सीकर। स्मार्ट हलचल/एबीआरएसएम राजस्थान (उच्च शिक्षा) के तत्वावधान में, भारतीय महिला पीजी महाविद्यालय, सीकर में राजमाता अहिल्या बाई के 300 वें जन्म जयंती वर्ष समारोह का आयोजन किया गया।इस अवसर पर डॉ अमरचंद कुमावत, इकाई अध्यक्ष, एबीआरएसएम, राजकीय कन्या महाविद्यालय सीकर ने संगठन का परिचय देते हुए कार्यक्रम की प्रस्तावना प्रस्तुत की। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए। रामसिंह सरावग, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एबीआरएसएम ने बताया कि अहिल्याबाई होल्कर अपनी कुशल प्रशासनिक क्षमताओं और धर्मपरायणता से मालवा प्रदेश और आसपास के क्षेत्र में अपार सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव डाला। उनके शासनकाल में औरंगजेब द्वारा तोड़े गये अनेक प्रसिद्ध मंदिरों का पुनर्निर्माण और विकास करवाया। मुख्य वक्ता ने सभी नागरिकों, इतिहास प्रेमियों और समाज के प्रत्येक वर्ग से इस आयोजन में शामिल होने की अपील की, ताकि हम लोकमाता अहिल्याबाई की विरासत को समर्पित एक सार्थक श्रद्धांजलि अर्पित कर सकें।राजमाता अहिल्याबाई के जीवन व उसके संघर्ष से जुड़ी बातें विद्यार्थियों के साथ साझा की तथा बताया कि भारतवर्ष के इतिहास पर दृष्टि डालें तो अनेक ऐसी वीरांगनाओं के चित्र मानस पटल पर उभरते हैं जिन्होंने अपनी कर्तव्यप्रायणता से इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इन वीरांगनाओं में कुछ तो ऐसी हैं जिनका विश्व के इतिहास में कहीं अन्य कोई और उदाहरण नहीं मिलता है। ऐसी ही एक वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर हुई जो सदैव एक दिव्य ज्योति की भांति भारतीय इतिहास को आलोकित करती रहेगी। भारत की इस बेटी ने एक सामान्य परिवार में जन्म लेकर न केवल राजवंश को प्रतिष्ठित किया बल्कि अपने राज्य से बाहर हिमालय से लेकर दक्षिण भारत तक दर्जनों मंदिर, कुएँ, घाट, बावड़ी तथा धर्मशालाएं बनवाकर जनहित का कार्य भी किया। अहिल्याबाई का दान न केवल अपने राज्य तक सीमित था बल्कि पूरब से पश्चिम तथा उत्तर से दक्षिण तक प्रत्येक तीर्थ स्थल के लिए था।उनके शासनकाल में किसान खुशहाल थे, राजनयिक संगठित थे, कला, संगीत, साहित्य फल फूल रहा था, बुनकर, कलाकार और मूर्तिकार राज्य से सहायता प्राप्त कर अपने क्षेत्र में सर्वोत्तम कर रहे थे। उन्होंने अपने शासनकाल में विधवाओं को संपत्ति का अधिकार प्रदान कर एक मिसाल कायम की। निडरता और स्पष्ट बोलने का उनका गुण शासको की पंक्ति में उन्हें प्रथम स्थान पर खड़ा करता है तो वहीं दूसरी ओर उनकी विनम्रता व धार्मिकता उन्हें देवत्व प्रदान करती है।अहिल्याबाई में एक नारी के कीर्ति, यश, लक्ष्मी, वाक चातुर्य, स्मृति, बौद्धिक क्षमता, त्याग तथा न्यायप्रियता जैसे सभी गुण थे। प्राचार्य डॉ बाबूलाल बिजारनिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया तथा इस अवसर पर संकाय सदस्य व छात्राएं उपस्थित रही।