भीलवाड़ा । गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री रहे रामलाल जाट के खिलाफ पांच करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। राजसमंद के एक माइनिंग व्यवसायी ने जाट और उनके साथियों के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया था, जिस पर कोर्ट ने ये आदेश जारी किए हैं। राजस्थान के पूर्व राजस्व मंत्री और कांग्रेस नेता रामलाल जाट की मुसीबतें अब बढ़ती नजर आ रही हैं। उन पर पांच करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप लगने के बाद अब इस मामले की जांच सीबीआई करेगी। जोधपुर हाईकोर्ट के जज फरजंद अली ने मंगलवार को इस मामले में केंद्रीय जांच एजेंसी को जांच के आदेश दिए हैं। आरोप है कि रामलाल जाट ने राजसमंद के एक माइनिंग कारोबारी से ग्रेनाइट माइंस के पचास प्रतिशत शेयर अपने करीबी रिश्तेदारों के नाम करवाए और उसके बदले में जो रकम देने का वादा किया था, वह नहीं दी । मामला 2022 का है, जब राजसमंद के गढ़बोर निवासी माइनिंग व्यवसायी परमेश्वर जोशी ने रामलाल जाट और उनके साथियों के खिलाफ भीलवाड़ा जिले के करेड़ा थाने में धोखाधड़ी और चोरी का मामला दर्ज करवाया था। परमेश्वर जोशी का कहना था कि वे करेड़ा के रघुनाथपुरा में अरावली ग्रेनि मार्मो प्राइवेट लिमिटेड नाम से ग्रेनाइट माइंस का संचालन कर रहे थे। माइंस में वे डायरेक्टर और शेयर होल्डर थे, जबकि कंपनी का रजिस्ट्रेशन श्यामसुंदर गोयल और चंद्रकांत शुक्ला के नाम से था। कंपनी की स्थापना के समय परमेश्वर जोशी ने श्यामसुंदर और चंद्रकांत को दस करोड़ रुपये देने थे, जिसके चलते इन दोनों ने माइंस के पचास प्रतिशत शेयर परमेश्वर और उनकी पत्नी भव्या जोशी के नाम कर दिए। आरोप के मुताबिक बाकी के पचास प्रतिशत शेयर का सौदा बाद में कांग्रेस नेता रामलाल जाट से हुआ, जिन्होंने ये शेयर अपने करीबी रिश्तेदार मोना चौधरी और सुरेश जाट के नाम करवा दिए। इस सौदे में पांच करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना था, लेकिन जब दस्तावेजों में नामांतरण पूरा हो गया तो रामलाल जाट ने पैसे देने से मना कर दिया। पहले उन्होंने दो करोड़ रुपये देने की बात कही, लेकिन बाद में वह रकम भी नहीं दी गई। जब पीड़ित कारोबारी ने इसका विरोध किया, तो उसे धमकाया गया और उसकी माइंस पर काम कर रहे मजदूरों को वहां से भगा दिया। परमेश्वर जोशी ने मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाने की कोशिश की, लेकिन वहां सुनवाई न होने पर उन्हें कोर्ट का सहारा लेना पड़ा। 17 सितंबर 2022 को कोर्ट के आदेश पर करेड़ा थाने में पूर्व मंत्री रामलाल जाट सहित पांच अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसमें रामलाल जाट के अलावा पूरणलाल, सूरज जाट, महिपाल सिंह और महावीर प्रसाद का नाम भी शामिल है।अब हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने सीबीआई को केस डायरी और अन्य दस्तावेज डीजीपी कार्यालय से लेकर निष्पक्ष जांच करने को कहा है। मामले की जांच अब केंद्रीय एजेंसी करेगी, जिससे उम्मीद की जा रही है कि निष्पक्ष कार्रवाई होगी। हाईकोर्ट में परमेश्वर जोशी ने अपील की थी कि इस मामले में प्रभावशाली लोग शामिल हैं और राज्य पुलिस से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं की जा सकती, जिसके बाद सीबीआई को जांच सौंपने का फैसला लिया गया। सीबीआई जांच के आदेश के बाद राजस्थान की राजनीति में भी हलचल मच गई है। रामलाल जाट कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं और अशोक गहलोत सरकार में राजस्व मंत्री भी रह चुके हैं। उनके खिलाफ जांच शुरू होने से पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है। इस मामले में आगे की कार्रवाई सीबीआई की रिपोर्ट पर निर्भर करेगी, लेकिन अगर आरोप सही साबित हुए तो रामलाल जाट और अन्य आरोपियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई हो सकती है।