डमी प्रवेश के शिक्षा पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव पर चर्चा
जयुपर/कोटा।स्मार्ट हलचल/राजस्थान के विभिन्न जिलो के गैर-सरकारी विद्यालयों के संगठन पदाधिकारियों एवं विद्यालय संचालकों ने कोटा में एक कार्यशाला कोटा में आयोजित की। इस कार्यशाला में विद्यार्थियों के ‘डमी प्रवेश के शिक्षा पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभाव एवं इसे कैसे रोक जाए’, इस विषय पर दो दिनों तक विचार-विमर्श किया। इस विचार-विमर्श में विद्यार्थियों के डमी प्रवेश के हर पहलू पर चिंतन किया गया। बैठक में विभिन्न विषय पर चर्चा की गई।
कोचिंग में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के विद्यालयों में होने वाले डमी प्रवेश का सबसे ज्यादा बुरा असर उन विद्यालयों पर हो रहा है, जो विद्यालय कानून का पालन करते हुए विद्यालय का संचालन करना चाहते हैं। ऐसे विद्यालय किसी भी प्रकार का डमी प्रवेश नहीं देना चाहते हैं तथा विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति को सुनिश्चित करते हुए विद्यालय की समस्त गतिविधियों का आयोजन कर बच्चों का सर्वांगीण विकास करना चाहते हैं। यह प्रयास ही उनके लिए आत्मघाती सिद्द हो रहा है। इन विद्यालयों में बच्चों की संख्या तेजी से कम हो रही है। ऐसे पीड़ित विद्यालयों में प्रतिष्ठित गैर-सरकारी विद्यालयों के साथ-साथ सरकारी विद्यालय भी शामिल हैं।
जो बच्चे विद्यालय समय में कोचिंग में पढ़ना चाहते हैं तथा विद्यालय में केवल डमी के रूप में रहना चाहते हैं, ऐसे बच्चे उन विद्यालयों में प्रवेश ले रहे हैं जो गैर-कानूनी तरीके से बच्चों की उपस्थति दर्ज कर ‘डमी कल्चर’ को बढ़ावा देने के लिए तैयार हैं। इन विद्यालयों को कोचिंग केंद्रों का संरक्षण भी प्राप्त हो रहा है।
‘डमी विद्यार्थी’ संस्कृति को कोचिंग केंद्रों का खुला संरक्षण-
ऐसे विद्यार्थी जो अभी कक्षा-6 से 12 तक विद्यालयों में नियमित रूप में पंजीकृत हैं तथा विद्यालयों में उपस्थित न होकर कोचिंग केंद्रों में पढ़ते हैं, इन विद्यार्थियों को कोचिंग केंद्रों ने खुला संरक्षण दे रखा है। कोचिंग केंद्रों को अच्छी तरह से पता है कि उनके यहाँ पढ़ने वाले विद्यार्थी, राज्य के कई अन्य शहरों में तथा राजस्थान से बाहर के अन्य राज्यों के विद्यालयों में नियमित रूप में पंजीकृत हैं। इन विद्यार्थियों को उनकी कोचिंग में पढ़ाना गैर-कानूनी है, इसके बावजूद भी अपने स्वार्थ में उन्होंने आखें बंद कर रखी हैं।
‘डमी विद्यार्थी’ संस्कृति पर सरकार की बंद आंखे-
‘डमी विद्यार्थी’ संस्कृति को रोकने के लिए सेकड़ों बार विद्यालयों द्वारा सरकारी विभागों को ज्ञापन दिए गए। कई बार समाचार पत्रों एवं अन्य माध्यमों से सरकार तक बात पहुंचाई गई, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा सरकार को निर्देश दिए गए, केंद्र सरकार द्वारा भी राज्य सरकार को दिशा-निर्देश दिए गए, लेकिन अभी तक एक बार भी कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यह स्थिति तो तब है जब केन्द्र सरकार की गाइडलाइंस को राज्य सरकार द्वारा स्वीकार किया गया है तथा इनकी अक्षरश पालना के लिए सभी जिला कलेक्टर को लिखा गया है। लेकिन जिला कलेक्टर द्वारा कहीं भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है।
गैर-सरकारी विद्यालयों की मांग-
गैर-सरकारी विद्यालयों के केन्द्र एवं प्रदेश स्तरीय कई संगठनों ने दो-दिवसीय इस कार्यशाला में भाग लिया तथा उनकी एकमत से मांग है कि-
कोचिंग केंद्रों के पंजीकरण एवं नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस को राज्य में तत्काल प्रभावी रूप से लागू किया जाए।
इन गाइडलाइंस को लागू करने के लिए सरकार द्वारा जो विधेयक तैयार किया गया है उसे लटकाने के बजाय आगामी विधानसभा सत्र में पारित करवाकर तत्काल प्रभावी बनाया जाए।
जिन विद्यालयों में ‘डमी विद्यार्थी’ पंजीकृत हैं उन विद्यालयों के साथ-साथ संबंधित कोचिंग पर भी कार्यवाही की जाए तथा डमी विद्यार्थियों के प्रवेश भी निरस्त किए जाएं।
केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस में 16 वर्ष तक की आयु के विद्यार्थियों की कोचिंग को प्रतिबंधित किया गया है, इसे राज्य में तत्काल एवं प्रभावी रूप से लागू किया जाए। केंद्र सरकार की गाइडलाइंस में विद्यालय समय में कोचिंग के संचालन को प्रतिबंधित किया गया है, इस प्रावधान की सतत मॉनिटरिंग कर कोचिंग संचालन को रोक जाए।