बिजोलिया विशेष: अवैध सेंड स्टोन खनन धड़ल्ले से जारी, पटवारी–गिरदावर जिम्मेदार, प्रशासन मौन
बिजोलिया में ‘लाल पत्थर’ का काला खेल: पहाड़ियों का सीना चीर रहे माफिया, जिम्मेदारों की ‘चुप्पी’ पर उठे गंभीर सवाल।

बिजोलिया, स्मार्ट हलचल। उपखंड क्षेत्र की शांत वादियां इन दिनों अवैध खनन की मशीनों के शोर से गूंज रही हैं। सेंड स्टोन (बजरी पत्थर) के अवैध कारोबार ने यहाँ कानून-व्यवस्था को ठेंगा दिखा रखा है। हालात यह हैं कि माफिया बेखौफ होकर दिन-दहाड़े पहाड़ियों का सीना चीर रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई का मीटर शून्य पर है।
पटवारी और गिरदावर की भूमिका संदेह के घेरे में
धरातल पर अवैध गतिविधियों को रोकने और उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी हलका पटवारी और गिरदावर की होती है। लेकिन ग्रामीणों का सीधा आरोप है कि निगरानी तंत्र पूरी तरह फेल हो चुका है।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि:
- क्षेत्र में खनन पर निगरानी की जिम्मेदारी पटवारी और गिरदावर की होती है, परंतु दोनों की लापरवाही के कारण अवैध खनन लगातार बढ़ रहा है।
- जिम्मेदार कार्मिकों द्वारा सही रिपोर्ट उच्च अधिकारियों को नहीं दी जा रही है, जिससे खनन माफियाओं को ‘खुली छूट’ मिली हुई है।
शिकायतों की रद्दी, कार्रवाई सिफर
स्थानीय लोगों द्वारा कई बार प्रशासन को चेताया गया, लेकिन न तो मौके से मशीनें जब्त की गईं और न ही किसी खनन माफिया पर ठोस कार्रवाई हुई। प्रशासन की यह ‘रहस्यमयी खामोशी’ इस बात का संकेत दे रही है कि दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है।
“जब तक जवाबदेही तय नहीं होगी, तब तक अवैध खनन पर लगाम लगाना संभव नहीं है। पटवारी और गिरदावर की ओर से सही रिपोर्ट नहीं दिए जाने से ही माफिया बेखौफ हैं।”
— स्थानीय ग्रामीण
जिम्मेदारों से हमारे तीखे सवाल?
जनता अब प्रशासन से सीधे सवाल पूछ रही है:
- आखिर शिकायतों के बावजूद मशीनें जब्त क्यों नहीं की जा रही?
- क्या पटवारी-गिरदावर की रिपोर्ट्स की क्रॉस-चेकिंग की जाएगी?
- जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से बच क्यों रहे हैं?
अब देखना यह होगा कि खबर प्रकाशित होने के बाद कुंभकर्णी नींद में सोया प्रशासन जागता है या फिर बिजोलिया की पहाड़ियां इसी तरह माफियाओं की भेंट चढ़ती रहेंगी।
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