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लाइसेंस लेकर चलना पड़ता था रेडियो, अभी भी इसकी दीवानगी कम नहीं

धनराज भंडारी
स्मार्ट हलचल,सुनेल 14 फरवरी।आजकल के मोबाइल और कंप्यूटर के युग में लोग पुराने समय में संचार के साधनों में शुमार रखने वाले रेडियो को भूल गए । हालांकि कई लोग आज भी रेडियो  पसंद बना हुआ हैं चाहे वह कार हो या मोबाइल फोन मैं हूं । एक जमाना था जब रेडियो बिना लाइसेंस के नहीं चला सकते थे और इसके लिए लाइसेंस को हर वर्ष पोस्ट ऑफिस से रिन्यू करवाना पड़ता था इस बात की प्रमाणिकता को सिद्ध करने के लिए सिरपोई निवासी बालचंद गुप्ता 80 वर्ष व  बानोर के बालमुकंद दांगी ने बताया कि एक जमाना था जब रेडियो के अलावा और कोई मनोरंजन का साधन नहीं था उस समय समाचार ,संगीत व खेती किसानी की जानकारी के लिए रेडियो ही एकमात्र साधन रहा है । जिसे 1 साल में रिन्यू करवाना पड़ता था जिसकी रीन्यू शुल्क रुपए 15 प्रति वर्ष थी ।

उस समय का मुख्य कार्यक्रम विविध भारती चलता था जो मुंबई से संचालित होता था,  पहले मुंबई कोलकाता दिल्ली स्टेशन हुआ करते थे । इस मौके पर हमे एक रेडियो श्रोता मिले उन्होंने बताया कि एक जमाना था जब रेडियो बिना लाइसेंस के नही चला सकते थे था हर साल पोस्ट ऑफिस में रिन्यू भी करवाना पड़ता था। धन्ना लाल गुप्ता के पास आज भी रेडियो के पुराने लाइसेंस व रेडियो रखा हुआ है।
किसानवाणी कम्पीयर आकाशवाणी झालावाड़ के धन्नालाल नागर ने बताया कि रेडियो आज भी लोगो के दिलो बसता है इसे लोग काफी पसंद करते है जितना पहले किया करते थे आज कल इसका ऐपआ गया है news on air । इससे  दुनिया के किसी भी कोने में रेडियो का आनंद ले सकते हैं ।  रेडियो ने हमेशा किसानों के लिए कई तरह के कार्यक्रम का प्रसारण किया हैं व सबसे ज्यादा रेडियो का संबंध किसानों से ही रहा है

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