जयपुर। राजस्थान जल्द ही भारत की सबसे बड़ी क्षमता वाले बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (Battery Energy Storage System – BESS) से जुड़ा सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट स्थापित करने जा रहा है। ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव अजिताभ शर्मा ने बताया कि यह परियोजना बीकानेर जिले के पूगल क्षेत्र में विकसित की जा रही है और इसे भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर माना जा रहा है ।
परियोजना की क्षमता 2,450 मेगावॉट सोलर पीवी और 1,250 मेगावॉट / 5,000 मेगावॉट-घंटा BESS की होगी — जो इसे देश का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा और भंडारण संयंत्र बनाती है। अजिताभ शर्मा के अनुसार, यह सौर पार्क ऐसे क्षेत्र में स्थापित किया जा रहा है जहां साल में 320 से अधिक धूप वाले दिन रहते हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन की दक्षता अत्यधिक बढ़ेगी। राजस्थान के पगल क्षेत्र को विश्व के सबसे अधिक सोलर इर्रेडिएशन (Solar Irradiation) वाले जोनों में से एक माना जाता है, जहां ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2,000 किलोवॉट-घंटा प्रति वर्ग मीटर प्रति वर्ष से अधिक है। यह परियोजना राजस्थान सोलर पार्क डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड (RSDCL) द्वारा विकसित की जा रही है, जो राज्य की नोडल एजेंसी राजस्थान रिन्यूएबल एनर्जी कॉर्पोरेशन लिमिटेड (RRECL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
भूमि आवंटन और अवसंरचना पूरी
परियोजना के लिए लगभग 4,780 हेक्टेयर सरकारी भूमि 99 वर्ष की लीज पर आवंटित की गई है। “भूमि का पूर्ण स्वामित्व हस्तांतरण और म्यूटेशन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी भूखंड विवाद-मुक्त हैं और आवंटन के लिए तैयार हैं। परियोजना को ‘प्लग-एंड-प्ले मॉडल’ के तहत विकसित किया जा रहा है, जिसमें सड़कों, ड्रेनेज सिस्टम, बाउंड्री फेंसिंग और साइट एक्सेस जैसी सभी आवश्यक सुविधाएं पहले से विकसित की जा रही हैं।
सुगम ग्रिड कनेक्टिविटी और पावर निकासी व्यवस्था
ऊर्जा सचिव के मुताबिक परियोजना के लिए 765/400 किलोवोल्ट की जीएसएस, आंतरिक पूलिंग सबस्टेशन और संबंधित ट्रांसमिशन लाइनें राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड (RVPN) तथा RSDCL द्वारा विकसित की जा रही हैं। उन्होंने बताया कि “यह सौर पार्क ग्रीन एनर्जी कॉरिडोर के निकट स्थित है, जिससे बिजली की निर्बाध निकासी सुनिश्चित होगी। इसके लिए 2,450 मेगावॉट की समर्पित ग्रिड कनेक्टिविटी आवंटित की जा चुकी है,”।
ऊर्जा खरीद और निवेशकों को भरोसा
इस परियोजना से उत्पन्न होने वाली संपूर्ण बिजली का राज्य सरकार द्वारा दीर्घकालिक अनुबंध के तहत क्रय किया जाएगा, जिससे निवेशकों को स्थायी राजस्व का भरोसा मिलेगा।उन्होंने कहा, “राजस्थान सरकार नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए सिंगल-विंडो क्लियरेंस, स्थिर नीति समर्थन और RSDCL की फुल-फैसिलिटेशन उपलब्ध करा रही है।”
रोजगार और क्षेत्रीय विकास की नई दिशा
इस परियोजना से 1,000 से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार अवसर सृजित होंगे। इसके साथ ही क्षेत्र में सड़क, परिवहन, निर्माण सामग्री और सेवाओं की मांग में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। “यह परियोजना न केवल ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम है, बल्कि स्थानीय विकास और पर्यावरण संरक्षण का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण बनेगी।”
कार्बन उत्सर्जन में कमी और सतत विकास के लक्ष्य
इस सौर-बैटरी परियोजना से प्रतिवर्ष दो लाख टन से अधिक कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कमी आने की संभावना है। यह परियोजना संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDG 7) तथा RE100 लक्ष्यों के अनुरूप है, जो स्वच्छ, किफायती और सतत ऊर्जा की दिशा में भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
राष्ट्रीय सौर मिशन के अनुरूप बड़ा कदम
यह परियोजना भारत सरकार के राष्ट्रीय सौर मिशन (National Solar Mission) के उद्देश्यों से पूर्णतः मेल खाती है और नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन में राजस्थान की अग्रणी भूमिका को और मजबूत करेगी।
“राजस्थान अब केवल सौर ऊर्जा में अग्रणी राज्य नहीं, बल्कि ऊर्जा भंडारण के क्षेत्र में भी भारत का मार्गदर्शन करने जा रहा है। पूगल प्रोजेक्ट देश की भविष्य ऊर्जा संरचना का प्रतीक बनेगा।”
बोली प्रक्रिया जल्द होगी शुरू
ऊर्जा विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने बताया कि परियोजना की बोली प्रक्रिया (Bidding Process) शीघ्र ही शुरू की जाएगी। हाल ही में प्रधानमंत्री द्वारा उद्घाटित नोख सोलर पावर पार्क (जैसलमेर) की सफलता इस बात का प्रमाण है कि राजस्थान की एजेंसियां विश्वस्तरीय अवसंरचना विकसित करने में सक्षम हैं। “हम उसी अनुभव और दक्षता के साथ पूगल परियोजना को भी देश की सबसे आधुनिक सौर-बैटरी परियोजना के रूप में विकसित करेंगे ।


