ओम जैन
शंभूपुरा।स्मार्ट हलचल|राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले का राजस्थान हॉस्पिटल एक बार फिर विवादों में आ गया है, जिसके चलते कई मुकदमों का दंश झेल रहे डॉ कामिल हुसैन फिर सुर्खियों में है। जहां डिलेवरी में इलाज के दौरान एक प्रसूता की मौत का मामला सामने आया है।बता दे कि प्रसूता की मौत के बाद अस्पतालों में लापरवाही के आरोप और विरोध प्रदर्शन आम हो गए हैं, जैसा कि हाल ही में राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ है, यहां एक प्रसूता की मौत के बाद अस्पताल के डॉक्टर कामिल हुसैन पर लापरवाही और प्रसूता को बिना एनेस्थिटिक डॉक्टर के एनेस्थीसिया इंजेक्शन देने का आरोप लगा, जिसके चलते प्रसूता की मौत हो गई। उसके बाद शुरू हुई मौत की सौदेबाजी जो इस तरह की घटनाओं में अक्सर देखने और सुनने को मिलती है। जो अस्पताल की लापरवाही को छुपाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की बात को दर्शाती है और मुआवजे की बात को दर्शाती है, हालांकि यह कोई आधिकारिक और कानूनी प्रक्रिया तो नहीं है लेकिन आमतौर पर अस्पताल प्रशासन और परिजनों द्वारा यही परिपाठी अपनाई जाती रही है, जिससे अस्पताल प्रबंधन कानून और कानूनी प्रक्रियाओं से बचकर निकल सके।
चित्तौड़गढ़ के राजस्थान हॉस्पिटल में भी ऐसा ही खेल हुआ है। दरअसल आपको बता दे कि नंदू पूरी गोस्वामी पत्नी भरत पूरी गोस्वामी जो कि शहर के गणेशपुरा की रहने वाली थी। जिसका ससुराल डूंगला तहसील के गांव माताजी का सेमलिया था। जिसे डिलेवरी हेतु चित्तौड़गढ़ के राजस्थान हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जिसकी 23 नवंबर मंगलवार की रात डिलेवरी के दौरान मौत हो गई। महिला के पिता का आरोप है कि अस्पताल में एनेस्थिटिक डॉक्टर नहीं है, जहां डॉ कामिल हुसैन द्वारा लापरवाहीपूर्वक एनेस्थीसिया दिया गया है, जिसमें मेरी बेटी को मौत की नींद सुला दिया गया। देर रात मौत की खबर सुनकर गोस्वामी समाज के कई लोग, परिजन और सूचना पाकर मीडियाकर्मी भी जमा हो गए। जहां अस्पताल में एक मीडियाकर्मी के एनेस्थेटिक डॉक्टर और बच्चों के डॉक्टर के बारे में पूछने जैसे सवालों पर डॉ कामिल हुसैन भड़क गए और मीडियाकर्मी को यह तक कहा दिया कि मैं इसका जवाब आपको क्यों दूं, आप होते कौन है ये सवाल करने वाले?
मौत की सौदेबाजी, अपराधियों को शह
‘मौत की सौदेबाजी’ यह शब्द सुनते हुए बड़ा अजीब लगता होगा, इसका इस्तेमाल तब किया जाता है, जब कोई अस्पताल की लापरवाही को छुपाने या परिवार को शांत करने के लिए पैसों या किसी अन्य प्रकार का मुआवजा देने की कोशिश करता है। यह एक अनौपचारिक और अनैतिक प्रक्रिया है, जो कानूनी या आधिकारिक समाधान नहीं है। जिससे अपराध को और बढ़ावा मिलता है और अपराधियों के हौंसले बुलंद होते है। और चित्तौड़गढ़ में प्रसूता की मौत के मामले पर राजस्थान हॉस्पिटल में यहां भी आखिरकार यही हुआ और एक बेटी की मौत का सौदा 4.25 लाख में तय हो गया। जो उसकी छोटी नाबालिग बेटी के नाम एफडी कराने पर समाप्त हुआ और सारी कानूनी कार्यवाहीया करवाने की रिपोर्ट्स को वापस ले लिया गया, जो धरी की धरी रह गई।
बिना पोस्टमार्टम परिजनों को सुपुर्द किया शव, हुआ दाह संस्कार अनसुलझी रह गई गुत्थी
चित्तौड़गढ़ में लापरवाही के मामलों में हर बार सवालों के घेरे में रहने वाले राजस्थान हॉस्पिटल में प्रसूता की मौत के मामले ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। जो परिजन अभी तक अस्पताल पर सवालिया निशान खड़ा कर रहे थे और पुलिस अपनी रिपोर्ट्स के अंदर सरकारी दवाइयां के उपयोग, इलाज में लापरवाही, गलत एनेस्थीसिया इंजेक्शन लगाना और बच्चों के डॉक्टर का अस्पताल में मौजूद न होकर नर्सिंग स्टाफ को बच्चों का डॉक्टर प्रेजेंट करना जैसी कई खामियां लिखा प्रार्थना पत्र संबंधित थाने के थानाधिकारी को सोपा गया था और ऐसा ही एक पत्र डीवाईएसपी को भी लिखा गया था। जिसका संपूर्ण खुलासा मृतका का मेडिकल बोर्ड द्वारा पोस्टमार्टम, अस्पताल के सीसीटीवी फुटेज और कानूनी सटीक जांच द्वारा सामने आ सकता था। लेकिन 4.25 लाख के सेटलमेंट ने पूरा चेप्टर ही क्लोज कर दिया। जिससे मृतका का बिना पोस्टमार्टम कराए सीधे ही शव को परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया जहां ससुराल में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। जो कई सवाल खड़े कर गया। खुलासा नहीं हो पाया और गुत्थी अनसुलझी रह गई।
डॉ कामिल हुसैन पर दर्जनों मुकदमे दर्ज
राजस्थान हॉस्पिटल का यह पहला मामला नहीं है। अस्पताल के इस डॉ कामिल हुसैन पर बलात्कार, इलाज में लापरवाही, गलत ऑपरेशन, गर्भपात और भ्रूण हत्या से संबंधित कई दर्जनों मुकदमे दर्ज है। मामलों में डॉक्टर जेल की हवा तक खा चुके है और अभी वर्तमान में हाई कोर्ट से जमानत पर धड़ल्ले से फिर से अपने अस्पताल में अंदर ही अंदर वहीं खेल खेल रहे है। आखिरकार प्रसासन के पास कई सबूतों के बावजूद अभी तक इस अस्पताल पर कोई लगाम नहीं लगा पाए है।
समीक्षा, क्या है और किसकी है जवाबदेही?? कौन करेगा कार्यवाही
ऐसे मामलों में पीड़ित परिवार या अन्य पुलिस या चिकित्सा विभाग में शिकायत दर्ज करा सकता है और उचित जांच की मांग कर सकते है।
वैसे प्रसूता की मौत के भी कई कारण हो सकते हैं, जिनमें भारी रक्तस्राव, उच्च रक्तचाप, निम्नरक्तचाप, कार्डियक अटैक और संक्रमण शामिल हैं, लेकिन अस्पताल की लापरवाही से भी ऐसी घटनाएं हो सकती हैं, जिसे नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है। लेकिन यह जवाबदेही आखिरकार कौन निभाएगा हर बार यह एक बड़ा सवाल बनकर रह जाता है। और कई लापरवाहियां उजागर नहीं हो पाती। जिससे अपराधियों के हौंसले बुलंद होते रहते है और खेल बदस्तूर जारी रहता है।


