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बालकों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम के लिए पॉक्सो अधिनियम एक सशक्त कानूनी औजार-डॉ प्रभा भाटी

आर.एन.टी. विधि महाविद्यालय में ‘पॉक्सो अधिनियम’ पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन

माण्डलगढ़। स्मार्ट हलचल|गांधीनगर सेक्टर नंबर पांच स्थित आर.एन.टी. विधि महाविद्यालय में सोमवार को ‘पॉक्सो अधिनियम 2012 (पोक्सो एक्ट प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट, 2012)’ विषय पर एक दिवसीय विधिक कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का उद्देश्य विद्यार्थियों को बाल यौन उत्पीड़न से संबंधित विधिक प्रावधानों न्यायिक दृष्टिकोण एवं संवैधानिक सुरक्षा के प्रति जागरूक करना था। कॉलेज समन्वयक गौरव त्यागी एवं उप प्राचार्य डॉ. प्रभा भाटी ने दीप प्रज्वलन कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि “बालकों के विरुद्ध हो रहे अपराधों को रोकने के लिए पॉक्सो अधिनियम एक सशक्त कानूनी औजार है, और विधि के विद्यार्थियों को इसका गहन अध्ययन कर समाज में जागरूकता फैलानी चाहिए।” वक्ता के रूप में विधि सहायक आचार्य गजेन्द्र जोशी एवं अमित कोहली ने पॉक्सो अधिनियम की उत्पत्ति, उद्देश्य, प्रावधानों एवं न्यायिक व्याख्या पर पावर पॉइंट प्रस्तुति (पीपीटी) के माध्यम से विस्तृत व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि यह अधिनियम न केवल बाल यौन अपराधों के खिलाफ कठोर दंड का प्रावधान करता है, बल्कि पीड़ित बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और पुनर्वास की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कदम है। कार्यशाला के दौरान पॉक्सो अधिनियम में पुलिस की भूमिका और अभियोजन प्रक्रिया पर चर्चा की, वहीं बच्चों से जुड़े मामलों में न्यायालय की संवेदी भूमिका पर प्रकाश डाला। पॉक्सो कानून में महिला अधिकारियों की जिम्मेदारियों एवं चुनौतियों पर भी विस्तृत रूप से अपने विचार रखे।”समाज में जागरूकता ही बाल अपराधों के विरुद्ध सबसे सशक्त हथियार है।” उन्होंने छात्र-छात्राओं को बाल सुरक्षा से जुड़े एनजीओ और हेल्पलाइन नंबरों की जानकारी भी दी और पॉक्सो अधिनियम में साक्ष्य की प्रक्रिया पर विस्तार से बताया और न्यायालय में साक्ष्य की विश्वसनीयता पर छात्रों से चर्चा की। कार्यशाला के दौरान यह भी बताया कि कि पॉक्सो एक्ट केवल दंड का विधान नहीं, बल्कि यह संवेदना और नैतिक जिम्मेदारी का प्रतीक है। इस अवसर पर छात्रों को प्रेरित भी किया कि वे भविष्य में विधि व्यवसाय के माध्यम से समाज में बाल सुरक्षा की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएं।
कार्यशाला के अंत में उपस्थित विद्यार्थियों एवं अतिथियों का धन्यवाद विधि व्याख्याता जफ्फर हुसैन वैलिम के द्वारा किया गया, जिसमें सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएं विद्यार्थियों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं देतीं, बल्कि उन्हें वास्तविक विधिक प्रक्रिया की गहराई से भी परिचित कराती हैं।कार्यशाला में बड़ी संख्या में एल. एल.बी. प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय वर्ष विधि स्नातकोत्तर, डी.एल.एल. के विद्यार्थियों ने भाग लिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में कॉलेज की समस्त फैकल्टी टीम जमीर आलम, सोनिया राजोरा, कुमार मेघवंशी, ललित मीणा एवं डॉ. प्रियंका शर्मा, मेहा डाड, दीपक शर्मा, डॉ. अनिल कुमार, सोनू अन्य स्टाफ सदस्यों का उल्लेखनीय योगदान रहा।

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