सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- राजस्थान पटवार-कानूनगो संघ उपशाखा कोटड़ी के द्वारा सोमवार को कोटली उपखंड अधिकारी को पटवारियों और भू-अभिलेख निरीक्षकों ने अपनी समास्याओं को लेकर जिला कलेक्टर के नाम कार्य बहिष्कार की चेतावनी को लेकर ज्ञापन सौंपा । ज्ञापन में बताया गया कि राजस्थान पटवार कानूनगो संघ द्वारा 27 नवंबर 2025 को ज्ञापन प्रस्तुत कर ग्राम नारायणपुरा, तहसील आसीन्द व ग्राम बामणिया, तहसील बनेड़ा में विलायती / अंग्रेजी बंबूल काटने के मामले में निर्दोष पटवारियों/भू-अभिलेख निरीक्षकों के विरुद्ध जारी कारण बताओ नोटिस को निरस्त / खारिज करवाने हेतु निवेदन किया गया था, जिस पर विधिसम्मत कार्यवाही करने तथा कोई कठोर कार्यवाही नहीं करने का आश्वासन मौखिक रूप से दिया गया था । यह हैं कि बावजूद आश्वासन के उसी दिन पटवारी हल्का दुल्हेपुरा, तहसील आसीन्द, भू-अभिलेख निरीक्षक मोड़ का निम्बाहेडा, तहसील आसीन्द एवं पटवारी हल्का बामणिया, तहसील बनेडा तथा भू-अभिलेख निरीक्षक सरदारनगर, तहसील बनेड़ा को निलम्बित कर दिया गया तथा इनके विरूद्ध सीसीए रूल्स 16 के तहत विभागीय जांच प्रस्तावित कर दी गई, जो दिए गए आश्वासन के सर्वथा विपरीत है । यह हैं कि राजस्थान पटवार-कानूनगो संघ द्वारा जिले की सभी तहसीलों से संबंधित उपखण्ड अधिकारियों के माध्यम से ज्ञापन प्रेषित किए जाकर तहसील आसीन्द व बनेड़ा से निलम्बित किए गए निर्दोष पटवारियों/भू-अभिलेख निरीक्षकों को निलम्बन से बहाल किए जाने हेतु निवेदन किया गया था, लेकिन आज दिनांक तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है । यह हैं कि प्रकरण में बिलानाम व चरागाह भूमि से विलायती / अंग्रेजी बंबूल काटने के आरोप अधिरोपित किए गए हैं, किन्तु प्रश्नगत भूमि बिलानाम नहीं होकर चरागाह तथा वन विभाग की भूमि हैं । यह हैं कि वन विभाग की भूमि का रख-रखाव व प्रबन्धन की जिम्मेदारी वन विभाग की होती हैं, न कि राजस्व विभाग की। साथ ही चारागाह भूमि का रख-रखाव व प्रबन्धन का कार्य ग्राम पंचायत द्वारा ही किया जाता हैं । राजस्व विभाग द्वारा चारागाह भूमि का रख-रखाव संबंधी कोई कार्य नहीं किया जाता हैं । यह हैं कि ऐसी स्थिति में प्रकरण में राजस्व विभाग के कार्मिकों को जिम्मेदार ठहराते हुए इनके विरूद्ध निलम्बन और सीसीए रूल्स 16 के तहत विभागीय कार्यवाही किया जाना कतई विधि अनुकूल प्रतीत नहीं होता हैं । यह हैं कि इस कार्यवाही से भीलवाड़ा जिले के सभी पटवारियों/भू-अभिलेख निरीक्षकों में गम्भीर असंतोष व्याप्त हैं तथा भय व निराशा का माहौल हैं । विधि में यह कहा गया हैं कि निलम्बन कोई सजा नहीं हैं, लेकिन हकीकत यह हैं कि निलम्बन से बड़ी कोई सजा भी नहीं हैं। निलम्बन से न केवल कर्मचारी की सामाजिक प्रतिष्ठा का हनन होता हैं, अपितु कर्मचारी में नैतिक हतोत्साह का भाव उत्पन्न होता हैं । अतः राजस्थान पटवार-कानूनगो संघ शाखा भीलवाड़ा द्वारा से विनम्र आग्रह हैं कि प्रकरण में निलम्बित किए गए सभी कार्मिकों को सोमवार 22 दिसंबर 2025 तक बहाल किया जावें तथा इनके विरूद्ध प्रस्तावित विभागीय कार्यवाही को निरस्त किया जावें, अन्यथा मजबूरन राजस्थान पटवार-कानूनगो संघ को दिनांक: 23 दिसंबर 2025 से अनिश्चितकालीन संपूर्ण कार्य बहिष्कार कर जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया जायेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी जिला प्रशासन की होगी ।


