“ये कैसा महान,दान,शैतान?”
स्मार्ट हलचल/गरीब आदमी ज्ञान दे तो बकचोदी ,
अमीर आदमी ज्ञान दे तो मोटिवेशन।
घमंडी आदमी ज्ञान दे तो आदेश,
चटूहों का ज्ञान सर्वोत्तम ,
चाटने में हैं उत्तम,
बाप का ज्ञान डाकू वालेव,
बेटे हराम का खाने वाले,
पापी परिवार संरक्षण में अव्वल,
शोषण सिर्फ बढ़ाए संबल,
फर्जी बाटे जन को कंबल,
समधी मांगे नोट का बंडल,
बहनोई चाटे इनका जूठन,
और रिश्ते पाएं मुठ्ठन,
बेटे इनसे बड़े मदाड़ी,
उनसे बड़ा है बाप खिलाड़ी,
लूट की लंका कबतक पाले,
शूट किया सभी रखवाले,
बैरी है ये प्यार का,
आदमी नही ऐतबार का,
खून का प्यासा हरदम रहता,
पिल्लों से बस है इनका नाता,
दूर से लगता सैयों का सैंया,स्मार्ट हलचल/
पास आओ तो भूखा भेड़ियां,
गाय बनके आया था,
लोगों ने अपनाया था ,
पिल्ले पेलें पाड़ागिरी,
इनको आती शर्म न थोड़ी,
बात बात में लड़ते रहते,
तनिक नही हैं पढ़ते लिखते,
पहले तो खानदान को छोड़ा,
फिर ये इंसानियत को छोड़ा,स्मार्ट हलचल/
जम्हूरियत को भोका भाला है,
खून चूस के मतवाला है,
कोस पे पानी,चार कोस पे बानी,
घूम के चटूहे चाटे चौखट चानी,
चटूहों के चीरहरण में हरी ही हारा है,
भाड़ में जाएं भोलापन कालेज हमारा है,
बेशरम भी समधी पाया,
रिश्तों का सब पाया हिलाया,स्मार्ट हलचल/
लूट को देख डाकू शर्माए,
पिल्लों सहित सब रिश्ते समवाए,
कोढ़ को बांटा,सबको बांटा,
लाज पचवन में कंबल बांटा,
कंबल नीचे घी है खाता,
शामिल सभी हैं इसके भ्राता,
किसी के दिल में जगह नही है,
इसको तनिक अफसोस नही है,
कोई रहे ना रहे माल तो है,
सबधन समधन का ख्याल तो है,
तिनका नही लगा है इनके बाप का,
बता समधी जीजा क्या लगा है आपका,स्मार्ट हलचल/
मैं कवि नही जैसे आप आदमी नही,
मैं कुछ भी हो सकता हूं भेड़िया नही,
आओ इसको कुछ सबक सिखाएं,
समाज लूटने का हूनर जो पाएं,
बहनोई,समधी,रिश्ते सभी इसके गद्दार,
कोई जाने कैसे इसकी माया अपरम्पार,
भले मानुष की औकात बताता,
लूट के शिवा क्या तुमको आता,
फालतू में करता पिता माता,
नाम इनके जमीन हड़पाता,
डीएस से ये जलता भूनता,
पसंगे में भी है नही है आता,
डीएस है भगवान क्षेत्र का,
ये है सिर्फ शैतान क्षेत्र का,
लोगों को लूटा,लोगों को बांटा,
घर में नही था खाने को आटा,
घर-घर घूम के मांगे माठा,
ऐसे बनाया पिल्लों को पाठा,
कहता खुद हैं पिल्ले पाप के,
ऐसे कैसे होंगे अपने बाप के,
करम ही इसका खोटा है,
चलाता सिक्का खोटा है,
अब नही कुछ कहना चाहता,
इस पापी से मेरा क्या नाता,
दर्द दिया है इसने इतना,
शब्द कहां है मेरा इतना,
फिर मिलेंगे अगली बार,
इसको मारें जूते चार,
बहुत किया सिस्टम बेजार,
कालेज को बनाया बाजार,
इस बाजार का माली है ये,
बाग बेचने वाला माली है ये।
दिवाली व छठ की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ,चटूहों के चेयरमैन को समर्पित!