– मनमानी ब्याज दर पर प्रभावशाली लोग कस्बे में चला रहे समानांतर बैंक- डायरी सिस्टम से ब्याज पर बांटे जा रहे रुपए, रसूख की दम पर कर रहे मनमाने ब्याज की वसूली
स्मार्ट हलचल/कस्बे में फैल रहे सुदखोरो के जाल में आज हर तबके के लोग मजबूरी वश फसते जा रहे हैं। वो मोटे ब्याज और मनमानी शर्तो पर सूदखोरों से पैसा ले रहे हैं लेकिन मोटी ब्याज दर होने के कारण समय पर पैसा नहीं चुकाने पर उनको कई तरीकों से प्रताड़ित किया जाता है । सूदखोरों से प्रताडि़त लोगों की मदद के लिए यहां का पुलिसिया तंत्र और प्रशासन सख्त नहीं है। सूदखोर किसान या अन्य व्यक्ति को परेशान करके मूल रकम से दोगुना ब्याज वसूलने के धंधे में लगे हुए हैं। लोग पुलिस और प्रशासन के पास न्याय की गुहार ही लगाते रहे जाते हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं रहता है। कस्बे और आसपास के क्षेत्र मे अनुमान के मुताबिक सैकडो से ज्यादा सूदखोर हैं, जो बिना किसी लाइसेंस के अपने प्रभाव और रसूख के दम पर कस्बे गांव-गांव में ब्याज का काम कर रहे हैं। इधर वर्तमान में कस्बे में भी बड़ी तेजी से ब्याज पर रकम देने का धंधा डायरी सिस्टम से चल रहा है। छोटी पूंजी या रोजनदारी से कारोबार करने वाले दुकानदार इन डायरी सिस्टम वाले सूदखोरों का आसान टॉरगेट बना रहे हैं।
किसान-मजदूरों का सबसे ज्यादा शोषण हो रहा :
सबसे ज्यादा गरीब तबका, किसान और युवा इन सूदखोरों के चंगुल में फंसे हुए हैं। जरूरत पर वह पैसा लेने के लिए अपनी कीमती वस्तुएं भी गिरवी रखते हैं और सूदखोर उनसे पांच से दस प्रतिशत महीने के हिसाब से ब्याज वसूलते हैं। इससे गरीब व्यक्ति दिन भर जो भी मेहनत-मजदूरी करके पैसा जुटाता है उससे वह मूल धन तो छोड़ो ब्याज ही पूरा नहीं कर पाता है। इससे या तो वह क्षेत्र छोड़कर भाग जाता है या फिर असमय ही मौत गले लगा लेता है नीमराना कस्बे में इस तरह सूदखोरों से परेशान होकर काफी संख्या में लोग कस्बे को छोड़कर अन्यत्र जगह भाग चुके। राठ मंच के अध्यक्ष मनोज मुद्गल एडवोकेट ने स्थानीय प्रशासन से इस तरह का धंधा करने वाले सूदखोरों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।