आसींद- प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के ब्रह्मा बाबा की 55 पुण्यतिथि पर विशेष प्रकाश डालते हुए ब्रह्माकुमारी जमुना दीदी ने कहा कि प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय के संस्थापक दादा लेखराज कृपलानी जिन्हें सभी प्यार से ब्रह्मा बाबा कहकर पुकारते थे 18 जनवरी 1969 को 93 वर्ष की आयु में संपूर्णता की स्थिति प्राप्त कर बाबा अव्यक्त हो गए थे लेकिन उन्होंने अपने जीवन में जो मिसाल पेश की उसे आज भी लाखों लोग अनुसरण करते हुए राजयोग के पथ पर आगे बढ़ते जा रहे हैं संस्थान की मुख्य शिक्षा और नारा है स्वापरिवर्तन से विश्व परिवर्तन और नैतिक मूल्यों की पुनः स्थापना 60 वर्ष की उम्र में रखी बदलाव की निव 15 दिसंबर 1876 में जन्मे दादा लेखराज बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि और ईमानदार थे उन्होंने परमात्मा मिलन की इतनी लगन थी की अपने जीवन काल में 12 गुरु बनाएं थे वह कहते थे कि गुरु का बुलावा मतलब काल का बुलावा 60 वर्ष की आयु में वर्ष 1936 में आपको दुनिया के महाविनाश और नई सृष्टि का साक्षात्कार हुआ इसके बाद आपने परमात्मा के निर्देश अनुसार अपनी सारी चल अचल संपत्ति को बेचकर माता बहनों के नाम एक ट्रस्ट बनाया उस समय संस्थान का नाम ओम मंडली था वर्ष 1950 में संस्थान के माउंट आबू स्थानांतरण के बाद इसका नाम प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय पड़ा पिताश्री प्रजापिता ब्रह्मा बाबा 55 पुण्य स्मृति दिवस के अवसर पर आयोजित विश्व शांति दिवस के रूप में मनाया गया ब्रह्माकुमारी सरला बहन पार्षद मंजू बेन लक्ष्मी कंवर राज बेन प्रेम बेन रेखा बेन माया बेन, घनश्याम सिंह ,अर्चना मेवाड़ा नवरत्न भाई मेवाड़ा आदि भाई बहन उपस्थित रहे ।