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हार्ट अटैक के खतरे से बचाव के लिए नियमित करें योगासन, हृदय रहेगा सेहतमंद


योग दिवस पर विशेष
हार्ट अटैक के खतरे से बचाव के लिए नियमित करें योगासन, हृदय रहेगा सेहतमंद

भीलवाड़ा :-स्मार्ट हलचल/पिछले कुछ वर्षों में हृदय रोग के बढ़ने मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। कम उम्र के लोग हृदय के गंभीर रोगों के खतरे के बीच हैं। 25 से 35 वर्ष से कम आयु के लोगों के बीच हृदयाघात के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में देखा गया कि कम उम्र के ऐसे लोग जो जिम जाते हैं और फिटनेस पर ध्यान देते हैं, उन्हें दिल का दौरा पड़ा। ऐसे में लोग जिम जाने से भी डरने लगे हैं कि कहीं यह हृदय घात के खतरे की वजह तो नहीं। हालांकि हृदय रोग की समय पर पहचान करके और बचाव के उपायों को अपनाकर हृदय के जोखिम को कम किया जा सकता है। सबसे जरूरी है कि हृदय को स्वस्थ रखा जाए। इसके लिए दिनचर्या में पौष्टिक आहार को शामिल करें। स्वास्थ्य विशेषज्ञ नियमित योग-व्यायाम की आदत बनाने की भी सलाह देते हैं। योग हृदय की क्षमता को बढ़ाने में मदद करने के साथ ही अन्य रोगों के खतरे को भी कम करने में सहायक है।
ह्रदयाघात क्या है
दिल का दौरा (मायोकार्डियल इंफार्क्शन) एक बेहद खतरनाक स्थिति है जो इसलिए होती है क्योंकि आपके दिल की कुछ मांसपेशियों में पर्याप्त रक्त प्रवाह नहीं होता है। रक्त प्रवाह की यह कमी कई अलग-अलग कारकों के कारण हो सकती है लेकिन आमतौर पर यह आपके दिल की एक या अधिक धमनियों में रुकावट से संबंधित होती है ।
रक्त प्रवाह के बिना, प्रभावित हृदय की मांसपेशी मरना शुरू हो जाएगी। यदि आपको रक्त प्रवाह जल्दी से वापस नहीं मिलता है, तो दिल का दौरा स्थायी हृदय क्षति और/या मृत्यु का कारण बन सकता है
दिल का दौरा कितना आम है
हर साल, भरत में 27% से ज़्यादा लोगों को दिल का दौरा पड़ता से मारते है। ज़्यादातर दिल के दौरे कोरोनरी धमनी की बीमारी के कारण होते हैं , दिल का दौरा पड़ने पर कैसा महसूस होता है
कई लोगों को दिल का दौरा पड़ने पर सीने में दर्द महसूस होता है। यह बेचैनी, दबाव या भारीपन जैसा महसूस हो सकता है, या यह कुचलने जैसा दर्द महसूस हो सकता है। यह आपकी छाती से शुरू होकर आपके बाएं हाथ (या दोनों हाथ), कंधे, गर्दन, जबड़े, पीठ या कमर की ओर नीचे तक फैल सकता है (या फैल सकता है)।
लोग अक्सर सोचते हैं कि उन्हें अपच या सीने में जलन हो रही है , जबकि आपकी कोरोनरी धमनी में रुकावट के कारण रक्त आपके हृदय की मांसपेशियों तक नहीं पहुंच पाता, जिससे दिल का दौरा पड़ता है
अवरुद्ध कोरोनरी धमनी रक्त को आपके हृदय की मांसपेशियों तक पहुंचने से रोकती है और दिल के दौरे का कारण बनती है।
हृदयाघात के लक्षण जो लोग अक्सर बताते हैं

