उत्कृष्ट बच्चों, युवाओं और सेवादारों को किया गया सम्मानित
रणवीर सिंह चौहान
स्मार्ट हलचल|भवानी मंडी|पंज प्याले पंज पीर, छठम पीर बैठा गुरु भारी,अर्जन काया पलट के, मूरत हरगोबिंद सवारी ।।
सिखों के छठे गुरु, मीरी-पीरी के मालिक श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी के पावन प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरुद्वारा साहिब, भवानी मंडी में विशेष दीवान का आयोजन किया गया। इस पवित्र अवसर पर साध संगत ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और गुरु साहिब के जीवन, शिक्षाओं और बलिदानों को याद किया।
श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी (1595-1644) सिख धर्म के छठे गुरु थे, जिन्होंने मीरी-पीरी का सिद्धांत स्थापित किया। उन्होंने सिख समुदाय को आध्यात्मिकता के साथ-साथ आत्मरक्षा और न्याय के लिए सशस्त्र संगठन की प्रेरणा दी। गुरु साहिब ने अकाल तख्त की स्थापना की, जो सिखों के लिए धार्मिक और सामाजिक न्याय का केंद्र बना। उनकी वीरता और नेतृत्व ने मुगल शासकों के अत्याचारों के खिलाफ सिख समुदाय को मजबूत किया। गुरु जी ने 52 हिंदू राजाओं को मुगल कैद से मुक्त करवाया, जिसके कारण उन्हें “बंदी छोड़” के रूप में जाना जाता है। उनकी शिक्षाएं आज भी सिख समुदाय को धर्म, शौर्य और सेवा का मार्ग दिखाती हैं।
प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में गुरुद्वारा साहिब, भवानी मंडी में सप्ताह पाठ साहिब जी की समाप्ति सुबह 10 बजे संपन्न हुई। इसके उपरांत श्री सुखमनी साहिब जी के पाठ की सेवा की गई। विशेष कीर्तन दीवान का आयोजन किया गया, जिसमें हुजूरी रागी जत्थों ने गुरबाणी के शबदों के माध्यम से साध संगत को निहाल किया। दोपहर 12 बजे समागम की संपूर्ण समाप्ति हुई, जिसके बाद गुरु जी का अटूट लंगर वितरित किया गया। इस अवसर पर पारंपरिक मिस्सी रोटी और प्याज का लंगर विशेष रूप से संगत को परोसा गया ।
विशेष कीर्तन दीवान में उन मेधावी बच्चों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने बोर्ड परीक्षाओं में उत्कृष्ट अंक प्राप्त किए। साथ ही, विभिन्न क्षेत्रों में योगदान देने वाले युवाओं और गुरुघर के समर्पित सेवादारों को भी सम्मानित किया गया।
यह सम्मान समारोह गुरु साहिब की शिक्षाओं के अनुरूप शिक्षा, सेवा और समुदाय के प्रति समर्पण को बढ़ावा देने का प्रतीक रहा।
गुरुद्वारा साहिब, भवानी मंडी के सचिव अमनदीप सिंघ जी ने संगत को संदेश दिया कि गुरु हरगोबिंद साहिब जी की शिक्षाएं हमें धर्म और कर्म के संतुलन का पाठ पढ़ाती हैं। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। अंत में प्रधान प्रीतपाल सिंघ जी ने संगत का आभार व्यक्त किया।