सुभाष आनंद
स्मार्ट हलचल|वैसे पंजाब सरकार लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं देने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है लेकिन सच्चाई दावों से कोसों दूर है। सरकार की तरफ से सिर्फ खोखले एवं झूठे दावे किए जा रहे है। कुछ समय पहले डेंगू से पंजाब में हुई मौतों ने यह वास्तविकता उजागर कर दी है कि सरकारी और प्राईवेट अस्पतालों में अति महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवा संभाल की भारी कमी है, यदि यही स्थिति चलती रही तो आने वाले 10 वर्षों में भारत के सारे अस्पताल बंद होने के कगार पर पहुंच जाऐंगे। भारत में इस समय 18 लाख नर्सों की कमी है। 2020 में नर्सों की कुल संख्या 20 लाख 18 हजार थी, जो कि अब कम होकर 17 लाख 22 हजार तक रह गई है। पंजाब में 25 हजार नर्सों की कमी चल रही है। प्राईवेट सैक्टर में अनट्रेंड स्टाफ नर्सों से काम लिया जा रहा है। देश में नर्सिंग ट्रेनिंग कालेजों व संस्थाओं में बहुत कम दाखिले हो रहे है। कई अच्छे नर्सिंग ट्रेनिंग सैंटर बंद हो चुके है या फिर बंद होने के कगार पर है। इस समय अमेरिका, इटली, स्पेन और यूरोपियन देशों में स्टाफ नर्सों की भारी कमी है, इसलिए पूर्वी एशिया और दक्षिणी अमेरिका की स्टाफ नर्सों के लिए इन देशों ने दरवाजे पूरी तरह से खोल दिए है। जबकि भारत में केरल प्रांत में नर्सों की संख्या सबसे ज्यादा पाई जा रही है। पूरे पंजाब में अस्पतालों में स्टाफ नर्सों के आधे से ज्यादा पद खाली पड़े है। जिसके कारण अन्य तैनात नर्सों को दो-दो वार्डों में ड्यूटी करनी पड़ रही है और उनकी छुट्टियों पर भी रोक लगा दी गई है।
कई अस्पतालों में नाईट ड्यूटी करने आई स्टाफ नर्सें अपने कमरे में सोई रहती है, चाहे मरीज जितनी भी पीड़ा से चिल्लाता रहे। इसी कारण नर्स का पेशा अपना सम्मान खोता जा रहा है। जच्चा-बच्चा वार्ड में काम करने वाली स्टाफ नर्सें अच्छा वेतन पाने के बावजूद बधाई की मांग अवश्य करती है। केरल के नर्सें जहां मरीजों के प्रति सहानभूति दिखाती है, वहीं पंजाब की नर्से मरीजों से रुखा व्यवहार करती नजर आती है।
दूसरी ओर नर्सिंग पेशे की अपनी भी अनेक समस्याएं हैं। यहां आगे बढऩे का कोई रास्ता दिखाई नहीं देता। पंजाब में 20 वर्ष काम कर चुकी स्टाफ नर्सों को दवाई लिखने तक का अधिकार नहीं है। यूरोपियन देशों में 70 फीसदी मरीजों के आप्रेशन केसों में बेहोश करने की महत्वपूर्ण भूमिका जहां स्टाफ नर्सें अदा कर रही है, वहीं पंजाब के सरकारी अस्पतालों में यह भूमिका स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर करते है। मरीज के आप्रेशन के पश्चात नर्सिंग केयर की भूमिका अति महत्वपूर्ण समझी जाती है। अधिकतर अस्पतालों में जिन मरीजों को अधिकतर सेवा संभाल की जरुरत होती है, वहां नर्से ही वैंटीलेटर पर लगे हुए मरीजों की देखभाल करती है, परंतु पंजाब के कई अस्पतालों में ट्रेंड स्टाफ की कमी के कारण वैंटीलेटर बंद पड़े है। स्टाफ नर्सों की भारी कमी के कारण लोग प्राईवेट अस्पतालों की तरफ रुख कर रहे है, जहां मरीज ने अस्पताल में कितना समय गुजारना है यह डाक्टर तय करते है। लेकिन मरीजों की देखभाल में डाक्टरों से ज्यादा स्टाफ नर्स की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। हमारे देश में 27 हजार से अधिक प्राइमरी हैल्थ सैंटर है, अधिकतर प्राइमरी हैल्थ सैंटर पर डाक्टरों के पद खाली है। पंजाब सरकार को नर्सिंग स्टाफ की समस्याओं पर गंभीर विचार करने की जरुरत है। उनकी विभागीय मांगों पर सहानभूूति से विचार करने की जरुरत है। स्टाफ नर्सों की कमी के कारण पंजाब में स्वास्थ्य सुविधाएं प्रभावित हो रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार पंजाब के वातावरण को खराब करने के लिए कई आतंकी संगठन सक्रिय होते नजर आ रहे है। पश्चिमी बंगाल की घटना के पश्चात स्टाफ नर्सों को ड्यूटी के समय सुरक्षा का जो पंजाब सरकार ने वादा किया वह अभी तक पूरा नहीं हो सका। पंजाब के अस्पतालों में 50 फीसदी नर्सों की कमी है। जब लगातार सेवा संभाल करने वाले कर्मचारी मौजूद नहीं होंगे तो मरीज भयभीत होने लगते है। ऐसी स्थिति में मरीजों की सुरक्षा को सरकार को यकीनी बनाना चाहिए । प्राईवेट सैक्टर में नर्सों की कमी को दूर करने के लिए अनुभवहीन स्टाफ की भर्ती की जाती है, वह भी कम चिंता की बात नहीं है। हमारे देश में 25 हजार प्राइमरी हैल्थ सैंटर में डाक्टरों के पद खाली है। ऐसे में लाचार ग्रामीण मरीजों को नीम-हकीम की तरफ से लूटा जा रहा है, यदि इन प्राइमरी हैल्थ सैंटरों पर तर्जुबेकार नर्सों को तैनात कर दिया जाए तो ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधां उपलब्ध करवाई जा सकती है। पंजाब में अस्पतालों में वैंटिलेटर चलाने के लिए ट्रेंड स्टाफ नर्सों की भारी कमी है। यदि सिविल अस्पताल फिरोजपुर की बात की जाए तो यहां पर 48 पद स्टाफ नर्सों के मंजूर है, जिसमें से 34 स्टाफ नर्से ही काम कर रही है, जबकि 14 पद रिक्त पड़े है। रात के समय सुरक्षा का कोई कर्मचारी नहीं होता। नर्सों की कमी होने के कारण नर्सिंग केयर की क्वालिटी पर सीधा असर पड़ रहा है।


