जहाजपुर (मोहम्मद आज़ाद नेब) राजस्थान पुलिसकर्मियों की जायज़ मांगों को लेकर सरकार की अनदेखी से नाराज़ पुलिस कर्मचारियों ने इस बार होली का बहिष्कार किया। लेकिन सवाल यह उठता है कि उन्होंने अन्य पर्वों या सामान्य दिनों में यह विरोध दर्ज क्यों नहीं कराया? आखिर होली को ही प्रतीकात्मक विरोध के लिए क्यों चुना?
क्योंकि होली भाईचारे और खुशी का पर्व है। होली को खुशियों का त्योहार माना जाता है, जहां लोग आपसी मतभेद भुलाकर एकजुट होते हैं। पुलिसकर्मियों ने इस त्योहार को मनाने से इनकार कर यह संदेश दिया कि जब तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया जाता, वे खुश नहीं रह सकते। ओर होली एक बड़ा पर्व है, जिसे मीडिया और प्रशासन खास तवज्जो देता है। इस मौके पर विरोध करने से उनकी आवाज़ सरकार और उच्च अधिकारियों तक बेहतर तरीके से पहुंच सकती है।
दुसरी बड़ी वजह यह है कि सामान्य दिनों में विरोध करने से प्रशासन और सरकार पर उतना दबाव नहीं बनता। आम दिनों में विरोध करने पर इसे मीडिया और जनता से अपेक्षित समर्थन नहीं मिलता। त्योहारों पर विरोध करने से जनता भी मुद्दे को गंभीरता से लेती है और सरकार पर दबाव बढ़ता है। इसके साथ ही राजस्थान सरकार को चाहिए कि वह पुलिसकर्मियों की जायज़ मांगों पर गंभीरता से विचार करे, ताकि भविष्य में इस तरह के विरोध प्रदर्शन न हों और पुलिसकर्मियों का मनोबल बना रहे।