जयपुर। राजस्थान सरकार ने अवैध धर्म परिवर्तन पर नकेल कसते हुए फेथ प्रोटेक्शन एंड रिलिजन कन्वर्ज़न रेगुलेशन बिल को लेकर कड़ा रुख अपना लिया है। बिल में धर्म परिवर्तन कराने वालों पर भारी जुर्माने से लेकर 20 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। भीलवाडा सांसद व भाजपा प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल ने बिल का समर्थन करते हुए कहा कि इस बिल की सख्ती से लागू होने पर राजस्थान प्रदेश में धर्मांतरण पर बहुत हद तक कमी आएगी व दलित व पिछड़े वर्गों को राजस्थान सरकार की और से संरक्षण मिलेगा, सरकार का कहना है कि कुछ संगठनों द्वारा “दबाव, प्रलोभन, छल-कपट और विवाह” के माध्यम से धर्म परिवर्तन कराने की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। इसी के मद्देनज़र यह सख्त कानून लागू किया जा रहा है।सांसद अग्रवाल ने बिल के मुख्य प्रावधानो पर प्रकाश डालते हुए बताया कि धोखे, प्रलोभन, दबाव या विवाह के माध्यम से धर्म परिवर्तन कराना संज्ञेय और दंडनीय अपराध होगा। अजातीय अपराध होगा। दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 7 वर्ष से लेकर अधिकतम 14 वर्ष तक की सजा और कम से कम 5 लाख रुपये का जुर्माना। नाबालिग, महिला, एससी/एसटी वर्ग पर अवैध धर्म परिवर्तन कराने पर 10 से 20 वर्ष की सजा तथा 10 लाख रुपये तक का जुर्माना। सामूहिक धर्म परिवर्तन कराने पर 20 वर्ष तक की जेल और 25 लाख रुपये तक का दंड। विदेशी या अवैध संगठनों की सहायता से धर्म परिवर्तन कराने पर भी कठोर कार्रवाई की जाएगी। अवैध परिवर्तन के बाद अर्जित की गई संपत्ति की जांच और ज़ब्ती का प्रावधान।
सरकार का दावा — “राजस्थान में अब धर्म परिवर्तन का खेल नहीं चलेगा”
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा है कि राज्य में किसी भी तरह का अवैध धर्म परिवर्तन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और विधि-विरुद्ध गतिविधियों में शामिल लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
हालिया विवादों के बाद कानून को मिली गति
हाल ही में एक समुदाय विशेष के युवक द्वारा अनुसूचित जाति की एक युवती को बहला-फुसलाकर ले जाने का मामला सामने आने पर यह मुद्दा और तेज हो गया। सरकार का कहना है कि ऐसे प्रकरण धार्मिक रूपांतरण के खतरनाक पैटर्न की ओर संकेत करते हैं।
सरकार ने स्पष्ट किया कि “जो भी लोग समाज में भ्रम फैलाते हुए धर्म परिवर्तन के नाम पर मिशन चला रहे हैं, उन पर यह कानून सीधे चोट करेगा।”


