पुनित चपलोत
भीलवाड़ा । भीलवाड़ा की सहाड़ा तहसील क्षेत्र के चीड़ खेड़ा गांव में एक अनोखा नजारा देखने को मिला। क्षेत्र में अवैध कोयला भट्टियों के खिलाफ प्रशासन और पुलिस की सख्ती का असर अब जमीनी स्तर पर दिखने लगा है। कानूनी कार्रवाई और भारी जुर्माने के डर से भट्टा मालिकों ने खुद ही अपनी अवैध भट्टियों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया है।
कार्रवाई के डर से पीछे हटे संचालक
ग्रामीणों के अनुसार मंगलवार को अचानक भट्टा संचालकों ने खुद ही अपने खर्च पर इन अवैध ढांचों को हटाना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि प्रशासन द्वारा पिछले कुछ दिनों से अवैध गतिविधियों पर बढ़ाई गई निगरानी के बाद संचालकों को बड़ी कार्रवाई का अंदेशा था। किसी भी कानूनी पचड़े और पुलिसिया कार्रवाई से बचने के लिए उन्होंने आनन-फानन में यह कदम उठाया।
ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
चीड़ खेड़ा में पिछले कई वर्षों से ये अवैध कोयला भट्टियां धड़ल्ले से संचालित हो रही थीं। इनसे निकलने वाले जहरीले धुएं से न केवल पर्यावरण प्रदूषित हो रहा था, बल्कि स्थानीय ग्रामीणों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा था। लंबे समय से ग्रामीण इन भट्टियों को बंद करने की मांग कर रहे थे। अब जब संचालकों ने खुद इन्हें हटाना शुरू किया है, तो ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है।
प्रशासन की पैनी नजर
हालांकि, इस मामले में पुलिस या तहसील प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि क्षेत्र में अवैध कारोबार के खिलाफ विभाग अब जीरो टॉलरेंस की नीति अपना रहा है। अधिकारियों के मुताबिक, भविष्य में भी ऐसी अवैध गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी ताकि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले तत्वों पर लगाम कसी जा सके।
यह घटना अब पूरे सहाड़ा क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है कि कैसे प्रशासनिक दबाव के चलते अवैध काम करने वाले खुद अपने कदम पीछे खींचने को मजबूर हो गए हैं।


