकी रिपोर्ट दो दिन बाद आएगी। आपको अन्य जांच करानी है तो बाहर से करवानी होगी। निजी लैब में जाकर जांच कराई तो 18 सो रुपए का खर्चा आया।
यही हालत अस्पताल में भर्ती मरीजों के भी हैं उन्हें भी प्रतिदिन जांच कराने के लिए निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है। अस्पताल में भर्ती मरीजों का कहना है कि जब जिला, चिकित्सा प्रशासन मरीजों को निःशुल्क जांच योजना का लाभ पड़उपलब्ध नहीं करवा सकता तो बड़े बड़े होर्डिंग भी क्यों लगाए गए हैं।

राजकीय अस्पताल से निशुल्क जांच के होर्डिंग्स को हटवा देना चाहिए। कई वरिष्ठ जन भी निशुल्क जांच योजना का लाभ नहीं ले पाने के कारण अस्पताल में इधर-उधर भटकते देखे जा सकते है । बुजुर्गों का कहना है कि सरकार द्वारा निःशुल्क स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए बड़े-बड़े वादे किए गए हैं पर जिला अस्पताल के हालात यह है कि यहां पर कोई भी व्यवस्था पटरी पर नहीं चल रही। पहले तो चिकित्सक को दिखाने के लिए ही लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है दिखाने के बाद जांच करने का नंबर आया तो जांच के लिए निजी लैब में भेज रहे हैं।

जिला अस्पताल की बायोकेमेस्ट्री लैब में रोजाना करीब 180 से 200 मरीजों को जांचें लिखी जाती हैं। इनमें से ज्यादातर जांचें बंद हैं। लाखों रुपए की दो मशीनें रीजेंट की कमी के चलते कपड़े से ढककर रखी हैं। बायोके मेस्ट्री जांच का औसतन खर्च 1000 से 1500 तक आता है। जब सरकार की योजना ठप हो तो यह भार सीधा गरीब मरीज की जेब पर पड़ता है।

रीजेंट खत्म, सालभर से नहीं हुई मलेरिया, सोडियम, पोटेशियम की जांच, प्राइवेट लैब पर जा रहे।

हमारे संवाददाता की पड़ताल में सामने आया कि अस्पताल में मलेरिया, सोडियम, पोटेशियम की जांच पूरे एक साल से बंद है। डॉक्टर रोजाना बड़ी संख्या में मरीजों को जांच लिखते हैं। लेकिन रीजेंट न होने के कारण जांच संभव नहीं हो पाती। लाखों रुपए की मशीनें मौजूद हैं, पर उनका उपयोग नहीं हो रहा।
पूछ ताछ करने पर जानकारों ने बताया कि पिछले 2 साल से निशुल्क जांच योजना पटरी से उतर चुकी है। वहां पर मौजूद कर्मचारी भी परेशान है मरीज परेशान होकर लौटते हैं। कई बार तो मरीज कर्मचारियों पर नाराज भी हो जाते हैं और उन्हें भला बुरा कहते हैं पर वहां मौजूद कर्मचारी क्या करें जब चिकित्सा प्रसाशन द्वारा उन्हें जांच के लिए आवश्यक रीजेंट उपलब्ध नहीं करवाए जा रहे। लाखों की मशीनें धूल खा रही हैं, कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

लैब इंचार्ज हरिलाल भारती से जब बायोकेमेस्ट्री मशीन द्वारा जांच नहीं होने का कारण पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सब तरह की जांच हो रही है। चिकित्सक जो जांच लिख रहा है वह जांच की जा रही है पर वास्तविक हकीकत में सामने आया कि बायोकेमेस्ट्री में तीन जाचों के अलावा अन्य कोई जांच नहीं हो रही थी। जब उनसे यह पूछा तो उन्होंने कहा कि चिकित्सक ने अन्य जांच लिखी ही नहीं होगी इसलिए नहीं कर रहे। मेडिकल वार्ड में भर्ती मरीज 65 वर्षीय नंद किशोर का बेटा जब एक नंबर काउंटर पर जांच करवाने आया तो चिकित्सक द्वारा उसमें 12 तरह की जांच लिखी गई थी उसमें से सिर्फ चार या पांच जांचे ही हो पाई। इससे यह मुख्यमंत्री निःशुल्क योजना फैल हो रही है अब यह सब जाहिर हो रहा है कि लैब इंचार्ज द्वारा रोगियो को गुमराह किया जा रहा थी। जनप्रतिनिधि आए आगे तो बने बात

लैब इंचार्ज भी कर रहे हैं मरीजों को गुमराह

जानकारों की माने तो सामान्य चिकित्सा में चिकित्सा व्यवस्थाएं पटरी से उतरी हुई है। निःशुल्क जांच योजना के अलावा भी कई तरह की आवश्यक सामग्री रोगियों को उपलब्ध नहीं हो पा रही है। ऐसे में जनप्रतिनिधियों को आगे आकर इस समस्या को प्रमुखता से उठाना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला भी सामान्य चिकित्सालय में हो रही है अव्यवस्थाओं पर ध्यान दें तो हो सकता है कि यहां आने वाले मरीजों को कुछ हद तक लाभ मिल पाए।

रही रीजेंट की कमी से समस्या है। इसके लिए पीएमओ ने बताया कि उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा है। जल्द समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ. एलएन मीणा, पीएमओ
राजकीय सामान्य जिला चिकित्सालय बूंदी

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
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