●सीने में दर्द ( एनजाइना )।
सांस लेने में तकलीफ या सांस लेने में परेशानी।
●नींद न आने की समस्या ( अनिद्रा )।
मतली या पेट में तकलीफ।
दिल की घबराहट ।
●चिंता या “आसन्न विनाश” की भावना।
●सिर हल्का महसूस होना, चक्कर आना या बेहोश हो जाना।तव में उन्हें दिल का दौरा पड़ रहा होता है।
●कुछ लोगों को केवल सांस लेने में तकलीफ , मतली या पसीना आने का अनुभव होता है। हार्ट अटैक के खतरे को करना है कम तो रोजाना करें 30 मिनट योगाभ्यास करे मॉर्डन लाइफस्टाइल में खराब आदतों की वजह से दिल की सेहत पर काफी बुरा असर पड़ रहा है. जिसकी वजह से हार्ट फेलियर, स्ट्रोक और हार्ट अटैक के काफी मामले देखने को मिलते हैं. योगा कुछ योगासनों की हेल्प से दिल को हेल्दी रखा जा सकता है और हार्ट डिजीज के खतरों को काफी कम किया जा सकता है. योग आसान जो लाभकारी है
1.ताड़ासन
योग हमारे शरीर के बाहरी अंगों को तो फ्लेक्सिबल और मजबूत बनाने में हेल्प करता ही है, इसके साथ में शरीर के अंदरूनी अंगों के लिए भी योगा बेहद फायदेमंद है. हार्ट की हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए ताड़ासन करें. ये काफी आसान योगासन है और हार्ट के साथ ही पूरे शरीर के लिए फायदेमंद है.
2. वीरभद्रासन
दिल की सेहत को अच्छा रखने के लिए किए जाने वाले योगासनों में से एक है वीरभद्रासन. इसे करना भी ज्यादा मुश्किल नहीं है. इस आसन को करने से शरीर के संतुलन में सुधार होता है और रक्त परिसंचरण भी अच्छा रहता है. यह आसन स्ट्रेस को कम करता है और हार्ट रेट को सही रखने में हेल्पफुल है जिससे दिल की कार्यक्षमता में सुधार होता है. 3. उत्तानासन
हार्ट हेल्थ को अच्छा रखने के लिए उत्तानासन करना चाहिए. इस आसन को करने के दौरान जब शरीर आगे की ओर झुकता है तो ब्लड का सर्कुलेशन दिल की ओर बढ़ने लगता है. जिससे हार्ट की काम करने की क्षमता बेहतर बनती है. इस आसन को करने से जांघ, घुटनों, टखनों और स्पाइन की मसल्स की फ्लेक्सिबिलिटी भी बढ़ती है. 4.भुजंगासन
दिल को स्वस्थ रखने के लिए भुजंगासन भी सबसे फायदेमंद योगासन में से एक है. इसका नियमित रूप से कुछ मिनट अभ्यास करना दिल के ब्लॉकेज को खोलने में कारगर हो सकता है. वहीं इस आसन को करने से पेट की चर्बी को कम करने में हेल्प मिलती है और पाचन से जुड़ी समस्याएं भी दूर रहती हैं.
हृदय रोग के लिए प्राणायाम
प्राणायाम के नियमित अभ्यास से आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। हृदय स्वास्थ्य के लिए व्यायाम विशेष रूप से महत्वपूर्ण होता है। उच्च कोलेस्ट्रॉल और उच्च रक्तचाप आपके हृदय स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं। ऐसे में जोखिम को कम करने के लिए आपको नियमित रूप से इन योगासन के अभ्यास को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। यह आपके हृदय स्वास्थ्य को बनाए रखने में मददगार साबित हो सकते हैं। 1.भस्त्रिका प्राणायाम.
●इस प्राणायाम को करने के लिए आपको सबसे पहले स्वच्छ और खुले वातावरण का चयन करना होगा।
●इसके बाद उस जगह पर आसन के ऊपर पद्मनास की मुद्रा में बैठना होगा।
●अब इस मुद्रा के दौरान आपको अपनी गर्दन और रीढ़ की हड्डी को सीधा करना होगा।
●इसके बाद लंबी सी सांस लें और फिर सांस को कुछ सेकंड तक रोक कर रखें, ताकि हवा आपके फेफड़ों में अच्छे से भर जाये।
●अब धीरे – धीरे एक-एक करके सांस को बाहर की तरफ छोड़ें।
●इस आसन की प्रक्रिया को आप एक बार में कम से कम दस बार दोहराएं।
●इस योगआसन को आप नियमित रूप से सुबह और शाम के समय करें।
●इस योगासन से कोलेस्ट्रॉल के बढ़ते स्तर को कुछ हद तक कम किया जा सकता है।
2. उज्जयी प्राणायाम.
●इस योग को करने से एकग्रता बढ़ती है साथ ही इस योग से आपके फेफड़े सुचारु रूप से काम करने में सहायक होते हैं।
●इसके लिए आप नियमित रूप से इस प्राणायाम को रोजाना सुबह और शाम के समय करें।
●इस योग को करने के लिए आपको पहले गहरी सांस अंदर की ओर लेनी होगी और फिर बाहर की और तेजी से छोड़नी होगी।
3. कपालभाति योगासन
यह योगासन फेफड़ों की अच्छी सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इस योगासन को नियमित रूप से करने पर आपके फेफड़े शुद्ध हो सकते हैं। इस योग आसान को करने के लिए आपको आसन पर बैठकर एक लंबी सांस लेनी है, फिर इसे इसे कुछ देर तक रोककर कर रखने की कोशिश करनी है। फेफड़ों को शुद्ध रखने के अलावा यह योगआसन आपकी पाचन क्रिया और श्वसन तंत्रिका को भी मजबूत रखने में मदद करता है।
4 .अनुलोम विलोम
इस प्रकार का प्राणायाम बारी-बारी से नाक से सांस लेने के बारे में है। इसका मतलब है कि अगर आप अपनी दाईं नाक बंद करते हैं, तो आपको अपनी बाईं नाक से गहरी सांस लेनी होगी और इसके विपरीत। यह ऊर्जा प्रवाह को संतुलित करता है, मन को शांत करता है और स्वायत्त तंत्रिका तंत्र को संतुलित करने में मदद कर सकता है।

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