साध्वी जी की प्रेरणा से तपस्या का क्रम जारी
स्मार्ट हलचल
चौमहला
वर्तमान भौतिकतावाद के युग में बच्चे व युवाओं में आगे बढ़ने की होड़ लगी है। स्वार्थो की पूर्ति के लिए मूलभूत संस्कारों को भूलते जा रहे हैं। संस्कार के बिना जीवन में कुछ भी नहीं है,केवल भौतिक सुख-सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करने से जीवन अधूरा रहता है। साधना से ही आत्मा की शुद्धि और मुक्ति संभव है।
उक्त संबोधन पर्युषण पर्व के दूसरे दिन सुधर्म जैन भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए संत इंद्रेश मुनि महाराज ने प्रकट किया उन्होंने कहा कि आज के युग में जहां भौतिकता का बोलबाला है, वहां आध्यात्मिकता को अपनाना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने बताया कि धर्म का पालन करते हुए साधना का पथ हमें आत्म-साक्षात्कार की ओर ले जाता है, जो कि जीवन का परम लक्ष्य है। धर्म का पालन और साधना ही सच्चे सुख की कुंजी है। महाराजश्री ने कहा कि केवल भौतिक सुख-सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करने से जीवन अधूरा रहता है। साधना से ही आत्मा की शुद्धि और मुक्ति संभव है।
जैन श्वेतांबर मंदिर में पर्युषण पर्व के तीसरे दिन साध्वी सौम्य रत्ना श्रीजी महाराज ठाणा 7 के सानिध्य में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ दोपहर को नवपद जी का पूजन हुआ जिसका लाभ अरविंद्र कुमार विनोद कुमार जैन परिवार द्वारा लिया गया। सोमवार को सभी तपस्वीयों का वधामना किया गया जिसका लाभ नाकोड़ा मित्र मण्डल ने लिया ,तप महोत्सव पत्रिका लेखन श्री संघ द्वारा किया गया व कल्पसूत्र जी की बोली का लाभ मोहनलाल चंपालाल पिछोलिया द्वारा लिया गया ,मंगलवार से कल्प सूत्र जी का वाचन होगा। साध्वी जी की प्रेरणा से आस्था पियूष पोरवाल के 31 उपवास की कठोर व नमिता जैन के 16 उपवास की तपस्या चल रही साथ ही आयुष नाहर,अंजू ओसवाल, कुंता जैन,बिना सकलेचा,बरखा,लोढ़ा,खुशबू संचेती,निशा पिछोलिया,साक्षी विजावत,शेफाली पिछोलिया,श्रुति जैन,अंजली कटारिया,अरिहा जैन, निलांशी पिछोलिया,मधु विजावत के सिद्धि तप की तपस्या चल रही है जो 9 सितंबर को पूरी होगी